गर्भवती महिलाएं और नवजात शिशुओं के लिए वरदान साबित हो रहा है मॉडल टीकाकरण कॉर्नर!
सदर अस्पताल सहित जिले के सभी सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में टीकाकरण का बेहतर इंतजाम: सिविल सर्जन
गंभीर बीमारियों के प्रभाव से सुरक्षित रखने में टीकाकरण का महत्वपूर्ण योगदान: डीआईओ
टीकाकरण को लेकर सरकारी चिकित्सा संस्थान लोगों के लिए बेहतर विकल्प:
सारण (बिहार): कभी आतंक का प्रयाय माने जाने वाले चेचक, खसरा, पोलियो, हैजा सहित कई अन्य जानलेवा बीमारियो के प्रभाव से आज हम खुद को पूरी तरह महफूज हैं। क्योंकि सदर अस्पताल सहित जिले के सभी स्वास्थ्य संस्थानों यानि एसडीएच, रेफरल अस्पताल, सीएचसी, पीएचसी, एपीएचसी, एचएससी और हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर (आयुष्मान आरोग्य मंदिर) द्वारा प्रतिदिन प्रशिक्षित स्टाफ नर्स और एएनएम के द्वारा टीकाकरण कार्य को संपादित किया जाता है। क्योंकि गर्भवती माताएं और उनके होने वाले शिशुओं को कई प्रकार की गंभीर बीमारियों के प्रभाव से मुक्त रखने में आज रोग रोधी टीकाकरण का महत्वपूर्ण योगदान है। इस संबंध में सिविल सर्जन डॉ श्रीनिवास प्रसाद ने बताया कि विभिन्न प्रकार के टीकों की स्वीकार्यता को बढ़ाते हुए शत प्रतिशत टीकाकरण का लक्ष्य को पूरा कर इसकी उपयोगिता के संबंध में लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से अप्रैल महीने के अंतिम सप्ताह यानी 24 से 30 अप्रैल तक प्रत्येक वर्ष विश्व स्तर पर टीकाकरण सप्ताह आयोजित किया जाता है। हालांकि बीमारियो को रोकने के लिए विभिन्न प्रकार के टीकों का आविष्कार मानवता के इतिहास की सबसे बड़ी उपलब्धियों में शुमार है। गर्भवती महिलाएं सहित नवजात शिशुओं को कई प्रकार की गंभीर बीमारियां संपूर्ण टीकाकरण कराने से प्रत्येक वर्ष लाखों लोगों की जान बचाई जाती है।
गंभीर बीमारियों के प्रभाव से सुरक्षित रखने में टीकाकरण का महत्वपूर्ण योगदान: डीआईओ
जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ अरविंद कुमार ने बताया कि सदर अस्पताल परिसर स्थित मॉडल टीकाकरण कॉर्नर में अत्याधुनिक सुविधाओं से परिपूर्ण, स्वच्छ और शांत वातारण में गर्भवती महिलाएं और नवजात शिशुओं को प्रशिक्षित नर्स द्वारा टीकाकृत किया जाता है। जबकि इसके अलावा जिले के सभी सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में संक्रमण मुक्त टीकाकरण का बेहतर इंतज़ाम किया गया है। ताकि बच्चों को संपूर्ण टीकाकरण कराने के बाद 12 तरह की बीमारियों से बचाया जा सके। जो सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में सभी प्रकार की टीके प्रशिक्षित और अनुभवी स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा पूरी तरह से निःशुल्क दिया जाता हैं। क्योंकि बच्चों को विभिन्न बीमारियों से लड़ने के लिए रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में टीकाकरण कारगर साबित हो सकें। जबकि जिले के सभी प्रखंड मुख्यालय स्थित सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के अलावा हेल्थ एंड वैलनेस सेंटर (एचडब्ल्यूसी) में टीकाकरण का उत्तम प्रबंध रहता है। आपके गांव में जब सरकारी अस्पताल में हर तरह की सुख सुविधाओं सहित टीकाकरण कराया जाता है तो फिर निजी अस्पताल में जाने की कोई जरूरत नहीं है।
टीकाकरण को लेकर सरकारी चिकित्सा संस्थान लोगों के लिए बेहतर विकल्प: यूनिसेफ
यूनिसेफ के एसएमसी कामरान अहमद ने बताया कि नवजात शिशुओं को जन्म के बाद बीसीजी, ओरल पोलियो और हेपेटाइटस बी का टीका लगाया जाता है। वहीं जब बच्चे 06 सप्ताह की उम्र के होते हैं, तो उन्हें डीपीटी- 1, आइपीवी- 1, ओपीवी- 1, रोटावायरस- 1, न्यूमोकॉकल कॉन्जुगेट टीकाकरण किया जाता है। लेकिन 10 सप्ताह पूरे होने के बाद डीपीटी- 2, ओपीवी- 2 व रोटावायरस- 2 दिया जाता है। जबकि 14 सप्ताह के बाद डीपीटी- 3, ओपीवी- 3, रोटावायरस- 3, आइपीवी- 2 और पीसीवी- 2 दिया जाता है। वहीं 09 से 12 महीने के अंदर जेई - 1, आईपीवी का तीसरा टीका साथ ही विटामिन ए की पहली खुराक दी जाती है। खसरा और रुबेला- 1 दिया जाता है। इसी तरह 16 से 24 माह पर खसरा- 2, डीपीटी बूस्टर- 1, ओपीवी बूस्टर दिया जाता है। पांच से छह साल पर डीपीटी बूस्टर- 2 टीके लगाए जाते है। दस तथा 16 वर्ष के बाद टेटनस एंड एडल्ट डिप्थीरिया टीकाकरण दिया जाता है। हालांकि जिले के विभिन्न प्रखंडों में किसी कारणवश टीकाकरण से वंचित लाभार्थियों को शत प्रतिशत टीकाकरण को लेकर एएनएम, आशा कार्यकर्ता और आंगनबाड़ी सेविकाओं के द्वारा जागरूकता अभियान चलाया जाता है। ताकि शत प्रतिशत टीकाकरण सुनिश्चित किया जाए।