सद्भावना दिवस:
✍️राजीव कुमार झा
राजीव गांधी के निर्वाण स्थल का नाम वीर भूमि है। सचमुच वह अत्यंत निर्भीक व्यक्तित्व के प्रधानमंत्री थे और उन्होंने भारत के अलावा सारी दुनिया में शांति सुव्यवस्था को कायम करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उस समय पाकिस्तान के साथ भारत के संबंध आज की तरह कटुता से परिपूर्ण नहीं थे लेकिन पाकिस्तान से उनका कुछ खास सरोकार नहीं रहता था। कश्मीर में शांति थी। वह एक ऐसा समय था जब दुनिया तेजी से बदल रही थी। संसार में शीतयुद्ध खत्म हो रहा था और गुटनिरपेक्ष आंदोलन के माध्यम से एशिया और अफ्रीका के देश संगठित थे।
संसार में हर तरफ बदलाव दिखाई दे रहा था और ऐसे ही समय में उन्होंने अपनी मां इंदिरा गांधी की हत्या के बाद देश की बागडोर संभाली थी। राजीव गांधी का आज जन्मदिन है। उनको सहरसा में मैंने देखा था। संसदीय चुनावों में कांग्रेस प्रत्याशी चन्द्र किशोर पाठक की चुनावी सभा में उस दिन पटेल मैदान में काफी भीड़ उमड़ पड़ी थी। जाड़े का मौसम था और राजीव गांधी कुर्ता पाजामा और ऊन का चादर लपेटे मंच पर आये। उस समय पंजाब में आतंकवाद की समस्या थी और इंदिरा गांधी की हत्या के बाद कांग्रेस के नये नेता के रूप में उन्होंने इस समस्या के समाधान में विपक्ष के रवैए की राजीव गांधी ने अपने भाषण में आलोचना की थी।
उन्होंने काफी संक्षिप्त भाषण दिया था। सहरसा से संसद के चुनाव में चन्द्र किशोर पाठक चुनाव जीत गए थे। सारे देश में कांग्रेस को प्रचंड बहुमत मिला था। सहरसा में आनंद मोहन चुनाव हार गए थे। राजीव गांधी का असमय देहांत हो गया और उनकी मृत्यु के बाद देश में काफी शोक फैल गया था। उस समय चन्द्रशेखर देश के प्रधानमंत्री थे और राजीव गांधी के समर्थन से ही वह सरकार चला रहे थे। उन्होंने राजीव गांधी के देहांत के बाद देश की जनता के नाम अपने विशेष संबोधन में राजीव गांधी के देहांत को राष्ट्र की अपूरणीय क्षति बताया था। राजीव गांधी स्वप्नद्रष्टा थे और प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्होंने देश में पंचायतीराज से संबंधित विधेयक को पेश करके देश में लोकतंत्र को मजबूत बनाने की दिशा में सराहनीय कार्य किया था। उन्होंने नयी शिक्षा नीति को लागू किया और प्राथमिक शिक्षा को व्यापक बनाने की दिशा में प्रभावी कार्य किए। वह देश की चतुर्दिक उन्नति चाहते थे और उस समय दुनिया के जाने-माने प्रौद्योगिकी विशेषज्ञ सैम पित्रोदा के साथ देश में सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में विकास के मार्ग को प्रशस्त किया। पंजाब, मिजोरम और पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग जिले में व्याप्त हिंसा और अशांति को भी दूर करने का श्रेय उनको प्राप्त है।