छपरा सदर अस्पताल में कैंसर के मरीजों का किया जा रहा है बायोप्सी!
• कैंसर के मरीजों को जांच के लिए अब बाहर जाने की जरूरत नहीं
• होमी भाभा कैंसर संस्थान के विशेषज्ञों की देखरेख में हो रही बायोप्सी
• बायोप्सी से मिलती है सटीक जानकारी
सारण (बिहार): अब छपरा के मुंह के कैंसर (ओरल कैंसर) से पीड़ित मरीजों को जांच के लिए पटना या अन्य शहरों का रुख नहीं करना पड़ेगा। जिले के सदर अस्पताल में ओरल, ब्रेस्ट, सर्वाइकल कैंसर बायोप्सी की सुविधा शुरू कर दी गई है। इस सुविधा के तहत मरीजों के मुंह के अंदर के ऊतक (टिशू) का नमूना लेकर जांच की जाती है ताकि कैंसर की पुष्टि की जा सके। मंगलवार को सदर अस्पताल में डॉ. प्रिया (होमी भाभा कैंसर अस्पताल एवं रिसर्च सेंटर, मुजफ्फरपुर) की टीम द्वारा एक मरीज की ओरल बायोप्सी की गई।
बायोप्सी से मिलती है सटीक जानकारी
होमी भाभा कैंसर अस्पताल और रिसर्च सेंटर मुजफ्फरपुर की डॉ. प्रिया ने बताया कि ओरल बायोप्सी एक अत्यंत आवश्यक प्रक्रिया है, जिसके जरिए मुंह में होने वाले कैंसर की समय रहते पहचान की जा सकती है। उन्होंने कहा, "प्रारंभिक अवस्था में अगर कैंसर का पता चल जाए, तो उसका इलाज न केवल संभव होता है, बल्कि बहुत आसान भी हो जाता है।" बायोप्सी के लिए जीभ, होंठ या मुंह के अन्य भागों से मांस का छोटा नमूना लिया जाता है और उसे जांच के लिए प्रयोगशाला भेजा जाता है। सदर अस्पताल में ओरल, ब्रेस्ट, सर्वाइकल कैंसर के मरीजों का बायोप्सी की सुविधा उपलब्ध है। इस दौरान सीएस डॉ. सागर दुलाल सिन्हा, एनसीडीओ डॉ. भूपेंद्र सिंह, डॉ. प्रिया, नर्सिंग स्टाफ कश्यप दीपक, नीकिता, सुमित, अमृता व अन्य मौजूद थे।
मुंह के कैंसर के लक्षण
डॉ. प्रिया ने बताया कि मुंह में बनी रहने वाली किसी भी प्रकार की असहजता, घाव या दर्द की स्थिति में डॉक्टर से मिलकर इलाज कराना बहुत आवश्यक हो जाता है। यदि ये लक्षण दो सप्ताह या उससे अधिक समय तक बने रहते हैं तो इसे गंभीरता से लेते हुए डॉक्टर की सलाह के आधार पर जांच जरूर करा लेनी चाहिए, यह कैंसर का संकेत हो सकता है।
क्या है ओरल कैंसर बायोप्सी:
एनसीडीओ डॉ. भूपेंद्र सिंह ने बताया कि ओरल बायोप्सी मुंह, होंठ या गले में असामान्य ऊतक की जांच करने और यह निर्धारित करने के लिए की जाने वाली एक चिकित्सा प्रक्रिया है कि क्या यह कैंसरग्रस्त है। ओरल बायोप्सी के दौरान, डॉक्टर या दंत चिकित्सक स्थानीय एनेस्थीसिया का उपयोग करके मुंह के उस क्षेत्र को सुन्न कर देते हैं जहां से नमूना लिया जाएगा। फिर, वे एक स्केलपेल, ब्रश या अन्य उपकरण का उपयोग करके ऊतक का एक छोटा सा टुकड़ा निकालते हैं। यह नमूना विश्लेषण के लिए प्रयोगशाला में भेजा जाता है, जहां एक रोगविज्ञानी (पैथोलॉजिस्ट) यह निर्धारित करने के लिए इसकी जांच करता है कि क्या कोशिकाएं कैंसरग्रस्त हैं या नहीं।
इन बातों को नहीं करें नजर-अंदाज:
• होंठ या मुंह का घाव जो ठीक न हो रहा हो।
• मुंह के अंदर सफेद या लाल रंग का पैच नजर आना।
• दांतों में कमजोरी।
• मुंह के अंदर गांठ जैसा अनुभव होना, इसमें होने वाला दर्द।
• निगलने में कठिनाई या दर्द।
• मुंह से अक्सर बदबू आते रहने की समस्या।
जिले में कैंसर मरीजों को बड़ी राहत
सिविल सर्जन डॉ. सागर दुलाल सिन्हा ने कहा कि सदर अस्पताल में कैंसर के मरीजों के बायोप्सी की शुरुआत से जिले के मरीजों को बहुत लाभ मिलेगा। पहले जहां उन्हें जांच के लिए पटना या अन्य बड़े शहरों में जाना पड़ता था, वहीं अब यह सुविधा स्थानीय स्तर पर ही उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि जिले मंक कैंसर के प्रति जनजागरूकता बढ़ाने के लिए भी अभियान चलाया जाएगा ताकि समय रहते लक्षणों की पहचान हो सके। समय रहते जांच और इलाज से न केवल जान बचाई जा सकती है, बल्कि उपचार की जटिलता भी कम होती है। यदि आप या आपके किसी परिचित में ऐसे लक्षण दिखाई दें, तो तुरंत चिकित्सीय सलाह लें।