विकसित भारत की नई पहचान,
परिवार नियोजन हर दंपती कि शान!
सराहनीय प्रयास: परिवार नियोजन को लेकर दलित बस्ती में हुआ चौपाल का आयोजन!
विभागीय स्तर पर परिवार नियोजन से संबंधित सभी तरह की आवश्यक सुविधाएं निःशुल्क: एमओआईसी
सिवान (बिहार): विकशित भारत की नई पहचान, परिवार नियोजन हर दंपती कि शान कार्यक्रम के अंतर्गत बसंतपुर प्रखंड अंतर्गत सिपाह मखतब दलित बस्ती ग्राम में चौपाल का आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता स्थानीय प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ कुमार रवि रंजन ने किया। इस दौरान प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ कुमार रवि रंजन के द्वारा ओआरएस और जिंक टैबलेट का वितरण करने के बाद बताया गया की दस्त के दौरान दो माह से छः माह तक के बच्चो को 10mg और छः माह से लेकर पांच साल तक के बच्चो को 20mg जिंक 14 दिन तक लगातार देना चाहिए। साथ ही हाथ धोने के फायदे पर चर्चा किया गया। उन्होंने यह भी कहा कि परिवार नियोजन स्वस्थ व समृद्ध परिवार का आधार है। क्योंकि यह परिवार का आकार छोटा रखने, दो बच्चों के बीच पर्याप्त अंतर रखने का सुलभ व आसान माध्यम है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा परिवार नियोजन से संबंधित सभी तरह की आवश्यक सुविधाएं लोगों को निःशुल्क उपलब्ध करायी जाती हैं। जिस कारण हाल के दिनों में परिवार नियोजन सेवाओं के प्रति लोगों का विश्वास बढ़ा है। स्थाई साधनों के साथ गर्भ निरोध के अस्थाई साधन भी तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं।
परिवार नियोजन के अस्थायी उपाय भी हो रहा लोकप्रिय: सिविल सर्जन
सिविल सर्जन डॉ श्री निवास कुमार के अनुसार एनएफएचएस के आंकड़ों के मुताबिक जिले में पांच साल के दौरान नियोजन से संबंधित उपाय अपनाने वाले परिवार की संख्या में 20 फीसदी वृद्धि हुई है। वहीं जिले में 15 से 49 वर्ष के बीच मां बनने वाली 46 फीसदी महिलाएं किसी न किसी नियोजन उपायों को अपनाती हैं। जिसमें 42 फीसदी महिलाएं नियोजन के लिए आधुनिक तरीकों पर विश्वास करती हैं। स्थायी नियोजन के प्रति लोगों का विश्वास बढ़ कर 36 प्रतिशत तक पहुंच गया है। हालांकि वर्तमान में 0.1 प्रतिशत महिलाएं आईयूपीडी, पीपीआईयूडी का इस्तेमाल करती हैं। वहीं 0.9 फीसदी महिलाएं गर्भ निरोधक गोलियों का इस्तेमाल करती हैं। रिपोर्ट के मुताबिक नियोजन के लिए लगभग 05 फीसदी कंडोम या गर्भ निरोधक इंजेक्शन का इस्तेमाल होता है।
मां एवं बच्चों के स्वास्थ्य में परिवार नियोजन की भूमिका को लेकर की गई चर्चा: पीरामल स्वास्थ्य
कार्यक्रम के दौरान पिरामल स्वास्थ्य के कार्यक्रम प्रमुख मिथिलेश कुमार ने कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चा करते हुए कहा कि मां एवं बच्चों के स्वास्थ्य को परिवार नियोजन के माध्यम से कैसे स्वस्थ्य रखा जाए। लड़कियों की शादी की उम्र 18 वर्ष में होनी चाहिए। साथ ही उसका पहला बच्चा 20 वर्ष में, जबकि दो बच्चो में तीन साल का अंतर एवं दो बच्चों के बाद स्थाई साधन एवं नए योग्य दंपतियों के लिए अस्थायी साधन के इस्तेमाल पर चर्चा की गई। ताकि मां एवं बच्चों की सेहत ठीक रहे, साथ ही देश में बढ़ती जनसंख्या को कम किया जा सके, इस कार्यक्रम के अलावा लोगो को बच्चो में डायरिया के संक्रमण से बचाव के लिए भी जागरूक किया गया। इस अवसर प्रखंड कार्यक्रम प्रबंधक सह सामुदायिक उत्प्ररेक सरफराज अहमद, एसडीसी सोनू कुमार, सीएचओ टीपू सुल्तान, एएनएम जुली कुमारी, अरुणा तिवारी के अलावा क्षेत्र की सभी आशा कार्यकर्ता एवं आंगनबाड़ी सेविका, जीविका के सदस्यों सहित दर्जनों की संख्या में योग्य दंपति एवं ग्रामीण उपस्थित थे।