वस्तु एवं सेवा कर (GST): एक व्यापक अवलोकन!
भारत में कर प्रणाली को सरल और पारदर्शी बनाने के उद्देश्य से 1 जुलाई 2017 को वस्तु एवं सेवा कर (Goods and Services Tax - GST) लागू किया गया। यह एक अप्रत्यक्ष कर है, जो वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति पर लागू होता है। यह लेख GST की विशेषताओं, प्रकारों, पंजीयन, दंड, लाभ, रिटर्न और उपलब्ध योजनाएं पर प्रकाश डालता है।
वस्तु एवं सेवा कर क्या है?
वस्तु एवं सेवा कर एक एकीकृत कर प्रणाली है, जो विभिन्न अप्रत्यक्ष करों जैसे वैट, सेवा कर, उत्पाद शुल्क आदि को समाहित करती है। यह एक गंतव्य-आधारित कर है, जो माल और सेवाओं की आपूर्ति के प्रत्येक चरण पर लगाया जाता है, लेकिन अंतिम उपभोक्ता द्वारा वहन किया जाता है। GST का मुख्य उद्देश्य करों की जटिलता को कम करना, कर चोरी को रोकना और व्यापार को सुगम बनाना है। यह कर केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा संयुक्त रूप से प्रशासित होता है। यह एक देश, एक कर की धरण को साकार करता है।
वस्तु एवं सेवा कर के प्रकार
GST को चार प्रमुख प्रकारों में वर्गीकृत किया गया है:
CGST (Central Goods and Services Tax): केंद्र सरकार द्वारा लगाया जाता है और केंद्र को प्राप्त होता है।
SGST (State Goods and Services Tax): राज्य सरकार द्वारा लगाया जाता है और राज्य को प्राप्त होता है।
IGST (Integrated Goods and Services Tax): अंतर-राज्यीय आपूर्ति पर लागू होता है और केंद्र सरकार द्वारा संग्रहित किया जाता है, जिसे बाद में राज्यों के साथ साझा किया जाता है।
UTGST (Union Territory Goods and Services Tax): केंद्र शासित प्रदेशों में लागू होता है।
इसके अलावा, GST की दरें 0%, 5%, 12%, 18% और 28% के स्लैब में विभाजित हैं, जो वस्तु या सेवा के प्रकार पर निर्भर करती हैं।
वस्तु एवं सेवा कर पंजीयन: धारा 22 और 24 का विश्लेषण
धारा 22 (जीएसटी पंजीयन की सीमा ): GST अधिनियम की धारा 22 के अनुसार, यदि किसी व्यवसायी की वार्षिक टर्नओवर (बिक्री) निर्धारित सीमा से अधिक है, तो उसे GST पंजीयन लेना अनिवार्य है। वर्तमान में सिर्फ वस्तु का क्रय-विक्रय करने वालों के लिए यह सीमा सामान्य राज्यों के लिए 40 लाख रुपये और विशेष श्रेणी के राज्यों (जैसे पूर्वोत्तर राज्य) के लिए 20 लाख रुपये है, जबकि सेवाओं के लिए यह सीमा 20 लाख रुपये (सामान्य राज्य) और 10 लाख रुपये (विशेष राज्य) है।
धारा 24 (अनिवार्य पंजीयन): कुछ विशेष मामलों में, टर्नओवर (बिक्री) की सीमा के बावजूद पंजीयन अनिवार्य है। इनमें शामिल हैं:
अंतर-राज्यीय आपूर्ति (यानि एक से अधिक राज्यों में क्रय-विक्रय) करने वाले व्यक्ति।
ऑनलाइन मार्केटप्लेस (E-Commerce) के माध्यम से आपूर्ति करने वाले।
रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म के तहत कर दायित्व वाले व्यक्ति।
गैर-निवासी कर योग्य व्यक्ति।
इनपुट सेवा वितरक।
आकस्मिक करयोग्य व्यक्ति
GST पंजीयन नहीं लेने पर दंड और कार्यवाही
यदि कोई व्यवसायी अनिवार्य पंजीयन लेने में विफल रहता है, तो उसे निम्नलिखित दंड का सामना करना पड़ सकता है:
दंड: धारा 122 के तहत, कर की राशि या 10,000 रुपये, जो भी अधिक हो, का दंड लगाया जा सकता है।
कर वसूली: बकाया कर, ब्याज (18% प्रतिवर्ष) और जुर्माना वसूला जा सकता है।
GST पंजीयन लेने के लाभ
