"दिव्यालय एक व्यक्तित्व परिचय" में हुआ साक्षात्कार आशुतोष सिंह!
होस्ट- किशोर जैन
रिपोर्ट- सुनीता सिंह "सरोवर"
/// जगत दर्शन न्यूज
क्या लेकर आया रे बंदे,
क्या लेकर जाएगा।
मुठ्ठि बांध कर आया जग में,
खाली हाथ ही जाएगा।।
मैं जिंदगी के जुए खेलता हूँ।
साँझ में सूरज संजोता हूँ।
किश्ती डूब जाती है अक्सर किनारा पाकर,
मैं झूमती बयार झेलता हूँ।।
धव्ल सफेद बादलों के पंखों पर,
सवार कुछ सपने हैं।
नर्म रूई के फाहों से गुदगुदाते,
मुठ्ठियों में कैद कुछ पल अपने हैं।।
आज दिव्यालय एक व्यक्तित्व परिचय कुछ बातें चंद यादें नई पुरानी में लेकर उपस्थित हुआ है, एक ऐसे व्यक्तित्व के साथ जिन्हें हम सब सुनकर जानेंगे कि आप समाज सुधारक हैं, शिवभक्त हैं, डाकखाना हैं? या कुछ ओर??
मैं आपका होस्ट......किशोर जैन और हमारे आज के खास मेहमान आशुतोष सिंह जी।
किशोर जैन- आप कहाँ से हैं? और क्या करते हैं?
आशुतोष सिंह - जी मैं उत्तर प्रदेश अंतर्गत एक छोटे से गांव महेन से हूँ और शिव में मन आसक्त रहता हैं और उन्हीं के दिखाए रास्ते पर जन- मानस की सेवा को समर्पित हूँ और मैं भारतीय डाक विभाग में डाक पाल के रूप में तैनात हूँ।
किशोर जैन- हमने सुना है, आप प्राचीन मंदिरों के लिए भी कार्य कर रहें हैं?
उत्तर- जी मंदिर हमारे आस्था का प्रतीक है। इसकी देख रेख का दायित्व भी हम सबका है, इसलिए मैं अपने गाँव व आप - पास के गाँवों नवयुवक एवं इच्छुक लोगों से सहयोग की अपेक्षा रखता हूँ। और ये मंदिर केवल मंदिर ही नहीं अपितु रोजगार के भी केंद्र हैं।
किशोर जैन- आपकी छवि एक समाज सेवी के रूप में विख्यात है, आप लोगो की किस तरह से मदद करते हैं?
आशुतोष सिंह- हम में से अधिकतर लोग सोचते हैं कि जवानी में कमा लेते हैं फिर बुढ़ापे में समाजसेवा करेंगे। परन्तु कई ऐसे भी हैं जो जवानी से ही समाज के प्रति कुछ कर गुजरने की तमन्ना दिल में रखते हैं। कठिन परिस्थिति में भी उनका जज्बा कम नहीं होता। बस मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही है, जहाँ जिसे जब जरूरत हो ईश्वर के दूत के रूप में मैं हरसंभव मदद करने की कोशिश करता हूँ। अब जैसे हमारे यहाँ एक बच्ची जो सुन नहीं सकती, जिसे ऑऔपरेशन की जरूरत है। चूंकि आर्थिक स्थिति ठीक न होने से संभव नहीं हो पा रहा है, तो मैंने प्रयास किया और बहुत जल्द उन्हें आर्थिक सहायता मिलने वाली है।
किशोर जैन- आपको समाज सेवा जैसे नेक कार्य की प्रेरणा किससे मिली?
आशुतोष- यह सब करने की प्रेरणा कुछ हदतक अपने दादा जी से विरासत में मिली है, क्योंकि मैंने देखा है। मेरे चाचाजी और दादा जी अक्सर सेवा भाव से तन- मन जन हित को समर्पित रहते थे। मैं अक्सर खुद को सेवा के तहत अपने गाँव - या आस - पास के हर वर्ग और जाति को अपना वक्त दे्ना चाहता हूँ और मैं विशेष तौर पर अपने दादा जी से प्रेरित होकर अपने को समाज के लिए तैयार रखता हूँ। इतना ही नहीं मैं बच्चों के लिए भी पूरी निष्ठा से कार्य कर रहा हूँ, ताकि हमारा आने वाला कल बेहतर हो और देश प्रगति के ज्ञान पर अग्रसर हो और हमारा भारत विश्व गुरु कहलाए।
किशोर जै.- नारी शस्क्तिकरण के बारे में आपके क्या विचार हैं?
आशुतोष सिंह- नारी सदियों से ही विदोत्मा थीं और हैं आज के दौर में नारियाँ पुरूष के कंधे से कंधा मिलाकर चल रहीं हैं। हर क्षेत्र में बराबर हैं। चाहे धरा हो या गगन, ऐसे में कई तरह की घटनाएं भी हो रहीं हैं। मैं समाज के नवयुवकों से लोगों से यही अपिल करता हूँ, कि चाहे महिला अनजान ही क्यों न हो उसके सुरक्षा की जिम्मेदारी हर एक को समझनी चाहिए। तभी हमारी बहन, बेटियों को स्वछंद आकाश मिल सकेगा और तभी वे धरा से गगन की दूरी को नाप सकेंगी और ये नारी शस्क्तिकरण सही मायने में सफल होगा।
अंत में बेहतरीन संचालन कर रहे यू.के. से किशोर जैन जी ने अपने अतिथियों को धन्यवाद दिया। इस नेक व सराहनीय कार्य के लिए दिव्यालय की संस्थापक व कार्यक्रम आयोजक व्यंजना आनंद 'मिथ्या ' और अध्यक्ष व कार्यक्रम संयोजक मंजिरी निधि 'गुल'जी को कार्यक्रम आयोजन के लिए धन्यवाद दिया तथा बताया की इस कार्यक्रम का सीधा प्रसारण Vyanjana Anand Kavya Dhara यूट्युब चैनल पर लाइव हर बुधवार शाम सात बजे हम देख सकते हैं या उसकी रेकॉर्ड वीडियो को बाद में देखा जा सकता है। पूरे दिव्यालय परिवार की तरफ से उन्होंने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि आप के हौसलें को कोटि- कोटि नमन है।