कृषि विज्ञान केन्द्र मॉझी द्वारा प्रसार कर्मचारियों के लिए प्राकृतिक खेती विषय पर तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू!
सारण (बिहार) संवाददाता मनोज सिंह: प्राकृतिक खेती की ओर रुझान बढ़ाने के उद्देश्य से कृषि विज्ञान केन्द्र मॉझी द्वारा प्रसार कर्मचारियों के लिए प्राकृतिक खेती विषय पर तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रशिक्षण कक्ष में मंगलवार को शुरू किया गया जो गुरुवार को सम्पन्न होगा।
इस दौरान केवीके के वरीय वैज्ञानिक एवं प्रधान डॉ. संजय कुमार राय ने प्रसार कर्मचारियों से कहा कि इस समय प्राकृतिक खेती की बहुत आवश्यकता है क्योंकि वर्तमान समय में उर्वरकों व एग्रो- केमिक्ल्स के दामों (मूल्यों) में काफी बढ़ोतरी के साथ-साथ समय पर आपूर्ति की भी समस्या आ रही हैं। ऐसे में हमें इनके विकल्प की ओर देखना अति आवश्यक है। उद्यान विशेषज्ञ डॉ. जितेन्द्र चंदोला ने बताया कि हमें अपने खेतों में सूक्ष्मजीवों एवं केंचुआ इत्यादि को सक्रिय कर कृषि लागत को कम किया जा सकता है। ये पोषक तत्त्वों को उपलब्ध कराने में बहुत ही मददगार होते हैं। साथ ही मिट्टी की उर्वरा शक्ति को भी बढाया जा सकता है। लगातार भूमि पर रासायनिक कीटनाशकों, खादों का प्रयोग तथा भूमि को प्रतिवर्ष पलटने से भूमि की उर्वरा शक्ति लगभग समाप्त हो चली है। हानिकारक कीटनाशकों के उपयोग से भूमि की उर्वरा शक्ति कम होने के साथ-साथ कृषि की लागत भी बढ़ रही है। रासायनिक खेती से मिट्टी की गुणवत्ता में और मनुष्यों के स्वास्थ्य में भी गिरावट आई है। किसानों की पैदावार का आधा हिस्सा उनके उर्वरक और कीटनाशक में ही चला जाता है। यदि किसान खेती में अधिक मुनाफा कमाना चाहते हैं तो उन्हें प्राकृतिक खेती की तरफ अग्रसर होना चाहिए। रासायनिक खाद और कीटनाशक के उपयोग से मिट्टी की उर्वरा क्षमता काफी कम हो गई है जिससे मिट्टी के पोषक तत्वों का संतुलन बिगड़ गया है। मिट्टी की उर्वरक क्षमता को देखते हुए प्राकृतिक खेती जरूरी हो गया है। साथ ही उन्होंने प्राकृतिक खेती में उपयोग होने वाले उपकरणों एवं प्राकृतिक खेती से मृदा स्वास्थ्य में सुधार के बारे में भी विस्तार से बताया। डॉ जीर विनायक ने प्राकृतिक खेती से कीट एवं रोगों के प्रबंधन तथा कार्यक्रम सहायक डॉ0 विजय कुमार ने किसानों को प्राकृतिक खेती के चार स्तंभ एवं सिद्वांत, जीवामृत, घनजीवामृत, बीजामृत एवं नीमास्त्र इत्यादि बनाने की विधि एवं विभिन्न फसलों में उपयोग की विस्तृत जानकारी भी दी गईl यहां प्राकृतिक खेती की अधिक संभावना है इन बातों को ध्यान में रखते हुए कृषि विज्ञान केन्द्र मांझी में प्राकृतिक खेती पर प्रशिक्षण चल रहा है। जिसके तहत प्रसार कर्मचारियों को प्राकृतिक खेती की महत्ता,आवश्यकता एवं लाभ पर विस्तृत जानकारी दी जा रही है।प्रशिक्षण कार्यक्रम में सारण जिले के माँझी, रिवीलगंज, एकमा एवं जलालपुर प्रखंड के 28 एटीएम, बीटीएम एवं किसान सलाहकार भाग ले रहे हैं।