रूडी ने संसद में उठाई भोजपुरी के शेक्सपियर भिखारी ठाकुर को भारत रत्न देने की मांग
भोजपुरी भाषा, संस्कृति और पिछड़े समाज को मिला लोकसभा में सशक्त प्रतिनिधित्व
नई दिल्ली/सारण। भोजपुरी भाषा के पुरोधा, प्रसिद्ध नाटककार, गीतकार और समाज सुधारक स्वर्गीय भिखारी ठाकुर को भारत रत्न या उपयुक्त पद्म सम्मान से मरणोपरांत सम्मानित करने की मांग एक बार फिर लोकसभा में गूंजी। यह मांग सारण के सांसद एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव प्रताप रूडी ने मंगलवार, 30 जुलाई को लोकसभा में नियम 377 के तहत उठाई।
सांसद रूडी ने कहा कि जैसे अंग्रेजी साहित्य में शेक्सपियर अमर हैं, उसी तरह भोजपुरी भाषा के साहित्य, लोककला और समाज सुधार की धारा में भिखारी ठाकुर का योगदान अतुलनीय है। बिहार के सारण जिले के कुतुबपुर दियारा गांव में जन्मे भिखारी ठाकुर ने औपचारिक शिक्षा के अभाव में भी भोजपुरी रंगमंच और लोकभाषा को माध्यम बनाकर पिछड़े समाज में चेतना की नई लहर पैदा की।
रूडी ने बताया कि भिखारी ठाकुर के नाटकों का आज भी गाँव-गाँव में मंचन होता है। उनकी रचनाओं ने बेटी बचाओ, शराबबंदी, बाल विवाह, जातीय भेदभाव जैसी कुरीतियों पर प्रभावशाली प्रहार किया। एक ऐसे दौर में जब वंचित वर्ग को अपनी बात कहने का अवसर तक नहीं था, भिखारी ठाकुर ने अपनी लेखनी से सामाजिक क्रांति की मशाल जलाई।
सांसद रूडी ने सदन से अपील की कि भिखारी ठाकुर को भारत रत्न या कम-से-कम पद्मश्री, पद्मभूषण या पद्मविभूषण जैसे राष्ट्रीय सम्मान से सम्मानित किया जाए। उन्होंने कहा कि यह न केवल भिखारी ठाकुर को श्रद्धांजलि होगी, बल्कि भोजपुरी भाषा, लोकसंस्कृति और वंचित समाज को भी राष्ट्रीय पहचान देने वाला ऐतिहासिक निर्णय होगा।
उन्होंने यह भी बताया कि वह पूर्व में इस विषय को लेकर प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी तथा गृह मंत्री श्री अमित शाह को पत्र लिख चुके हैं और पद्म सम्मान हेतु ऑनलाइन नामांकन भी भारत सरकार को भेज चुके हैं।
रूडी ने सदन के माध्यम से सभी राजनीतिक दलों से अपील की कि वे इस जनभावना और सांस्कृतिक न्याय के अभियान में सहभागी बनें और देश के इस महान लोकनायक को यथोचित सम्मान दिलाने में सहयोग करें।