बिहार विधानसभा चुनाव:2025
बिहार में होली का हुड़दंग और प्रशांत किशोर की जयकार के नारे!
✍️ राजीव कुमार झा
प्रशांत किशोर के खिलाफ बिहार सरकार को कार्रवाई करनी चाहिए। यह कोई राजनीतिक कार्यक्रम नहीं है कि वे लोगों को दस हजार या दो हजार रुपए देने का प्रलोभन देकर चुनावों में सुराज पार्टी की वोट बैंकिंग शुरू करें। क्या वह साफ - साफ जनता को यह बताने की कृपा करेंगे कि वे पैसा कहां से लाकर लोगों के बीच बांटेंगे। राजनीतिक उद्देश्य के लिए सरकारी कोष के दुरूपयोग की प्रवृत्ति भारत को कमजोर देश बना रही है। यहां बिहार में सरकार ने तो ठीक से अस्पताल में अल्ट्रासाउंड मशीन बैठा पा रही है और न ही कालेज की बिल्डिंग बनवा पा रही है और न ही स्कूलों में बेंच टेबल बन पा रहे हैं। सरकारी दर पर चलने वाली बसों की सुविधा भी यहां नहीं है। नीतीश कुमार ने स्कूल कालेज में पढ़ने वाली लड़कियों और कुछ अन्य लोगों में जो पैसा बंटवाया वह ग़लत नहीं कहा जा सकता है। यह बहुत अजीब है कि प्रशांत किशोर को पटना पुलिस ने गिरफ्तार तो किया लेकिन फिर फतुहा हास्पिटल में इलाज कराकर छोड़ दिया। उन पर मुकदमा भी दर्ज नहीं हुआ और आखिर बिहार की सरकारी नौकरियों की प्रतियोगिता परीक्षाओं में प्रश्न पत्र अनुचित क्रिया कलापों में संलग्न लोग ही तो आउट कराते हैं। बिहार सरकार ने बिहार में घटित ऐसे ज्यादातर मामलों को लेकर संतोषजनक कार्रवाई की है।
प्रशांत किशोर प्रश्न पत्र आउट या लीक होने की घटना को राजनीतिक मुद्दा बना रहे थे और आज उनकी राजनीति में कोई दल की कोई इज्जत प्रतिष्ठा नहीं है। वे अपना एकाकी रास्ता थामकर बिहार की सत्ता पर कब्जा करने की फिराक में अगर हैं तो सबके साथ राजनीति की बात फिर कैसे कर रहे हैं। यहां जनता सभी पार्टियों के साथ में है।
अब यहां विधानसभा चुनाव से पहले सारी पार्टियां प्रशांत किशोर की तरह रुपए पैसे बांटने की बात करने लगेंगी। अगर सरकार शराबबंदी खत्म कर दें तो प्रशांत किशोर के पैसों से यहां लोग फिर शराब पीने लगेंगे और उनके जिंदाबाद के नारे होली के हुड़दंग में लगने लगेंगे।
नोट: यह लेखक का अपना मंतव्य है।