संवादों की खिड़कियाँ
(सच्ची कहानियों पर आधारित एक भावात्मक विश्लेषण)
समीक्षक-डाॅ.सत्यनारायण, फतेहाबाद, हरियाणा
मानव जीवन में रिश्ते मात्रा सामाजिक रचनाएं नहीं है, बल्कि हमारी भावनात्मक मानसिक और आध्यात्मिक चेतना का आधार है। जब रिश्तो में दरारें पड़ती हैं तो यह सिर्फ दो लोगों के बीच की दूरी ही नहीं होती बल्कि आत्मा के स्तर पर भी असर डालती है। आधुनिक मनोविज्ञान और संचार विज्ञान में ऐसे कई दृष्टिकोण है जो इस बिखराव को समझने और सुलझाने में मदद करते हैं।
“जॉन गौतम” ने “सैवन प्रिंसिपल फॉर मेकिंग मैरिज वर्क”, में सैकड़ो विवाहित दंपतियों का अध्ययन करके यह निष्कर्ष निकला कि रिश्तो को बचाने और बेहतर बनाने के लिए जो सिद्धांत आवश्यक है, उनमें अपने साथी की भावनात्मक दुनिया को समझना, एक दूसरे के गुणों के प्रति आदर और सराहना, कठिन समय में एक दूसरे के विचारों को महत्व देना, समानता और सम्मान से निर्णय लेना, संवाद और लचीलेपन से हल निकालना, गहरे मत भेद को अर्थपूर्ण संवादों से सुलझाना, जीवन में सांझा उद्देश्य और अर्थ बनाना, मुख्य हैं। रिश्ते बिगड़ने के उन्होंने चार प्रमुख कारण भी बताये हैं- आलोचना, बचाव, तिरस्कार और चुप्पी। जिसमें तिरस्कार को सबसे घातक माना गया है।
लेखिका डाॅ.कंचन मखीजा के इस भावात्मक विश्लेषण में एक नवीन शैली के साथ आज के भारतीय समाज के संदर्भ में
आध्यात्मिक्ता से जटिल समस्याओं के समाधान के साथ, सामयिक मानसिक तनाव को कम करने के तरीके भी सुझाए गये हैं। प्रेरणात्मक और सकारात्मक संदेश देते मुक्तक एवं छंदों के समावेश ने विश्लेषण को ओर भी प्रभावशाली बना दिया है। समस्याओं का गहरा चितंन तथा विकल्प भी प्रस्तुत किए गये हैं। जैसे- “दिखे कोई यदि मन से हारा, मनोबल उसका सहला देना। हो यदि संकटों का मारा,
सेवा कर हाथ बंटा देना।।”
और-
“प्रेम समर्पण जानिए, सुखी जीवन के मूल।
रिश्ते सब मेल करें, निंदा हठ की भूल।।”
सभी लेखों को एक पैटर्न में रखा गया है वास्तविक कहानियों की भूमिका व पात्रों का परिचय रखते हुए दूसरे चरण में रोचक संवादों से स्थिति को स्पष्ट करना और तीसरे चरण में भारतीय दर्शन से विकल्पों और समाधान के साथ अंत में एक प्रेरणात्मक संदेश के साथ विराम लिया है। कहां गति कहां यति इसके खूबसूरत प्रयोग के साथ उपनिषदों की सूक्तियां तथा महान विचारकों का दृष्टिकोण भी बहुत से लेखों में प्रस्तुत किया गया है। परिवार के तनाव और झगड़ों के क्या कारण है? उन्हें किस प्रकार रोका जा सकता है, मानसिक शांति और स्वास्थ्य के क्या तरीका हो सकते हैं, उसके उचित मानक व मापदंड रखना दर्शाता है कि समाज की चेतना में प्राण भरने के लिए लेखिका अपनी कलम के दायित्व के प्रति कितनी सचेत है। बहुत सी पंक्तियों में अलंकारों का प्रयोग उनकी भाव भंगिमा का पक्ष नकारात्मक विचारों को भी सकारात्मक दृष्टि से रखने में सफल हुआ है। इन सब का संपूर्ण भारतीय चिंतन और समाधान इस शोध में दर्शाया गया है। इसके अतिरिक्त जिससे संबंधों में असुरक्षा की भावना जन्म लेती है, और अन्य ऐसे कारण जिसे विवाद एवं तनाव बढ़ाते हैं जो आज के व्यवहार को प्रभावित करते हैं उसका अवलोकन भी अध्ययन में मिलता है।
जागृति के लिए संवेदना और अनुभूति लेखन की आधारभूत आवश्यकता मानी जाती है। “संवादों की खिड़कियां”, सच्ची कहानियों पर आधारित इस शोध परक विश्लेषण में लेखिका ने रचना धर्मिता के साथ-साथ आज के संदर्भ में टूटे हुए रिश्तों के कारणों को स्पष्ट करते हुए जहां एक और मनोवैज्ञानिक पक्ष रखने का प्रयास किया है वहीं दूसरी ओर भारतीय चिंतन दर्शन से उसके समाधान को भी उजागर किया है। प्रस्तुत विश्लेषण में संवेदनाओं की व्याख्या इस रूप में भी की जा सकती है कि लेखनी किसी भी परिस्थिति अथवा किसी भी घटनाक्रम को लेकर चलाई गई हो अनुभूति कहानी में संवादों के माध्यम से जीवंत बन पड़ती है। बातें नव विवाहित जोड़े की हों या फिर अजनबी देश में रहने वाले भारतीयों की समाज के गिरते हुए मूल्य की हो या नैतिक दृष्टिकोण की, यहां तक की सामाजिक और मानसिक विकृतियों का भी अवलोकन करते हुए लेखिका ने भारतीय चिंतन दर्शन के आधार पर आध्यात्मिकता से जीवन जीने की कला की ओर इंगित किया है। जिससे एक आम नागरिक वह युवा हो अथवा वयस्क अपने दायित्व अनुरूप अपनी भूमिका को निभाते हुए किस प्रकार से अपने जीवन में शांति स्थापित कर सकता है और अपने रोजमर्रा के जीवन को किस प्रकार तनाव मुक्त रख सकता है
इसके प्रेरणात्मक संदेश देने में सफल हुई है। सुंदर भाषा शैली और सत्यता पाठक की पढ़ने में रुचि पैदा करते हैं।
लेखिका डाॅ.कंचन मखीजा का प्रेरणात्मक व्यक्तित्व अपने आप में एक अध्यात्मिक चिंतन दर्शन से भरा है। अलग-अलग वास्तविक घटनाओं तथा संवादों के माध्यम से प्रमाण सहित जिस निष्ठा से समाज में संवेदना, साहस, करुणा, त्याग, प्रसन्नता, शांति जैसे गुणों को समाज की आत्मा में भरने का प्रयास किया है। सामाजिक चेतना को झकझोरने तथा निर्भयता से तथ्यों के आधार पर भटकते हुए मन का मार्ग प्रशस्त करने में एक हद तक लेखिका सफल हुई है। समाज को दिए गये इस अनमोल उपहार के लिए उनका हार्दिक अभिनंदन।