कालाजार नियंत्रण कार्यक्रम-
सिंथेटिक पाइरोथाइराइड (एसपी) का छिड़काव कार्य का सदर पीएचसी से हुआ शुभारंभ!
जिले के 17 प्रखंडों के 97 पंचायत अंतर्गत 140 राजस्व गांवों के 309588 कमरों में स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा किया जाएगा कीटनाशक छिड़काव:
सिवान (बिहार): कालाजार मुक्त करने के लिए जिले के विभिन्न प्रखंड क्षेत्रों के अतिप्रभावित गांवों के लोगों को जागरूक करने के लिए विशेष रूप से अभियान चलाया जा रहा है। फिलहाल कालाजार के मरीज़ों की संख्या मात्र 38 रह गई हैं। जिसमें विसराल लीशमैनियासिस (वीएल) के 17 और पोस्ट कालाजार डरमल लिश्मैनियासिस (पीकेडीएल) के 21 शामिल है। हालांकि इसकी जागरूकता के लिए स्वास्थ्य विभाग के द्वारा लगातार बैनर, पोस्टर के साथ ही प्रचार वाहन के माध्यम से गांव के हर गली व चौक चौराहों पर जिलेवासियों को जागरूक किया जाता है। जिस कारण कालाजार के मामलों में लगातार कमी आ रही है। इस संबंध में सिविल सर्जन डॉ श्रीनिवास प्रसाद ने बताया कि कालाजार रोग लिशमेनिया डोनोवानी नामक रोगाणु के कारण होता है। जो बालू मक्खी के काटने से फैलता है। साथ ही यह रोग एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भी प्रवेश कर जाता है। दो सप्ताह से अधिक बुखार व अन्य विपरीत लक्षण शरीर में महसूस होने पर अविलंब जांच कराना अति आवश्क होता है। नमी एवं अंधरे वाले स्थान पर कालाजार की मक्खियां ज्यादा फैलती हैं। यदि किसी व्यक्ति को दो सप्ताह से ज्यादा से बुखार हो, उसकी तिल्ली और जिगर बढ़ गया हो और उपचार से ठीक न हो तो उसे कालाजार हो सकता है।
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ ओम प्रकाश लाल ने बताया कि पोस्ट कालाजार डरमल लिश्मैनियासिस (पीकेडीएल) एक त्वचा रोग है जो कालाजार के बाद होता है। वहीं दो सप्ताह से ज्यादा समय से बुखार हो, खून की कमी (एनीमिया) हो, जिगर और तिल्ल्ली का बढ़ना, भूख न लगना, कमजोरी तथा वजन में कमी होना भी इसके मुख्य लक्षण हैं। सूखी, पतली, परतदार त्वचा तथा बालों का झड़ना भी इसका कुछ लक्षण दिखाई पड़ता है। इसके उपचार में विलंब से हाथ, पैर और पेट की त्वचा काली होने की शिकायतें मिलती हैं। कालाजार मरीजों को सरकारी अस्पताल में इलाज के साथ ही कालाजार संक्रमित मरीजों को सरकार द्वारा श्रम क्षतिपूर्ति के रूप में सहायता राशि भी प्रदान की जाती है। सरकार द्वारा विसरल लीशमैनियासिस (वीएल) कालाजार से पीड़ित मरीज़ को 7100 रुपये की श्रम- क्षतिपूर्ति राशि भी दी जाती है। यह राशि भारत सरकार के द्वारा 500 एवं राज्य सरकार की ओर से कालाजार राहत अभियान के अंतर्गत मुख्यमंत्री प्रोत्साहन राशि के रूप में 6600 सौ रुपये दी जाती है। वहीं पोस्ट कालाजार डर्मल लीशमैनियासिस (पीकेडीएल) कालाजार से पीड़ित मरीज को राज्य सरकार द्वारा 4000 रुपये की सहायता राशि श्रम क्षतिपूर्ति के रूप में प्रदान की जाती है।
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण सलाहकार (डीवीबीडीसी) नीरज कुमार सिंह ने बताया कि कालाजार से बचाव के लिए हमलोगों को गर्मी के दिनों में बहुत ज़्यादा सतर्कता बरतनी होगी। क्योंकि यह भी एक तरह से फैलने वाली संक्रामक जैसी बीमारी होती है। जो गर्मी के दिनों में बालू मक्खी के काटने से होती है। इसके लिए हमलोगों को अपने- अपने घरों में साफ सफ़ाई को लेकर विशेष ध्यान देने की जरूरत हैं। विसराल लीशमैनियासिस (वीएल), पोस्ट कालाजार डरमल लिश्मैनियासिस (पीकेडीएल) और एचआईवी (एड्स) - वीएल मरीजों की बात की जाए तो फिलहाल 38 मरीजों की शिनाख्त हुई है। जिसका इलाज स्वास्थ्य विभाग द्वारा किया जा रहा है। हालांकि जड़ से मिटाने के उद्देश्य से जिले के 97 पंचायतों के 140 राजस्व गांवों में 490401 जनसंख्या के 93345 घरों के 309588 कमरों में कालाजार छिड़काव कार्य का शुभारंभ किया गया है। इस अवसर पर सदर पीएचसी के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ नेसार, वीडीसीओ विकास कुमार और कुंदन कुमार, बीएचएम गुलाम रब्बानी, बीसीएम सुनीता गिरी, वीबीडीएस जावेद मियांदाद, सिफार के डीपीसी धर्मेंद्र रस्तोगी, पिरामल स्वास्थ्य के कार्यक्रम अधिकारी (पीओ) राजेश कुमार तिवारी और पीओसीडी पूर्णिमा सिंह सहित कई अन्य अधिकारी और कर्मी मौजूद रहे।