GST पंजीयन के कई लाभ हैं:
लोन में सहायता: आप बैंक से आसानी से लोन प्राप्त कर सकते है।
कानूनी मान्यता: पंजीकृत व्यवसायी को वैध आपूर्तिकर्ता के रूप में मान्यता मिलती है।
इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC): पंजीकृत व्यक्ति खरीद पर भुगतान किए गए कर को अपनी बिक्री पर देय कर में समायोजित कर सकता है।
अंतर-राज्यीय व्यापार: पंजीयन के बिना अंतर-राज्यीय आपूर्ति संभव नहीं है।
विश्वसनीयता: ग्राहक और आपूर्तिकर्ता पंजीकृत व्यवसायियों के साथ व्यापार करना पसंद करते हैं।
ई-कॉमर्स अवसर: ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर व्यापार के लिए GST पंजीयन अनिवार्य है।
GST में रिटर्न के प्रकार और तिथियां
GST के तहत विभिन्न प्रकार के रिटर्न दाखिल करने की आवश्यकता होती है, जिनमें से प्रमुख हैं:
GSTR-1: इसमें मासिक बिक्री का विवरण देना होता है। मासिक योजना वालों के लिए इसकी तिथि अगले माह की 11 तारीख होती है। जबकि त्रैमासिक योजना वालों के लिए अगले महीने की 13 तारीख होती है।
GSTR-3B: इस रिटर्न में बिक्री और खरीद का विवरण देना होता है, साथ ही शुद्ध कर (यानि बिक्री पर देने योग्य कर को खरीद पर दिए गए कर से समायोजित करने के बाद शुद्ध कर) का भी भुगतान करना होता है। मासिक योजना वालों के लिए इसकी तिथि अगले माह की 20 तारीख होती है। जबकि त्रैमासिक योजना वालों के लिए 22 (सामान्य राज्य) और 24 (विशेष राज्य) तारीख होती है।
यदि आप इस रिटर्न को भरना भूल जाते है तो आपको ₹20 रुपये प्रतिदिन का दंड देना होगा, और यदि आपका कर देने का दायित्व बनता था तो आपको 18% वार्षिक ब्याज से साथ कर और ₹50 रुपये प्रतिदिन का दंड देना होगा।
उदाहरण 1: यदि आपने 30 तारीख को अपना GSTR-3B भरा है और आपको ₹20,000 शुद्ध कर देना बनता था, तो अब आपको ₹20,000 कर के साथ ₹99 ब्याज और ₹500 का दंड का भुगतान करना होगा।
उदाहरण 2: यदि आपने 30 तारीख को अपना GSTR-3B भरा है और आपको कोई कर देना नहीं बनता था, तो आपको सिर्फ ₹200 का दंड देना होगा।
CMP-08: कंपोजिशन योजना वाले व्यवसायियों के लिए त्रैमासिक रिटर्न, प्रत्येक तिमाही के अगले महीने के 18वें तारीख तक भरना होता है।
GST में उपलब्ध योजना
GST के तहत निम्नलिखित प्रमुख स्कीम उपलब्ध हैं:
कंपोजिशन योजना (Composition Scheme) : छोटे व्यवसायियों (टर्नओवर 1.5 करोड़ रुपये तक) के लिए, जिसमें कम कर दर (1% से 6%) पर भुगतान होता है, लेकिन ITC का लाभ नहीं मिलता। इसमें भी आपको तीन महीने के उपरांत रिटर्न भरने की सुविधा मिलता है।
त्रैमासिक योजना (Quarterly Return Monthly Payment): 5 करोड़ रुपये तक टर्नओवर वाले व्यवसायी मासिक कर भुगतान और त्रैमासिक रिटर्न दाखिल कर सकते हैं।
निष्कर्ष
वस्तु एवं सेवा कर ने भारत की कर प्रणाली को एक नया आयाम दिया है, जिससे व्यापार और कर प्रशासन में पारदर्शिता बढ़ी है। पंजीयन, रिटर्न दाखिल करना और उपलब्ध योजना का लाभ उठाना व्यवसायियों के लिए न केवल अनिवार्य है, बल्कि यह उनकी कार्यक्षमता और विश्वसनीयता को भी बढ़ाता है। व्यवसायियों को GST नियमों का पालन करके न केवल कानूनी दंड से बचना चाहिए, बल्कि इसके लाभों का उपयोग करके अपने व्यवसाय को नई ऊंचाइयों तक ले जाना चाहिए।
✍️ प्रकाश कुमार (चार्टड अकाउंटेंट छात्र)
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