कालाजार उन्मूलन अभियान- घर-घर रोगी खोज अभियान संपन्न, 16 संदिग्ध मरीजों की पहचान!
कालाजार के मामलों की समय रहते पहचान कर त्वरित इलाज उपलब्ध कराना मुख्य उद्देश्य: डॉ ओपी लाल
139 राजस्व गांव के 43978 घरों का भ्रमण कर संदिग्ध मरीजों को हुई पहचान: डीवीबीडीसी
सिवान (बिहार): स्वास्थ्य विभाग द्वारा संचालित कालाजार उन्मूलन अभियान के अंतर्गत जिले में (01 जून से 15 जून तक ) आयोजित घर- घर रोगी खोज अभियान सफलता पूर्वक संपन्न करा लिया गया है। इस अभियान के दौरान स्वास्थ्य कर्मियों की टीम ने जिले के हसनपुरा और दरौली प्रखंड को छोड़कर शेष अन्य 17 प्रखंड के विभिन्न क्षेत्रों में व्यापक स्तर पर सर्वे कराया गया है, जहां 16 नए संदिग्ध कालाजार मरीजों की पहचान की गई है। इस संबंध में सिविल सर्जन डॉ श्रीनिवास प्रसाद ने बताया कि विशेष रूप से इस अभियान को केंद्रित किया गया था जहां पूर्व में कालाजार के मामले सामने आ चुके हैं या जिन क्षेत्रों को संवेदनशील श्रेणी में रखा गया है। इस अभियान के तहत आशा कार्यकर्ता, एएनएम, पीरामल स्वास्थ्य संस्था तथा अन्य स्वास्थ्य कर्मियों ने सामूहिक रूप से घर- घर जाकर लोगों की स्वास्थ्य जांच की है। उन्हीं लक्षणों के आधार पर संदिग्ध मरीजों की सूची तैयार की गई है। संदिग्ध मरीजों में बुखार की लगातार शिकायत, वजन में कमी, तिल्ली व यकृत का बढ़ना जैसे लक्षण पाए गए हैं। इन सभी 16 संदिग्ध मरीजों को प्राथमिक स्तर पर चिन्हित करते हुए आवश्यकतानुसार जांच के लिए सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर भेजा गया है। जहां स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के द्वारा कालाजार मरीजों की पहचान की गई है। इन सभी मरीजों को निःशुल्क उपचार उपलब्ध कराया जाएगा।
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी (डीवीबीडीसीओ) डॉ ओम प्रकाश लाल ने बताया कि इस अभियान का मुख्य उद्देश्य कालाजार के मामलों की समय रहते पहचान कर त्वरित इलाज उपलब्ध कराना है ताकि बीमारी के प्रसार को आसानी से रोका जा सके। क्योंकि हमारा लक्ष्य है कि जल्द से जल्द सिवान जिला को कालाजार मुक्त घोषित किया जा सके। ग्रामीण क्षेत्रों में पंचायत प्रतिनिधियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की भागीदारी ने अभियान को शत प्रतिशत सफल बनाया है। इसके साथ ही स्वास्थ्य विभाग द्वारा इस अभियान के उपरांत संदिग्ध मरीजों की लगातार निगरानी और फॉलोअप की व्यवस्था सुनिश्चित की गई है। वहीं इस अभियान में पीरामल स्वास्थ्य, डब्ल्यू एच ओ के अलावा सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सिफार) की भूमिका को काफी महत्वपूर्ण रही हैं। क्योंकि मीडिया के माध्यम से जिले में जागरूकता अभियान में अहम योगदान रहा है। पीरामल स्वास्थ्य के कार्यक्रम प्रमुख और ग्रामीण कार्यकर्ताओं में पीओसीडी के द्वारा सर्वेक्षण कार्य और मूल्यांकन में अहम भूमिका निभाई है।
जिला वेक्टर जनित रोग सलाहकार (डीवीबीडीसी) नीरज कुमार सिंह ने बताया कि कालाजार के खिलाफ चलाए जा रहे इस सघन अभियान ने जिले में एक नई उम्मीद जगाई है और यह संदेश दिया है कि जनसहभागिता और समय पर कार्रवाई से कालाजार जैसी गंभीर बीमारी को भी जड़ से खत्म किया जा सकता है।कालाजार से पीड़ित मरीजों को मुख्यमंत्री कालाजार राहत योजना के तहत श्रम क्षतिपूर्ति के रूप में पैसे भी दिए जाते हैं। बीमार व्यक्ति को 6600 रुपये राज्य सरकार की ओर से और 500 रुपए केंद्र सरकार की ओर से दिए जाते हैं। यह राशि वीएल (ब्लड रिलेटेड) कालाजार में रोगी को प्रदान की जाती है। वहीं चमड़ी से जुड़े कालाजार (पीकेडीएल) में 4000 रुपये की राशि केंद्र सरकार की ओर से दी जाती है। सरकारी स्वास्थ्य केंद्र पर कालाजार जांच की सुविधा उपलब्ध है। कालाजार की किट (आरके-39) से 10 से 15 मिनट के अंदर टेस्ट हो जाता है। हसनपुरा और दरौली प्रखंड को छोड़कर सभी सभी अन्य 17 प्रखंडों में घर घर रोगी खोज अभियान सफलता पूर्वक संपन्न कराया गया। जहां 227468 जनसंख्या वाले 139 राजस्व गांव के 43978 गृह भ्रमण हुआ है, जिसमें 16 संदिग्ध मरीजों की पहचान हुई है।