मृत ग्राहकों के दावों पर RBI का बड़ा फैसला: 15 दिनों में निपटारा, सहकार भारती ने किया स्वागत
नई दिल्ली: संवाददाता प्रेरणा बुड़ाकोटी: भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने मृत ग्राहकों के बैंक खातों, लॉकर और सेफ कस्टडी आर्टिकल्स से जुड़े दावों के निपटान को लेकर ऐतिहासिक फैसला लिया है। अब बैंकों को ऐसे सभी दावे 15 दिनों के भीतर निपटाने होंगे। यह दिशा-निर्देश 26 सितम्बर 2025 को जारी किए गए हैं और अधिकतम 31 मार्च 2026 तक सभी बैंकों में लागू होंगे।
आरबीआई के नए नियमों के तहत यदि खाता नामांकित (Nominee) है या “Either or Survivor” शर्त पर है, तो बैंक केवल क्लेम फॉर्म, मृत्यु प्रमाण पत्र और पहचान पत्र के आधार पर ही भुगतान करेंगे। इस प्रक्रिया में अब उत्तराधिकार प्रमाणपत्र, वसीयत या इंडेम्निटी बॉन्ड की आवश्यकता नहीं होगी।
बिना नामांकन वाले खातों में भी बड़ी राहत दी गई है। सहकारी बैंकों के लिए ₹5 लाख तक और अन्य बैंकों के लिए ₹15 लाख तक की राशि सरलीकृत प्रक्रिया से परिजनों को दी जाएगी। वहीं, गुमशुदा व्यक्तियों के मामलों में भी परिजन एफआईआर और पुलिस की "नॉट-ट्रेसेबल रिपोर्ट" के आधार पर ₹1 लाख तक का दावा कर सकेंगे। इससे अधिक राशि के लिए अदालत का आदेश आवश्यक होगा।
आरबीआई ने यह भी स्पष्ट किया है कि यदि बैंक 15 दिनों की समयसीमा का पालन नहीं करते, तो उन्हें खातों से जुड़े दावों में बैंक रेट + 4% अतिरिक्त ब्याज देना होगा। वहीं, लॉकर या सेफ कस्टडी आर्टिकल्स में देरी होने पर ₹5,000 प्रतिदिन का मुआवज़ा देना होगा।
इस फैसले पर सहकार भारती छत्तीसगढ़ ने खुशी जताई है। पैक्स प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक घनश्याम तिवारी ने कहा कि – “यह निर्णय किसानों और ग्रामीण परिवारों के लिए बहुत बड़ी राहत है। पहले परिजनों को अपने ही पैसों के लिए महीनों तक कानूनी प्रक्रिया में उलझना पड़ता था। अब नामांकित खातों में मात्र मृत्यु प्रमाण पत्र और पहचान पत्र पर भुगतान मिलेगा। हम सभी जमाकर्ताओं से अपील करते हैं कि वे अपने खाते और लॉकर में नामांकन अवश्य दर्ज कराएं।”
सहकार भारती का मानना है कि यह निर्णय सहकारी बैंकिंग प्रणाली में पारदर्शिता और विश्वास को मजबूत करेगा। साथ ही, ग्रामीण परिवारों और किसानों को त्वरित राहत मिलेगी। विशेषज्ञों का कहना है कि यह कदम ग्राहक सेवा, पारदर्शिता और वित्तीय समावेशन को नई दिशा देगा।