सारण (बिहार) संवाददाता मनोज सिंह: जंगल से भटककर तथा सरयु नदी में बहकर माँझी के रामघाट पहुँची मोरनी पर आवारा कुत्तों ने हमला कर उसे जख्मी कर दिया। हालाँकि कुत्तों के हमले से किसी तरह जान बचाकर भागी मोरनी माँझी के रामघाट स्थित हनुमान वाटिका मन्दिर पहुँच गई। जख्मी मोरनी की दारुण दशा देख मन्दिर के पुजारी संत राम सेवक दास को उसपर दया आ गई और जख्मी मोरनी को उन्होंने मन्दिर परिसर स्थित यज्ञ मंडप में सुरक्षित कर दिया। बाद में उन्होंने मोरनी को अपनी गोद में लेकर दाना पानी दिया। संत ने मोरनी को बड़े ही प्यार से सहलाया तथा पुचकारा। तब जाकर मोरनी की जान में जान आई। मोरनी के हनुमान वाटिका मन्दिर पहुँचने का सोशल मीडिया पर विडियो वायरल होने के बाद उसे देखने के लिए लोगों की भारी भीड़ जमा हो गई। सूचना पाकर पहुँचे वन विभाग के स्थानीय कर्मचारी धनञ्जय कुमार ने मन्दिर परिसर में ही चिकित्सक को बुलाकर जख्मी मोरनी का उपचार कराया तथा बाद में उसे पटना स्थित चिड़ियाघर भेजने के उद्देश्य से अपने साथ लेकर चले गए।
पशु पक्षियों के साथ पुजारी की अठखेलियों सोशल मीडिया पर भी चर्चा में हैं।
पशु पक्षियों के साथ संत रामसेवक दास के दोस्ताना सम्बन्धों का यह कोई पहला वाक्या नही है। पुजारी रामसेवक दास की एक आवाज सुनकर सैकड़ों कौवे प्रतिदिन मन्दिर परिसर में भंडारा का प्रसाद ग्रहण करने आ धमकते हैं। यही नही पुजारी व युगल संत रामप्रिय दास व संत रामसेवक दास दर्जनों बंदरों के बीच बैठकर सुबह शाम सहज ढंग से अपने हाथों से बंदरों को फल तथा बिस्किट आदि रोज खिलाते हैं। यही नही सड़कों पर खुला विचरण करने तथा लोगों पर हमलों की वजह से खूंखार माना जाने वाला एक विशाल सांढ मन्दिर परिसर में सुबह शाम संत द्वय के हाथों प्रसाद खाने आता है। पशु पक्षियों को प्रसाद खिलाने के संतों के अनूठे प्रयोग देख मन्दिर परिसर में मौजूद श्रद्धालु भी दंग रह जाते हैं। इतना ही नही साधु संतों के ठहरने भूखों को भोजन कराने के साथ साथ घर परिवार से हैरान परेशान लोग रामघाट पहुँच कर जब रेल पुल से छलांग लगाने अथवा डूब मरने की कोशिश करते हैं तो हनुमान वाटिका में मौजूद संत द्वय उन्हें पकड़कर उनकी जान भी बचाते हैं तथा मन शांत होने पर उन्हें समझा बुझाकर आत्महत्या जैसे जघन्य पाप करने से रोकने में भी महती भूमिका निभाते हैं।