आज सातवें दिन आकाल मृत्यु हरणी की होती है पूजा!
माँ अम्बिका के प्रातः कालीन आरती में उमड़ा जन सैलाब!
///जगत दर्शन न्यूज
सारण (बिहार): आज सप्तमी को सातवें दिन माँ अम्बिका के प्रातः कालीन आरती में उमरा जन सैलाब! आज कालरात्रि के स्वरुप की पूजा होती है। काली माँ को आकाल मृत्यु हरणी कहा गया है। इनके उपासना से अतुलित बल की प्राप्ति होती है। शास्त्रीय मतानुसार आज जो भीं भक्त शापोद्वार मंत्र से शुरु कर कील, कवच, अर्गला, नवार्ण विधि व जप के साथ माँ दुर्गा के पाठ तेरहों अध्याय का पाठ उसके बाद तीनो रहस्यों वैकृत रहस्य, मूर्ति रहस्य आदि संपूर्ण पाठ निष्ठा व भक्ति के साथ करते हैं। उन पर व उनके परिवार पर मां कालिका की असीम कृपा प्राप्त होती है। आज के दिन जो भक्त अपने व अपने परिवार के लिए संकल्पित होकर माँ की आराधना किसी सिद्ध पीठ या शक्ति स्थल पर करतें है उनके मनोरथ पूर्ण होते हैं।
आमी मे आज भगवती अम्बिका के सातवें दिन के प्रातः कालीन आरती मे जन सैलाब उमड़ते देखा गया।पूजन श्रृंगार व आरती के बाद दर्जनों आचार्यों ने आदि शक्ति अम्बिका भवानी की जन कल्याण हेतु स्तुति की। इसके बाद आम भक्तों के लिए दरबार का पट्ट खोल दिया गया। नवरात्र मे सप्तमी से नवमी तक विशेष पूजा अर्चना होती है। सभी मूर्ति के आंख आज से खुल जाते है। अम्बिका भवानी के दरबार भी सप्तमी के दिन से गुलजार हो जाता है। शास्त्रों मे बताया गया है कि माँ के दरबार में नंगे पांव जो मत्था टेकते हैं। उनका कदम पावन दरबार मे परते हीं देवी माँ शरीर के समस्त नकारात्मक उर्जा का हरण कर उनमें सकारात्मक उर्जा भर देती हैं। अपने घर से देवी दरबार मे जाने के लिए जितने कदम परते है वे तीर्थयात्रा जैसा पावन व महत्वपूर्ण होता है। नवरात्र मे मनुष्य के लिए अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष की आकांक्षा से उपवास व नवरात्र पाठ करता है।