माँझी में पूर्वजो की होली गीत हुआ जीवंत!घरों में सुख और समृद्धि की कामना करता एक होली मंडली!
/// जगत दर्शन न्यूज़
सारण (बिहार) संवाददाता वीरेश सिंह: महज एक दशक पहले की बात है। होली के दिन शाम को राम जानकी मंदिर से होली का दौर शुरू होता था, तो रात भर दरवाजे दरवाजे देवी देवताओं पर आधारित फगुआ गाने के साथ साथ 'सदा आनंद रहे एहि द्वारे' गाकर लोग एक दूसरे के घरों में सुख समृद्धि की कामना करते थे। गीत सामाजिक बनावट तथा समरसता की अभिब्यक्ति का सरस् माध्यम हुआ करता था।
इसे याद करते हुए माँझी के पत्रकार मनोज कुमार सिंह बताते है कि हमारे गांव के आदरणीय स्व. सीताराम चाचा तथा सुखदेव चाचा तथा उनके साथ घर घर के लोग रात भर गाते बजाते थे उनलोगों के जज्बे को याद कर एक सुखद अनुभूति होती है। काश वह दौर एकबार फिर लौटकर आ जाता। उनकी गीतों की तुलना आज के गायकों से करने पर दूर दूर तक प्रतिस्पर्धा नही दिखती सिर्फ यही महसूस होता है सब समय का फेरा है। सब कुछ देश काल पात्र पर निर्भर करता है।
खैर उन्हीं दोनों महानुभावों की गीतों को सुनकर जो अहसास हुआ करता था आज उसी को याद कर कर के सौहार्द्रपूर्ण वातावरण में उसकी पुनरावृत्ति करने का गांव के लोगों ने मिलजुलकर प्रयास किया। ठाकुरबाड़ी के बाद गांव के चौराहे पर फिर काली मंदिर तब शिव मंदिर और अंत में गंगा जी का फगुआ और 'होरी भइले पाहुन' गाकर होली का समापन हुआ। यही नही चलते चलते चैता का सुमिरन गाकर चैत महीने का आगाज कर दिया इन लोगों ने। गांव के अप्रशिक्षित युवकों ने भी बेहतर सहभागिता प्रदर्शित किया। यूट्यूब पर पूरा वीडियो देखने के लिए यहाँ क्लिक करें।