नवरात्रि पर शिक्षा व्यवस्था पर मंथन : स्त्री शक्ति संगठन ने आयोजित की विचार गोष्ठी
रोहतक (हरियाणा): नवरात्रि के द्वितीय दिन स्त्री शक्ति संगठन की मुख्य अध्यक्षा ममता शर्मा के नेतृत्व में प्राथमिक और माध्यमिक उच्च शिक्षा स्तर पर ऑनलाइन विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में डॉ. अंजना (प्रोफेसर), डॉ. प्रेरणा बुडाकोटी (मीडिया प्रभारी), शिक्षिका प्रीति जायसवाल, श्रीमती सुधा, वैदिक गणित व अबेकस शिक्षिका कीर्ति सहित कई प्रतिभागियों ने सक्रिय रूप से अपनी सहभागिता दी।
कार्यक्रम में वक्ताओं ने शिक्षा व्यवस्था की वर्तमान चुनौतियों पर गहन चर्चा की। सभी का मानना था कि आज की शिक्षा पद्धति बच्चों और शिक्षकों दोनों के लिए बोझ बन चुकी है। छोटे विद्यार्थियों पर भारी-भरकम सिलेबस और सभी विषय थोप दिए जाते हैं, जिससे उनका उत्साह और ऊर्जा सालभर की दौड़-भाग में समाप्त हो जाती है। होमवर्क भी “कॉपी-पेस्ट” की औपचारिकता तक सीमित रह गया है, परिणामस्वरूप विद्यार्थी बारहवीं तक पहुँचने के बाद भी आत्मविश्वास से विषयों को समझ या प्रस्तुत नहीं कर पाते।
विचार गोष्ठी में यह सुझाव दिया गया कि 1 से 5 वर्ष के बच्चों को प्राकृतिक वातावरण के करीब रखा जाए ताकि उनकी पांचों इंद्रियां जागृत हों। वहीं 5 से 12 वर्ष तक के बच्चों को जीवनोपयोगी कौशल, घरेलू कार्य, सामाजिक व्यवहार, कानूनी शिक्षा और व्यवसायिक दक्षता सिखाई जाए। उच्च शिक्षा के स्तर पर डिग्रियों पर नहीं, बल्कि शोध और वास्तविक कौशल विकास पर जोर देने की आवश्यकता बताई गई।
वक्ताओं ने निष्कर्ष निकाला कि शिक्षा का उद्देश्य केवल विद्यालय मालिकों और सरकारों की नीतियों को साधना नहीं होना चाहिए, बल्कि बच्चों का समग्र विकास और राष्ट्र की प्रगति ही इसकी असली कसौटी है। शिक्षा का व्यावसायीकरण व्यवस्था पूर्णतः अनुचित करार दिया गया।