स्त्री शक्ति संगठन ने पितृसत्ता व समाज पर रखा विचार विमर्श, बेटियों की विदाई प्रथा को बताया सबसे बड़ा अन्याय
नई दिल्ली: संवाददाता प्रेरणा बुड़ाकोटी: स्त्री शक्ति संगठन द्वारा शनिवार 30 अगस्त 2025 को गूगल मीट के माध्यम से “पितृसत्तात्मकता एवं समाज” विषय पर अपनी बात कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में संगठन की अध्यक्षा ममता शर्मा के साथ मुख्य अतिथि के रूप में प्रीति जायसवाल मौजूद रहीं। दिल्ली प्रभारी डॉ. प्रेरणा बुडाकोटी, गुड़िया कुमारी, डॉ. सुशीला, डॉ. मीनू, आशा, नीतू, सुमन सहित अन्य सहयोगियों ने भी सक्रिय रूप से भाग लिया और अपने विचार साझा किए।
मुख्य अतिथि प्रीति जायसवाल ने कहा कि “पितृसत्ता कोई स्वाभाविक व्यवस्था नहीं बल्कि बनाई हुई जंजीर है और इसकी सबसे मज़बूत कड़ी बेटियों की विदाई की प्रथा है।” उन्होंने जोर देकर कहा कि बेटी को जन्म से ही पराया धन समझा जाता है, जिससे वह भूमि, घर और निर्णय लेने के अधिकार से वंचित हो जाती है। उन्होंने कहा कि जब तक विदाई की परंपरा जीवित रहेगी, तब तक लैंगिक समानता सिर्फ़ कागज़ों पर सीमित रहेगी।
उन्होंने स्पष्ट किया कि समाज में असली क्रांति वहीं से शुरू होगी जहाँ बेटियाँ अपने घरों में बराबरी से जिएँगी और विदाई की परंपरा को समाप्त कर अधिकार की परंपरा स्थापित होगी। प्रीति जायसवाल ने कहा कि बेटा और बेटी दोनों को घर का बराबर वारिस माना जाए और किसी को भी मेहमान समझकर जड़ों से अलग न किया जाए।
अपने संबोधन में उन्होंने समाज से आह्वान किया—
“बेटी बोझ नहीं है, बेटी पराई नहीं है, बेटी अपने घर की धड़कन है। अब समय आ गया है कि विदाई नहीं, बराबरी का उत्सव मनाया जाए।”
उनके विचारों ने सभी प्रतिभागियों को गहराई से प्रभावित किया और समानता की दिशा में आगे बढ़ने का संकल्प दिलाया। कार्यक्रम का समापन संगठन की अध्यक्षा ममता शर्मा ने सभी के उज्ज्वल भविष्य की कामना के साथ किया।