सहलौर एचडब्ल्यूसी को नया भवन मिलने से सुविधाएं बढ़ी तो मरीज भी बढ़े!
अक्टूबर 2024 से मई 2025 के बीच 3 हजार 326 रोगियों का हुआ इलाज़:
151 प्रकार की दवा व 14 प्रकार के डायग्नोस्टिक जांच की सुविधा उपलब्ध:
सिवान, 04 जून 2025
स्थानीय पचरुखी प्रखंड के सहलौर गांव स्थित आयुष्मान आरोग्य मंदिर (आम/एचडब्ल्यूसी) को जबसे नया भवन मिला है, यहाँ ओपीडी में इलाज के लिए आने वाले मरीजों की संख्या बढ़ गई है। अक्टूबर 2024 से मई 2025 के बीच यहाँ 3326 मरीजों का ओपीडी में इलाज़ किया गया है। अक्टूबर 2024 में 360, नवंबर में 358, दिसंबर में 522, जनवरी 2025 में 432, फ़रवरी में 437, मार्च में 418, अप्रैल में 404 और मई में 395 स्थानीय ग्रामीणों ने अपना उपचार कराया है। नया भवन मिलने से पहले भी मरीज आते जरूर थे पर अधिकांश वहाँ की स्थिति देख वापस लौट जाते थे। मरीजों के लिए खड़ा होने की भी जगह नहीं होती थी। पुराने जर्जर भवन में न दवा रखने की उचित व्यवस्था थी न उपकरण रखने के लिए जगह।
अब नौ महीने पहले मिले नये भवन में सभी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराई गई है। इससे धूप, बरसात या ठंड के मौसम में सहूलियत होती है। स्वास्थ्यकर्मी भी ठीक से बैठते हैं और लोगों की समस्याओं को सुनकर समाधान कर पाते हैं। अब 151 तरह की दवा का पर्याप्त स्टॉक और 14 प्रकार की डायग्नोस्टिक जांच की सुविधा सहज उपलब्ध है। बीमारी गम्भीर हो तो तुरत उच्च अस्पतालों में रेफर कर दिया जाता है। यहाँ उपचार के लिए आये 72 वर्षीय स्थानीय बुजुर्ग मुख़्तार सिंह कहते हैं, “शहर से दूर इस सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में यह स्वास्थ्य केंद्र हमलोगों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। जब तक यह नहीं था तो जरूरत पड़ने पर हमलोगों को गांव से दूर महाराजगंज, पचरुखी या सिवान सदर अस्पताल जाना पड़ता था”। 38 वर्षीय महिला पुतुल देवी जोड़ती हैं, “सेंटर की सीएचओ मैडम का व्यवहार बहुत अपनापन भरा होता है। आधी बीमारी तो इनके व्यवहार से ही ठीक हो जाती है”।
इस सहलौर “आम” की सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ) सपना कुमारी ने बताया कि नौ महीने पहले तक 7420 जनसंख्या वाले वर्तवलिया, निजामपुर, सहलौर हाता, हरिजन टोला, नोनिया टोला, मिनी वर्तवलिया गांव के निवासियों के स्वास्थ्य की देखरेख चुनौती भरा था। अब नया भवन बनने से स्थानीय लोगों को 151 प्रकार की दवाएँ मिल जा रही हैं। इस सेंटर पर 14 प्रकार के डायग्नोस्टिक जांच की सुविधा उपलब्ध है। जैसे - रक्त जांच, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, ब्लड ग्रुप, फाइलेरिया, डेंगू, यूरिन प्रीग्नेंस, सोडियम, एचआईवी, हेपटाइटिस, मलेरिया, सिप्लिस, वाटर टेस्टिंग, टीबी या कैंसर स्क्रीनिंग आदि।
प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ प्रिंस अभिषेक ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग का प्रयास रहता है कि मरीजों को इलाज के साथ-साथ शत-प्रतिशत निःशुल्क दवा भी उपलब्ध करायी गई है। अब पंचायत स्तर पर संचालित आम के माध्यम से शत- प्रतिशत दवा की उपलब्धता सुनिश्चित कराई जा रही है। स्वास्थ्य सेवाओं में जनता की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए सभी हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर “जन आरोग्य समिति” का गठन भी किया जा चुका है।