कालाजार उन्मूलन कार्यक्रम अंतर्गत आयोजित प्रशिक्षण से निकला बदलाव की उम्मीद!
संभावित रोगियों को जल्द से जल्द पहचान कर उसका समुचित उपचार उपलब्ध कराना कालाजार उन्मूलन अभियान का मूल उद्देश्य: डॉ ओपी लाल
ज़िले के तीन प्रखंडों में ग्रामीण चिकित्सको एवं सूचना प्रदाताओं को किया गया प्रशिक्षित!
सिवान (बिहार): कालाजार जैसी बीमारी के संभावित रोगियों को जल्द से जल्द पहचान कर उसका उपचार उपलब्ध कराना कालाजार उन्मूलन अभियान का मूल उद्देश्य है। उक्त बातें जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी (डीवीबीडीसीओ) डॉ ओम प्रकाश लाल ने सूचना प्रदाताओं को प्रशिक्षण के दौरान कही। उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह के पुनीत कार्य में स्थानीय स्तर पर बीमारी की जानकारी साझा करने वाले लोगों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है, जिन्हें "Key Informers" कहा जाता है। क्योंकि यही लोग सामुदायिक स्तर पर रहकर उन संभावित मरीजों की पहचान में मदद करते हैं जो कालाजार जैसे लक्षणों से ग्रसित होते हैं, लेकिन जानकारी के अभाव में या सामाजिक कारणों से अस्पताल नहीं पहुंच पाते हैं। जिले के गोरेयाकोठी, बसंतपुर और भगवानपुर हाट सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) में आयोजित यह प्रशिक्षण कार्यक्रम कालाजार उन्मूलन अभियान को धरातल पर मजबूती प्रदान करने वाला है। क्योंकि पीरामल स्वास्थ्य की ओर से यह एक पहल (प्रशिक्षण) ही नहीं बल्कि एक जनजागरण है, जिसमें ग्रामीणों की शक्ति और भागीदारी का उदाहरण उभरकर सामने आएगा। है।
जिला वेक्टर जनित रोग सलाहकार (डीवीबीडीसी) नीरज कुमार सिंह ने एकीकृत दृष्टिकोण की आवश्यकता पर जोड़ देते हुए कहा कि प्रशिक्षण कार्यक्रम इस बात का प्रमाण है कि सरकार, गैर- सरकारी या सहयोगी संस्थाओं के अलावा सामुदायिक स्तर पर कार्य करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता किसी भी बीमारी से लड़ सकते हैं। लेकिन इसके लिए एक साझा रणनीति और लोगों की भागीदारी बेहद जरूरी है। क्योंकि कालाजार जैसी बीमारी जो लंबे समय से बिहार के कुछ हिस्सों में मौजूद है, जिसको जड़ से मिटाना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है, लेकिन असंभव नहीं है। हालांकि पीरामल स्वास्थ्य के द्वारा गोरेयाकोठी, भगवानपुर हाट और बसंतपुर सीएचसी में सूचना प्रदाताओं को प्रशिक्षित करना इस दिशा में उठाया गया महत्वपूर्ण कदम है, जो आने वाले समय में असर दिखाना शुरू करेगा। सहयोगी संस्था पीरामल स्वास्थ्य का यह प्रयास न केवल स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच को सशक्त बनाने वाला है, बल्कि सामुदायिक स्तर पर नेतृत्व क्षमता और सामाजिक चेतना को भी बढ़ाता है।
पीरामल स्वास्थ्य के कार्यक्रम अधिकारी राजेश कुमार तिवारी ने बताया कि सिवान जिले के गोरेयाकोठी, भगवानपुर हाट और बसंतपुर जैसे संवेदनशील प्रखंडों से कुल 75 सूचना प्रदाताओं को डीवीबीडीसी नीरज कुमार सिंह और पीरामल स्वास्थ्य की ओर से संयुक्त रूप से प्रशिक्षित किया गया है। इन प्रशिक्षुओं में ग्रामीण चिकित्सक और सामाजिक कार्यकर्ता जो सूचना प्रदाता शामिल रहे। प्रशिक्षण के दौरान सूचना प्रदाताओं को कालाजार के लक्षण, पहचान, घरेलू भ्रमण के दौरान पूछे जाने वाले प्रश्न, संदिग्ध मरीजों की रिपोर्टिंग प्रक्रिया और रैपिड डायग्नोस्टिक किट (RDK) के उपयोग की जानकारी दी गई है। वहीं प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले सूचना प्रदाताओं से कहा गया कि इस अभियान के असली योद्धा आप लोग ही हैं। क्योंकि गांव के अंतिम व्यक्ति तक स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच तभी संभव है जब आप जैसे लोग सामने आकर अपनी जिम्मेदारियों को निभाएंगे। प्रशिक्षण के बाद प्रतिभागियों ने आश्वासन दिया कि अपने- अपने क्षेत्रों में जागरूक करने का कार्य करेंगे। कई महिला सूचना प्रदाताओं ने कहा कि अब घर- घर जाकर लोगों को इस बीमारी के लक्षणों के प्रति जागरूक करेंगी और सही समय पर स्वास्थ्य केंद्र से संपर्क करवाएंगी।
प्रशिक्षण कार्यक्रम में डीवीबीडीसीओ डॉ ओपी लाल, डीवीबीडीसी नीरज कुमार सिंह, बसंतपुर सीएचसी के एमओआईसी डॉ कुमार रवि रंजन, बीसीएम सरफराज अहमद और वीबीडीएस आरती कुमारी, गोरेयाकोठी की चिकित्सा पदाधिकारी डॉ प्रिया रानी, बीएचएम विनोद कुमार सिंह, बीएचडब्ल्यू संजय श्रीवास्तव, भगवानपुर हाट के बीएचएम मोहम्मद अलाउद्दीन, बीसीएम अनूप कुमार और वीबीडीएस जावेद मियांदाद, पीरामल स्वास्थ्य के कार्यक्रम अधिकारी राजेश कुमार तिवारी और प्रखंड समन्वयक सोनू कुमार सिंह के अलावा सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च सिफार के डीपीसी धर्मेंद्र रस्तोगी के द्वारा संयुक्त रूप से सहभागिता निभाई गई।

