बिहार के राज्यपाल ने शिक्षा व्यवस्था पर जताया दुख!
कहा- केके पाठक के असंवैधानिक और निरंकुश आदेशों पर तत्काल रोक लगाये सरकार!
पटना (बिहार): बिहार राज्य के सभी शिक्षकों की अब दर्द को महामहिम राज्यपाल ने सुन लिया है।आपको बता दें कि विगत कई माह से बिहार के शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के के पाठक के द्वारा लगातार कई दिशा निर्देश दिए जा रहे थे, जिस पर की बिहार के सभी शिक्षकों ने आपत्ति जताई थी। पिछले 19 दिसंबर को राज्य के 15 विधान पार्षदों ने राज्यपाल को ज्ञापन देकर केके पाठक की शिकायत की थी। इसी को लेकर बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने राज्य सरकार को कहा है कि वह शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक के असंवैधानिक और निरंकुश आदेशों पर तत्काल रोक लगाये। इसके लिए राज्यपाल के प्रधान सचिव ने इस संबंध में बिहार के मुख्य सचिव आमिर सुबहानी को पत्र भेजा है।
राज्यपाल के प्रधान सचिव रॉबर्ट चोंगथू की ओर से मुख्य सचिव को भेजे गये पत्र में कहा गया है कि 19 दिसंबर को 15 विधान पार्षदों का एक प्रतिनिधि मंडल राज्यपाल से मिला था और उन्हें एक ज्ञापन सौंपा था, जिसमे बताया गया था कि शिक्षा विभाग लगातार असंवैधानिक, निरंकुश आदेश जारी कर रहा है। यहां तक कि विधान पार्षदों को भारत के संविधान के अनुच्छेद 194 के तहत मिले विशेषाधिकार का भी हनन किया जा रहा है। इसके लिए विधान पार्षदों ने राज्यपाल से शिक्षा विभाग के गलत आदेशों को रद्द करने के साथ-साथ इसे जारी करने वाले अधिकारियों के खिलाफ उचित कार्रवाई की अपील की गयी है। विधान पार्षदों ने इस संबंध में कई उदाहरण भी दिये हैं।
वहीं राजभवन की ओर से मुख्य सचिव को लिखे गये पत्र में कहा गया है कि माननीय राज्यपाल ने विधान पार्षदों द्वारा उठाये गये सभी मुद्दों पर विचार करने के पश्चात उनका मानना है कि बिहार के शिक्षा विभाग के ऐसे कृत्यों को देखर ये प्रतीत होता है कि शिक्षा विभाग राज्य में शैक्षणिक माहौल को नष्ट करने पर आमादा है।ऐसे में राज्यपाल की ओर से निर्देश दिया गया है कि राज्य सरकार ऐसे आदेशों और काम पर रोक लगाने के लिए तत्काल आवश्यक कदम उठाये।। आपको बता दें कि 19 दिसंबर को विधान पार्षदों ने राज्यपाल से मिलकर शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक की शिकायत की थी। शिकायत करने वालों में सबसे ज्यादा विधान पार्षद सत्तापक्ष के ही थे। विधान पार्षदों ने कहा था कि केके पाठक अब विधान पार्षदों पर भी कार्रवाई कर रहे हैं। विधान पार्षद और रिटायर्ड प्रोफेसर संजय कुमार सिंह का पेंशन रोक दिया गया है। शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने विश्वविद्यालयों एवं अंगीभूत महाविद्यालयों में प्रतिदिन हरेक शिक्षक के लिए पांच कक्षाएं लेने को अनिवार्य करने का आदेश जारी किया है। जबकि यूनिवर्सिटी और कॉलेज में एक शिक्षक के लिए प्रतिदिन पांच कक्षा लेना संभव नहीं है। विधान पार्षदों ने कहा था कि शिक्षा विभाग द्वारा हाल के दिनों में विश्वविद्यालयों को दिए गए कई आदेश अलोकतांत्रिक और अव्यवहारिक हैं।
वहीं सभी सरकारी स्कूलों में शिक्षकों को 9 बजे से 5 बजे तक मौजूद रहने का आदेश जारी कर दिया गया है। देश में कहीं ऐसी व्यवस्था नहीं है। विधान पार्षदों ने राज्यपाल को कहा था कि बिहार में शैक्षणिक माहौल कायम रखने के लिए केके पाठक को पद से तत्काल हटाया जाना जरूरी है। राज्यपाल को ज्ञापन देने वालों में भाकपा के प्रो. संजय कुमार सिंह, जदयू के डा. संजीव कुमार सिंह, प्रो. वीरेन्द्र नारायण यादव, रेखा कुमारी, राजद के अजय कुमार सिंह, कुमार नागेन्द्र, डा. रामबली सिंह, कांग्रेस के डा. मदन मोहन झा, समीर कुमार सिंह, प्रेमचंद मिश्रा, भाजपा के सर्वेश कुमार सिंह, डा. संजय पासवान, जन सुराज के डा. सच्चिदानंद राय तथा अफाक अहमद, निर्दलीय महेश्वर सिंह शामिल थे।
सीएम से भी आज की शिकायत
इन विधान पार्षदों ने बुधवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी ज्ञापन सौंप कर केके पाठक के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।विधान पार्षदों ने मुख्यमंत्री से कहा है कि वे केके पाठक के अलोकतांत्रिक, अनियमित, अव्यवहारिक आदेशों पर तत्काल रोक लगायें।
जदयू एमएलसी वीरेंद्र नारायण सिंह मिले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से!
आपको बता दें कि आज बुधवार को जदयू एमएलसी वीरेंद्र नारायण सिंह ने शिक्षकों की समस्याओं को लेकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने कहा कि सरकारी विद्यालयों में शिक्षकों की ड्यूटी 9:00 बजे से लेकर 5:00 तक बिल्कुल असंवैधानिक है। इसके लिए उन्होंने सरकार से विनती की कि स्कूलों में यह ड्यूटी 10:00 बजे से 4:00 तक कर दिया जाए। इसके जवाब में एमएलसी वीरेंद्र नारायण सिंह ने कहा कि अब जल्द ही स्कूल का समय सारणी 10:00 बजे से 4:00 तक होगा, क्योंकि उनकी मांग को मुख्यमंत्री ने गंभीरता से लिया है।