लखनऊ में गूंजा दिव्यता का नाद, योग बना आत्मचेतना का उत्सव!
/// जगत दर्शन न्यूज
— प्रेरणा बुड़ाकोटी की विशेष रिपोर्ट
लखनऊ, 21 जून 2025
अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर लखनऊ एक बार फिर योगमय हो उठा। विकास नगर स्थित कल्याण मंडप परिसर सुबह की पहली किरणों के साथ एक आध्यात्मिक केंद्र में तब्दील हो गया, जहां शांति, ध्यान और दिव्यता की अनुभूति हर कोने में हो रही थी। यह कोई सामान्य आयोजन नहीं था — यह एक चेतना जागरण का सामूहिक प्रयास था, जिसमें शारीरिक व्यायाम से अधिक, आत्मचेतना का आलोक पसरा हुआ था।
वैदिक ऊर्जा से हुई शुरुआत
कार्यक्रम का शुभारंभ वैदिक मंत्रोच्चारण और सामूहिक नाम-जप कीर्तन से हुआ, जिसे साउंड हीलिंग विशेषज्ञ श्री शिखर ने अपने दिव्य स्वर से शुरू किया। जैसे ही उन्होंने कीर्तन आरंभ किया, वातावरण में एक कंपन फैल गया — जो केवल कानों तक नहीं, हृदय और आत्मा तक पहुंचा। कई प्रतिभागी आंखें मूंदकर ध्यानस्थ हो गए — मानो भीतर किसी गहरे स्रोत से रोशनी फूट रही हो।
योगकुलम् की संकल्पना, मंच से जीवन की ओर
इस आयोजन को दिशा दी योगकुलम् के संस्थापक श्री मनीष प्रताप सिंह ने। उन्होंने कहा, “हम योग को मंच की शोभा नहीं, जीवन की साधना बनाना चाहते हैं। यह दिन हमारे लिए एक तिथि नहीं, आत्मनिरीक्षण और आत्मजागरण का निमंत्रण है।”
उनके विचारों ने श्रोताओं को केवल प्रेरित नहीं किया, बल्कि उन्हें योग के प्रति आंतरिक रूप से जोड़ा।
योग से साधकों का सजीव संवाद
योग शिक्षिका अमृता गुप्ता के नेतृत्व में योगासन सत्र का आयोजन हुआ, जिसमें साधकों को सरल लेकिन प्रभावशाली आसनों से जोड़ा गया। हर एक मुद्रा के साथ उनकी सहज व्याख्या योग को केवल व्यायाम नहीं, जीवन का शुद्ध विज्ञान बना रही थी। इसके बाद विकास सिंह के प्राणायाम सत्र ने उपस्थितजनों को आंतरिक ऊर्जा के स्रोत से जोड़ा। जैसे हर श्वास के साथ कोई नया संकल्प जन्म ले रहा हो।
जब नाद बना ध्यान – साउंड हीलिंग मेडिटेशन
कार्यक्रम का सर्वाधिक हृदयस्पर्शी भाग रहा साउंड हीलिंग मेडिटेशन, जिसमें साउंड बाउल्स, मंत्र और सूक्ष्म ध्वनियों के माध्यम से ध्यान की अनुभूति कराई गई। श्री शिखर की उपस्थिति में यह ध्यान सत्र न केवल मन को शांत कर गया, बल्कि कई लोगों ने कहा –
“हमने पहली बार ध्वनि के माध्यम से भीतर की सच्ची शांति को महसूस किया।”
सामाजिक सहभागिता और सेवा की झलक
इस आयोजन की विशेष बात थी इसकी समग्र दृष्टि। सामाजिक सहभागिता के रूप में क्षेत्रीय पार्षद श्री राकेश मिश्रा और भारत विकास परिषद की अध्यक्ष श्रीमती नमिता जी जैसे गणमान्य अतिथि भी उपस्थित रहे।
कार्यक्रम में योगमेड हेल्थ टीम एवं आयुर्वेद विशेषज्ञों द्वारा निःशुल्क स्वास्थ्य परीक्षण, बीपी-शुगर जांच, और स्वास्थ्य परामर्श की सुविधा भी दी गई। साथ ही सभी आगंतुकों के लिए सात्त्विक नाश्ते की व्यवस्था की गई, जिसने तन के साथ मन को भी तृप्त किया।
सेवा का सम्मान: योग को समर्पित कर्मियों का अभिनंदन
समापन से पूर्व एक विशेष सम्मान समारोह आयोजित किया गया, जिसमें उन सभी व्यक्तियों को सम्मानित किया गया जिन्होंने योग को जन-जन तक पहुंचाने में योगदान दिया — प्रशिक्षक, महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता, और विशेष बच्चों को प्रशिक्षित करने वाली टीमें। यह केवल एक औपचारिक सम्मान नहीं, बल्कि सेवा के प्रति एक सामूहिक आभार और आशीर्वाद का भाव था।
सात दिवसीय योग शिविर की घोषणा
कार्यक्रम के अंत में श्री मनीष प्रताप सिंह ने घोषणा की कि अगले 7 दिनों तक योगकुलम् द्वारा पूर्णतः निःशुल्क विशेष योग शिविर आयोजित किया जाएगा, ताकि जो लोग योग से जुड़े, वे उसे केवल अनुभव नहीं करें — बल्कि अपने जीवन का हिस्सा बना लें।
यह आयोजन पीछे केवल स्मृतियाँ नहीं, बल्कि सामूहिक आत्मचेतना की लहर छोड़ गया। यह सिद्ध हुआ कि योग केवल आसनों का नाम नहीं — यह संवेदना, संस्कृति और सामाजिक समरसता का सेतु है। लखनऊ में गूंजता यह दिव्यता का नाद, आने वाले समय में न केवल व्यक्तिगत स्तर पर परिवर्तन लाएगा, बल्कि सामाजिक चेतना को भी एक नई दिशा देगा।