चिराग पासवान की ‘बिहार फर्स्ट’ एंट्री से NDA में बढ़ी हलचल, जदयू खेमे में नाराजगी!
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/// जगत दर्शन न्यूज |
पटना, 23 जून 2025
बिहार में लोकसभा चुनावों के ठीक बाद से शुरू हुई सियासी सरगर्मियों के बीच लोजपा (रामविलास) प्रमुख चिराग पासवान की नई भूमिका ने सत्तारूढ़ NDA गठबंधन के भीतर खलबली मचा दी है। चिराग पासवान ने बीते सप्ताह राजधानी पटना में ‘बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट’ अभियान को दोबारा तेज करते हुए स्पष्ट संकेत दिए कि वे बिहार की सियासत में अब कहीं अधिक प्रभावी भूमिका निभाने जा रहे हैं।
हालिया बयान में चिराग ने साफ तौर पर कहा, “बिहार की पहचान अब सिर्फ विकास के जरिए होगी, न कि जाति-धर्म की राजनीति से। हम बिहार को नंबर-1 राज्य बनाना चाहते हैं।” उनके इस आक्रामक अभियान और सत्ताविरोधी तेवर ने नीतीश कुमार की पार्टी जदयू को असहज कर दिया है।
जदयू में असंतोष
जदयू के भीतर यह चर्चा जोरों पर है कि चिराग पासवान के लगातार NDA में रहते हुए भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ बयान देना दोहरी भूमिका जैसा है। एक जदयू नेता ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर कहा, “अगर वह गठबंधन में हैं, तो फिर नीतीश कुमार को निशाना बनाना बंद करें। वरना गठबंधन धर्म का उल्लंघन माना जाएगा।”
नीतीश कुमार खेमे को यह भी आशंका है कि बीजेपी, चिराग पासवान के सहारे विधानसभा चुनाव 2025 में नीतीश कुमार को कमजोर करने की रणनीति अपना सकती है।
चिराग पासवान की रणनीति
चिराग पासवान इस बार जमीनी स्तर पर अधिक मजबूती से उतरने की तैयारी में हैं। उन्होंने अपनी पार्टी को सभी 243 विधानसभा सीटों पर मजबूत करने का एलान किया है। इसके साथ ही वे युवा मतदाताओं, अगड़ी-पिछड़ी जातियों और शहरी मध्यम वर्ग को टारगेट करने की रणनीति पर काम कर रहे हैं।
सियासी विश्लेषकों की मानें तो चिराग पासवान का यह कदम भाजपा के लिए एक “बैकअप प्लान” जैसा है, ताकि यदि जदयू से गठबंधन में दरार आए तो उन्हें एक भरोसेमंद सहयोगी पहले से तैयार मिले।
बीजेपी की चुप्पी
चिराग की गतिविधियों पर भाजपा ने अभी तक सार्वजनिक रूप से कोई नाराजगी नहीं जताई है, जिससे यह संदेश जा रहा है कि उसे चिराग की भूमिका पर आपत्ति नहीं है। इससे जदयू और अधिक नाराज है। सियासी गलियारों में इसे भाजपा की 'मास्टर स्ट्रोक' रणनीति बताया जा रहा है।
बिहार की राजनीति में चिराग पासवान अब केवल युवा नेता नहीं, बल्कि एक चुनौतीपूर्ण धुरी बनकर उभर रहे हैं। उनके 'बिहार फर्स्ट' अभियान ने न केवल विपक्ष, बल्कि सत्तारूढ़ गठबंधन में भी बेचैनी पैदा कर दी है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि NDA इस अंतर्विरोध से कैसे निपटता है और क्या जदयू व लोजपा (रामविलास) साथ बने रहेंगे या कोई नई राजनीतिक दिशा सामने आएगी।