कालाजार ने छीनी ताकत, अब सरकार दे रही जीने की हिम्मत
कालाजार पीड़ितों को मिल रही ₹7100 की पारिश्रमिक क्षतिपूर्ति, सारण जिले में उन्मूलन की दिशा में तेज़ कदम
सारण (बिहार): सारण जिले में स्वास्थ्य विभाग की मुहिम से कालाजार जैसी गंभीर बीमारी पर अब नियंत्रण पाया जा रहा है। कभी ग्रामीण क्षेत्रों में कहर बरपाने वाली यह बीमारी अब लगभग समाप्ति की ओर है। जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, अब जिले में प्रति दस हजार की आबादी पर एक या उससे कम कालाजार मरीज दर्ज हो रहे हैं, और यह स्थिति पिछले तीन वर्षों से स्थिर बनी हुई है — जो एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है।
सरकार की योजना बनी मरीजों का सहारा
राज्य सरकार ने कालाजार उन्मूलन के साथ-साथ मरीजों के आर्थिक पुनर्वास की दिशा में भी कदम उठाया है। “कालाजार क्षतिपूर्ति योजना” के तहत प्रत्येक मरीज को इलाज के बाद ₹7100 की आर्थिक सहायता दी जा रही है —
राज्य सरकार द्वारा ₹6600,
और केंद्र सरकार द्वारा ₹500 की राशि डीबीटी (Direct Benefit Transfer) के माध्यम से मरीज के बैंक खाते में भेजी जाती है।
यह राशि उन मरीजों के लिए राहत बनकर आई है जो इलाज के दौरान लंबे समय तक काम नहीं कर पाते।
क्या है कालाजार?
कालाजार एक संक्रामक रोग है जो लिसमैनिया डोनोवाणी (Leishmania donovani) नामक परजीवी से फैलता है। यह संक्रमित बालू मक्खी (Sand Fly) के काटने से मनुष्यों में प्रवेश करता है। लगातार दो सप्ताह से अधिक बुखार रहना, भूख में कमी, कमजोरी, वजन घटना और प्लीहा व यकृत का बढ़ना इसके प्रमुख लक्षण हैं। समय पर इलाज न मिलने पर यह जानलेवा भी साबित हो सकता है।
सारण में कालाजार उन्मूलन की दिशा में सफलता
कभी कालाजार प्रभावित इलाकों में गिने जाने वाले सारण जिले में अब स्थिति पूरी तरह बदल चुकी है।
जिला मलेरिया नियंत्रण कार्यालय के अनुसार—
कालाजार के मामलों में लगातार कमी दर्ज की जा रही है।
सीएचसी स्तर पर नि:शुल्क जांच (rk-39 test) और इलाज की सुविधा उपलब्ध है।
ग्रामीण क्षेत्रों में IRS (Indoor Residual Spray) अभियान चलाकर बालू मक्खियों के प्रजनन स्थलों पर छिड़काव किया जा रहा है।
आशा कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित किया गया है ताकि शुरुआती लक्षणों पर ही मरीज को अस्पताल पहुंचाया जा सके।
जनजागरूकता बना सबसे बड़ा हथियार
स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि बीमारी की रोकथाम सिर्फ दवा से नहीं, बल्कि जागरूकता से संभव है। ग्रामीण इलाकों में पोस्टर, दीवार लेखन, नुक्कड़ नाटक और आशा बैठकों के माध्यम से लोगों को समझाया जा रहा है कि —
रात में मच्छरदानी का प्रयोग करें,
घर के आसपास सफाई और सूखापन बनाए रखें,
दीवारों पर छिड़काव अवश्य करवाएँ,
और यदि बुखार दो हफ्ते से अधिक रहे तो तुरंत जांच कराएँ।
लक्ष्य — “कालाजार मुक्त बिहार”
स्वास्थ्य विभाग का उद्देश्य बिहार को पूरी तरह कालाजार मुक्त राज्य घोषित करना है। सारण जिला इस दिशा में एक मिसाल बनकर उभर रहा है। सरकारी योजनाओं, क्षतिपूर्ति राशि और स्वास्थ्यकर्मियों की मेहनत ने अब मरीजों को न केवल जीने की हिम्मत दी है बल्कि इलाज के लिए प्रेरित भी किया है।
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