बिहार विधानसभा चुनाव: तारीखों के ऐलान के साथ आदर्श आचार संहिता लागू, जानिए क्या-क्या हुआ बैन
पटना (बिहार): बिहार में चुनावी बिगुल बज चुका है। निर्वाचन आयोग द्वारा विधानसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा के साथ ही राज्य भर में आदर्श आचार संहिता (Model Code of Conduct) लागू हो गई है। अब से राज्य सरकार और राजनीतिक दलों की हर गतिविधि पर चुनाव आयोग की सीधी निगरानी रहेगी।
सरकार नहीं कर सकेगी नई घोषणा
आचार संहिता लागू होते ही राज्य सरकार किसी नई योजना, परियोजना, उद्घाटन या शिलान्यास की घोषणा नहीं कर सकती।
इसके साथ ही—
वित्तीय निर्णय, बजट आवंटन, पदोन्नति और नियुक्ति पर पूर्ण रोक लग जाती है।
सरकारी भवनों, संसाधनों और कर्मचारियों का राजनीतिक उपयोग प्रतिबंधित होता है।
किसी भी पार्टी की उपलब्धियों का सरकारी विज्ञापनों में प्रचार नहीं किया जा सकता।
अब पूरा प्रशासन आयोग के नियंत्रण में
चुनाव की घोषणा के साथ ही डीएम, एसपी, बीडीओ, एसडीओ, थाना प्रभारी और सभी प्रखंड स्तरीय अधिकारी अब सीधे निर्वाचन आयोग के अधीन हो जाते हैं।
किसी भी अधिकारी का स्थानांतरण या नियुक्ति आयोग की अनुमति के बिना नहीं हो सकती।
इस अवधि में प्रशासन का मुख्य कार्य सिर्फ और सिर्फ निष्पक्ष चुनाव प्रक्रिया को संचालित करना होता है।
राजनीतिक दलों के लिए सख्त नियम
धर्म, जाति, भाषा या क्षेत्र के नाम पर वोट मांगना पूरी तरह प्रतिबंधित है।
भड़काऊ भाषण, नफरत फैलाने वाली बातें और सांप्रदायिक बयानबाजी पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए उपहार, पैसा या प्रलोभन देना गैरकानूनी है।
डिजिटल प्लेटफॉर्म पर भी निगरानी
आचार संहिता अब केवल मैदान तक सीमित नहीं है।
निर्वाचन आयोग अब सोशल मीडिया, व्हाट्सएप ग्रुप, फेसबुक, यूट्यूब विज्ञापन और डिजिटल प्रचार पर भी नजर रखेगा।
हर उम्मीदवार को अपने डिजिटल प्रचार खर्च का विस्तृत ब्यौरा देना होगा, और किसी भी फेक न्यूज या भ्रामक पोस्ट पर आईटी एक्ट और चुनाव कानून के तहत कार्रवाई की जाएगी।
उल्लंघन पर सख्त कार्रवाई
अगर कोई मंत्री, उम्मीदवार या दल आचार संहिता का उल्लंघन करता है तो—
निर्वाचन आयोग नोटिस जारी कर जवाब तलब कर सकता है,
आवश्यक होने पर एफआईआर दर्ज,
चुनाव प्रचार पर रोक,
या नामांकन रद्द तक की कार्रवाई संभव है।
सत्ता का संतुलन अब आयोग के हाथ
आचार संहिता लागू होने के साथ ही सत्ता और प्रशासन का संतुलन चुनाव आयोग के हाथों में चला जाता है।
अब राज्य सरकार केवल आवश्यक प्रशासनिक कार्य कर सकेगी।
इस नियम का उद्देश्य यही है कि कोई भी पार्टी, नेता या सरकारी तंत्र अपने पद का दुरुपयोग कर चुनावी लाभ न उठा सके और लोकतंत्र की निष्पक्षता और पारदर्शिता बनी रहे।
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