संघर्ष, पराक्रम और विजय की गाथा के बीच संपन्न हुआ ‘गिरमिटिया महोत्सव 2025’, भोजपुरी को संवैधानिक मान्यता देने की उठी मांग
✍️ संवाददाता वीरेश सिंह
दिल्ली/सारण। राजधानी दिल्ली स्थित महाराजा अग्रसेन कॉलेज में छठवां गिरमिटिया महोत्सव 2025 धूमधाम से संपन्न हुआ। महोत्सव में मॉरीशस, फिजी, गुयाना, त्रिनिनाद, दक्षिण अफ्रीका सहित कई देशों से आए प्रतिनिधियों ने भाग लिया और गिरमिटिया इतिहास की संघर्षगाथा को याद किया।
कार्यक्रम का नेतृत्व गिरमिटिया फाउंडेशन के अध्यक्ष दिलीप गिरि (निवासी – उसरी, इसुआपुर, सारण) ने किया। उन्होंने कहा कि गिरमिटिया फाउंडेशन का उद्देश्य दुनिया भर में फैले भारतीय मूल के गिरमिटिया परिवारों को उनकी जड़ों से जोड़ना है। अब तक फाउंडेशन ने करीब 200 परिवारों को उनके पूर्वजों के गांवों की पहचान में मदद की है।
महोत्सव में भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं राज्यसभा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि गिरमिटिया मजदूरों की गाथा भारतीय संस्कृति की सनातन शक्ति का प्रमाण है। उन्होंने भारत और इन देशों के बीच सांस्कृतिक संबंधों को और मजबूत बनाने पर जोर दिया। वहीं बिहार विधान परिषद सदस्य संजय मयूख ने इसे करोड़ों हिंदुस्तानियों की भावना से जुड़ा आयोजन बताते हुए कहा कि भविष्य में इसे बिहार में आयोजित कराने की दिशा में प्रयास होना चाहिए, क्योंकि अधिकतर गिरमिटिया बिहार से थे।
दक्षिण अफ्रीका के उच्चायुक्त अनिल सुखलाल, मॉरीशस के पूर्व मंत्री मुखेश्वर चुन्नी, गुयाना उच्चायोग के प्रतिनिधि केशव तिवारी सहित कई अंतरराष्ट्रीय अतिथियों ने साझी विरासत और परंपरा को सुरक्षित रखने पर बल दिया। मुखेश्वर चुन्नी ने अपने पूर्वजों की आरा से जुड़ी कहानी सुनाकर श्रोताओं को भावुक कर दिया।
भोजपुरी समाज दिल्ली के अध्यक्ष अजीत दुबे ने इस अवसर पर कहा कि भोजपुरी भाषा विश्व स्तर पर पहचान बना चुकी है और इसे भारत में संवैधानिक मान्यता मिलनी चाहिए।
कार्यक्रम में लोकगायिका कल्पना पटवारी समेत कई कलाकारों ने सांस्कृतिक प्रस्तुतियों से माहौल को जीवंत कर दिया। कवि विनय विनम्र, डॉ. देवेंद्रनाथ तिवारी, मुन्ना पाठक सहित अन्य कवियों ने काव्यपाठ कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया।
समारोह में बड़ी संख्या में प्रतिनिधि, प्रोफेसर, शोधार्थी, राजनीतिज्ञ और छात्र-छात्राएं मौजूद रहे। अंत में गिरमिटिया फाउंडेशन के अध्यक्ष दिलीप गिरि ने सभी अतिथियों को धन्यवाद ज्ञापित किया और इस आयोजन को गिरमिटिया पूर्वजों की सच्ची श्रद्धांजलि बताया।