जीवन के प्रथम सिद्धांत बाल साहित्य पर हुई विचार गोष्ठी!
नई दिल्ली: संवाददाता प्रेरणा बुड़ाकोटी: माँ सरस्वती राष्ट्रीय काव्य मंच भारत पर विद्यालयों में रविवार को बाल साहित्य की आवश्यकता विषय पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें सम्पूर्ण देश के प्रतिष्ठित साहित्यकार भाइयों और बहनों ने सहभागिता की तथा बाल साहित्य पर अपनी अलग-अलग विचारधाराएं प्रस्तुत किए। बच्चों के जीवन में बाल साहित्य घर से लेकर पाठशाला तक विशेष रूप से लागू करने की आवश्यकता पर बल दिया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि डॉ वंदना बिहार, अध्यक्ष मीरा सक्सेना नई दिल्ली, विशिष्ट अतिथि डॉ शरद नारायण खरे मध्यप्रदेश, संरक्षिका माला सिंह उत्तर प्रदेश,प्रसारिका प्रेरणा बुड़ाकोटी नई दिल्ली, विशेष मार्गदर्शक भारत भूषण वर्मा हरियाणा, मंच संचालक सुनंदा गावंडे बुरहानपुर, कार्यक्रम आयोजक रतिराम गढ़ेवाल छत्तीसगढ़ तथा मंच संस्थापक महेश प्रसाद शर्मा मध्य प्रदेश, विशेष दस साहित्यकार उपस्थित रहे।
सभी साहित्यकारों ने बाल साहित्य को प्राथमिकता देते हुए कहा कि बच्चों के जीवन सिद्धांत में बाल साहित्य का महत्व अत्यंत है। इससे बच्चों का मनोवैज्ञानिक विकास सहज होता है और उनके सामाजिक सांस्कृतिक विकास में भी मदद मिलती है। पुराणों से लेकर आज तक बच्चों को कथा और कविताएं के माध्यम से अनेकों तरह की ज्ञान उपयोगी कहानियाँ सिखाई गईं। बच्चों के लिए बाल साहित्य का महत्वपूर्ण स्थान है और यहाँ तक देखा गया है कि महान लेखक भी बच्चों के साथ बच्चों की भावनाओं को समझकर रचनाएँ बनाते हैं। इसलिएबच्चों के मन में बाल साहित्य को बढ़ावा देना अत्यंत आवश्यक है। बाल साहित्य द्वारा बच्चे संस्कृत और संस्कारों से जुड़े रहते हैं। अपनी भाषा को सरलता से सीखते हैं। बाल साहित्य द्वारा ही बच्चों का मनोरंजन के साथ-साथ रचनात्मक ज्ञान भी बढ़ता है।
बच्चों के विकास के लिए सही माहौल होना ज़रूरी है। उन्हें सही मार्गदर्शक दिखाना एवं उनका सही विकास करना, निर्माण करना एवं समाज का सामाजिक दायित्व है। इसलिए, बच्चों के बीच अच्छा बाल साहित्य बनाए रखना जरूरी है।