विश्व सीकल सेल दिवस -
सिकल सेल सहित कई अन्य प्रकार की बीमारियों से बचाव के जागरूकता ही एक मात्र सरल तरीका: सिविल सर्जन
गर्भावस्था में सिकल सेल रोग महिलाओं के लिए कई तरह की समस्याओं का कारण, क्योंकि यह एक अनुवांशिक रक्त विकार है। हर किसी को शादी से पहले अनिवार्य रूप से खून की जांच कराना चाहिए!
///जगत दर्शन न्यूज
सिवान (बिहार): सिकल सेल रोग एक आनुवंशिक रक्त विकार है, जो असामान्य लाल रक्त कोशिकाओं की विशेषता है जो अर्धचंद्र या हंसुआ का आकार होता हैं। साथ ही अनियमित आकार की कोशिकाएं रक्त वाहिकाओं में अवरोध पैदा कर सकती हैं, जिससे विभिन्न प्रकार की स्वास्थ्य जटिलताएं होने की संभावना बढ़ जाती है। जिसको लेकर पूरी दुनियां के व्यक्तियों, परिवारों एवं समुदायों पर इसके प्रभाव के बारे में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से प्रत्येक वर्ष 19 जून को विश्व सिकल सेल जागरूकता दिवस मनाया जाता है। इस संबंध में सिविल सर्जन डॉ श्रीनिवास प्रसाद ने बताया कि सिकेल रोगी भी कुछ सावधानियों के साथ लंबा और सामान्य जीवन व्यतीत कर सकते हैं। लेकिन वैसे रोगियों को अत्यधिक मात्रा में शुद्ध पेयजल यानी स्वच्छ पानी पीना चाहिए। इसके साथ ही प्रतिदिन फॉलिक एसिड की एक गोली लेनी होगी। अगर किसी को उल्टी, दस्त या ज्यादा पसीना होने की शिकायत होती है तो बगैर देर किए नजदीकी अस्पताल के चिकित्सको से संपर्क स्थापित कर उचित परामर्श के साथ ही इलाज़ कराना चाहिए। "वैश्विक कार्रवाई, स्थानीय प्रभाव: प्रभावी स्व-वकालत के लिए समुदायों को सशक्त बनाना" जैसे महत्वपूर्ण थीम के तहत विश्व सीकल सेल दिवस मनाया जा रहा है।
सदर अस्पताल के अधीक्षक डॉ अनिल कुमार सिंह ने बताया कि सिकेल सेल एक अनुवांशिक रोग है जिसका पता खून की जांच कराने के बाद ही चलता है। क्योंकि यह खून का एक ऐसा विकार है, जिसमें लाल रक्त कोशिकाएं टूट जाती हैं। ऐसा होने से एनीमिया, गुर्दे या यकृत का फेल होना, स्ट्रोक और फेफड़े में संक्रमण सहित कई अन्य प्रकार की जटिलताएं हो सकती हैं। जो लोग सिर्फ सिकेल सेल के वाहक होते हैं उनमें यह गंभीर लक्षण तो नहीं आते हैं, लेकिन वह आने वाली पीढ़ियों में यह बीमारी का प्रसार कर सकते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि हाथ व पैरों में दर्द, कमर के जोड़ों में दर्द, बार- बार पीलिया होना, लीवर में सूजन, मूत्राशय में दर्द, पित्ताशय में पथरी और अस्थि रोग सिकेल सेल के कारण भी हो सकता हैं, इसलिए इस तरह के लक्षण आने की स्थिति में अनिवार्य रूप से सिकेल सेल से संबंधित जांच करा लेनी चाहिए। हम सभी को संतुलित भोजन का सेवन करना चाहिए। ताकि शरीर को सभी तरह की विटामिंस मिल सकें। प्रत्येक तीन महीने पर हीमोग्लोबिन की जांच अवश्य करवानी चाहिए। लेकिन सबसे अहम बात यह है कि शराब, धुम्रपान या नशापान करने से अपने आपको दूर हो रखना चाहिए।
महिला रोग विशेषज्ञ डॉ रूपाली रस्तोगी ने बताया कि आमतौर पर सिकल सेल रोग में किसी तरह की परेशानी नहीं होती है। लेकिन गर्भावस्था में इसके कारण महिलाओं को यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन हो सकता है। इस रोग में लाल रक्त कोशिका ऑक्सीजन को सही तरह से भ्रूण तक नहीं पहुंचा पाती हैं। जिसकी वजह से बच्चे की विकास प्रक्रिया प्रभावित होती है या स्लो हो सकती है। गर्भावस्था में सिकल सेल रोग महिलाओं के लिए कई तरह की समस्याओं का कारण बन सकता है। क्योंकि यह एक अनुवांशिक रक्त विकास है, जो लाल रक्त कोशिकाओं को प्रभावित करता है। इससे महिलाओं को कुछ मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। जिस कारण महिलाओं को अपनी सेहत पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। लेकिन अहम बात यह है कि गर्भा धारण का प्लान करने से पहले महिला व पुरुष दोनों को ही अपनी सेहत से जुड़ें महत्वपूर्ण जांच करवाना चाहिए। इससे गर्भधारण करने और गर्भावस्था में होने वाले कई तरह की मुश्किलों से बचा जा सकता है। साथ ही महिला या पुरुष से रोग बच्चे तक ट्रांसफर होने की संभावना बेहद कम हो जाती है।