माँझी में उर्स-ए-पाक का आयोजन, इंसानियत और भाईचारे का दिया गया संदेश!
सारण (बिहार): माँझी नगर पंचायत स्थित जलाल शाह रहमतुल्ला अलैह के मजार पर रविवार की रात उर्स-ए-पाक का भव्य आयोजन किया गया। इस मौके पर देश के कोने-कोने से आए नामचीन मुक़रीर और नातख्वाँ शामिल हुए।
कार्यक्रम की शुरुआत कुरान की तिलावत से हुई, जिसके बाद नात शरीफ का सिलसिला शुरू हुआ। एक से बढ़कर एक नात पेश की गईं, जिनमें श्रोता रातभर डूबते-उतराते रहे। बाद में हुए तक़रीरी सत्र में नारे-ए-तकबीर से पूरा माहौल गूंज उठा।
कोलकाता के मालदा से आए मौलाना मैनुद्दीन कादरी चतुर्वेदी ने अपनी प्रभावशाली तक़रीर में चार भाषाओं में इंसानियत का पैग़ाम दिया। उन्होंने कहा कि "जिसमें इंसानियत नहीं, वह इंसान कहलाने का हक़दार नहीं। इस्लाम मोहब्बत और अमन का धर्म है, न कि नफ़रत फैलाने का।" उन्होंने बताया कि भूखों को खाना खिलाना, प्यासों को पानी पिलाना, और बेसहारा की मदद करना ही सच्चा इस्लाम है।
उन्होंने यह भी कहा कि जो बेकसूर और निहत्थों पर वार करता है, वह इंसान नहीं, दानव होता है। इस्लाम सबसे नरम दिल और इंसाफ़ पसंद बनने की तालीम देता है।
उर्स से पूर्व सुबह मजार पर कुरानख़ानी और चादरपोशी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के दौरान स्थानीय प्रशासन पूरी मुस्तैदी से तैनात रहा। सीओ सौरभ अभिषेक ने दलबल के साथ मौके पर पहुंचकर ड्यूटी में लगे पुलिसकर्मियों को आवश्यक निर्देश दिए और आयोजन का जायजा लिया। उन्होंने भी मजार पर चादर चढ़ाकर दुआ मांगी।
इस मौके पर मुफ्ती सुल्तान राजा, निसार अहमद मिस्बाही, हज़रत अजमत राजा भागलपुरी, वज़ी महफूज़ कामिल, नकीब-ए-हिंदुस्तान व नेपाल निशांत अख्तर मधुबनी, हाफिज़ अमीरुद्दीन, हिदायत राजा, मोहम्मद रफ़ी और पूर्व मुखिया अख्तर अली सहित हज़ारों की संख्या में महिला-पुरुष श्रद्धालु मौजूद रहे।