साहित्य: लेख
ओज, माधुर्य और प्रासाद काव्य गुण के कवि: रामधारी सिंह दिनकर
✍️राजीव कुमार झा
रामधारी सिंह दिनकर का ही जन्म बेगूसराय के सिमरिया में हुआ । रेल मंत्रालय ने अब सिमरिया स्टेशन का नाम दिनकर ग्राम रख दिया है। यहां दिनकर जी की प्रतिमा स्थापित की जानी चाहिए। दिनकर जी की कविताओं को पढ़कर मुझे सबसे पहले कविता से प्रेम क़ायम हुआ और फिर अन्य कवियों की कविताएं भी मैंने पढ़ी।
आज दिनकर जी की जयंती है।
दिनकर जी साहस सौंदर्य और प्रेम के कवि हैं। आलोचकों के अनुसार विद्रोह और संघर्ष उनके काव्य का मूल भाव है। दिनकर जी कविता में निरंतर शासन, सत्ता,समाज ,संस्कृति और सभ्यता के सनातन सवालों से संवाद चलता दिखाई देता है और वे मनुष्यता को अपना धर्म मानने वाले कवि हैं। रश्मिरथी और कुरुक्षेत्र से दिनकर को लोकप्रियता प्राप्त हुई लेकिन उर्वशी को उनका सबसे श्रेष्ठ काव्य ग्रंथ माना जाता है।
दिनकर जी विश्व चेतना के कवि माने जाते हैं। उन्होंने जनता के जीवन की कठिनाइयों के आलोक में कविताएं लिखीं और किसान मजदूरों का जीवन इस दौरान उनके काव्य फलक पर विशेष रूप से चित्रित हुआ है। दिनकर की कविता में स्वातंत्र्य भावों की सहज अभिव्यक्ति हुई है और वह कलम आज उनकी जय बोल/ जला अस्थियां बारी - बारी / छिटकाई जिसने चिंगारी/जो चढ़ गये पुण्य वेदी पर/ लिये बिना गर्दन का मोल/ कलम आज उनकी जय बोल...जैसी काव्य पंक्तियों को लिखकर देश की आजादी की लड़ाई में प्राणों की आहुति देने वाले वीरों का अभिनंदन करने वाले कवि हैं। दिनकर को जीवन में अत्यंत विषम परिस्थितियों का सामना भी करना पड़ा। इस दौरान शुरू में बिहार के शेखपुरा के बरबीघा हाई स्कूल में हैंड मास्टर के पद पर कार्य करते हुए उनके जीवन संघर्ष में भागलपुर विश्वविद्यालय के कुलपति पद को सुशोभित करने के अवसर के अलावा भारतीय सरकार के हिन्दी सलाहकार पद पर काम करने की महती उपलब्धि भी शामिल है। पटना में दिनकर चौराहा सदैव उनकी याद दिलाता रहता है। इससे थोड़ी दूर पर ही राजेन्द्र नगर में उनका अपना घर भी स्थित है।