जीवित्पुत्रिका का व्रत 6 अक्टूबर को! आखिर क्यों?
✍️आचार्य धनंजय दुबे
जीवित्पुत्रिका का व्रत 6 अक्टूबर 2023 शुक्रवार को मनाया जाएगा तथा इस व्रत का पारण 7 अक्टूबर 2023 शनिवार को अष्टमी तिथि समाप्ति यानी सुबह 10:21 के पश्चात किया जाएगा।
यह पर्व 6 अक्टूबर को ही क्यों?
सिंधु के अनुसार तथा अनेक विद्वानों के मातानुसार बताया जाता है की कुछ व्रत सूरज प्रधानता से होती है। कुछ व्रत मध्यान्ह व्यापम से होती है। कुछ चंद्रमा से व्रत होती है। कुछ तिथि की प्रधानता से होती है। यह जीवित्पुत्रिका का व्रत जो है तिथि प्रधानता के अंतर्गत अष्टमी तिथि रात्रि कल में व्याप्त है। इसेके अनुसार और प्रदोष काल में जीवित्पुत्रिका की पूजन करने का विधान है। अतः इसके अनुसार जीवित्पुत्रिका का यह व्रत 6 अक्टूबर को होना उचित है। इसके पक्ष में शिव मूर्ति उपाध्याय पंचांग हरिहर कृपालु का पंचांग, ठाकुर प्रसाद का पंचांग और महावीर पंचांग के अनुसार 6 अक्टूबर को निर्धारित किया गया है तथा 7 अक्टूबर को 10:21 के बाद पारण का विधान बतलाया गया है।
कौन किसलिए करती है यह व्रत?
सौभाग्य की कामना तथा बच्चों की दीर्घायु की कामना करते हुए सौभाग्यवती स्त्रियां यह जीवित्पुत्रिका का व्रत रखती है