एटीएम, बीटीएम एवं किसान सलाहकारो के लिए आयोजित तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम सम्पन्न!
उर्वरक के कीमतों में उछाल, प्राकृतिक खेती पर दिया जोर!
सारण (बिहार) संवाददाता संजय पांडेय: कृषि विज्ञान केंद्र, माँझी में प्राकृतिक खेती विषय पर तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का गुरुवार को समापन हुआ। इस प्रशिक्षण में मांझी, रिवीलगंज, एकमा एवं जलालपुर प्रखंड के 28 एटीएम, बीटीएम एवं किसान सलाहकारो ने भाग लिया।
इस दौरान कृषि विज्ञान केन्द्र, मॉझी, सारण के वरीय वैज्ञानिक एवं प्रधान डॉ. संजय कुमार राय ने प्रसार कर्मचारियों को कहा कि इस समय प्राकृतिक खेती की बहुत आवश्यकता है, क्योंकि वर्तमान समय में उर्वरकों व एग्रो- केमिक्ल्स के दामों (मूल्यों) में काफी बढ़ोतरी के साथ-साथ समय पर आपूर्ति की भी समस्या, ऐसे में हमें इनका विकल्प की ओर देखना अति आवश्यक है। उद्यान विशेषज्ञ डॉ. जितेन्द्र चंदोला जी ने बताया कि हमें अपने खेतों में सूक्ष्मजीवों एवं केंचुआ इत्यादि को सक्रिय कर कृषि लागत को कम किया जा सकता है। ये पोषक तत्त्वों को उपलब्ध कराने में बहुत ही मददगार होते हैं साथ ही मिट्टी की उर्वरा शक्ति को भी बढाया जा सकता है। लगातार भूमि पर रासायनिक कीटनाशकों, खादों का प्रयोग तथा भूमि को प्रतिवर्ष पलटने से भूमि की उर्वरा शक्ति पूरी तरह समाप्त हो चली है। हानिकारक कीटनाशकों के उपयोग से भूमि की उर्वरा शक्ति कम होने के साथ-साथ कृषि की लागत भी बढ़ रही है। रासायनिक खेती से मिट्टी की गुणवत्ता में और मनुष्यों के स्वास्थ्य में भी गिरावट आई है।किसानों की पैदावार का आधा हिस्सा उनके उर्वरक और कीटनाशक में ही चला जाता है। यदि किसान खेती में अधिक मुनाफा कमाना चाहते हैं तो उन्हें प्राकृतिक खेती की तरफ अग्रसर होना चाहिए। रासायनिक खाद और कीटनाशक के उपयोग से मिट्टी की उर्वरा क्षमता काफी कम हो गई है जिससे मिट्टी के पोषक तत्वों का संतुलन बिगड़ गया है। मिट्टी की उर्वरक क्षमता को देखते हुए प्राकृतिक खेती जरूरी हो गया है। साथ ही उन्होंने प्राकृतिक खेती में उपयोग होने वाले उपकरणों एवं प्राकृतिक खेती से मृदा स्वास्थ्य में सुधार के बारे में भी विस्तृत में बताया। डॉ जीर विनायक ने प्राकृतिक खेती से कीट एवं रोगों के प्रबंधन एवं कार्यक्रम सहायक डॉ0 विजय कुमार जी ने किसानों को प्राकृतिक खेती के चार स्तंभ एवं सिद्वांत, जीवामृत, घनजीवामृत, बीजामृत एवं नीमास्त्र इत्यादि बनाने की विधि एवं विभिन्न फसलों में उपयोग की विस्तृत में जानकारी भी दी गईl
समापन समारोह में कृषि विज्ञान केन्द्र, मांझी के उद्यान विशेषज्ञ डॉ. जितेन्द्र चंदोला, डॉ. विजय कुमार एवं प्रखंड उद्यान पदाधिकारी, माँझी ने सभी प्रशिक्षुओं को प्रशिक्षण प्रमाण पत्र दिया और अपने शुभकामना संदेश में प्रशिक्षुओं को इस प्रशिक्षण से होने वाले लाभों के बारे में बताया। इस अवसर पर कृषि विज्ञान केंद्र से अमितेश कुमार गौरव, रामा रंजन, रविरंजन कुमार, अवनीश पांडे ने भी अपना सहयोग दिया।