गोपाष्टमी पर गौ पूजन तथा मेला का हुआ आयोजन!
गौ माता सबसे ज्यादा देती है प्राणवायु - श्याम बिहारी अग्रवाल
सारण (बिहार): गोपाष्मी के अवसर पर सारण पिन्जरापोल गौशाला हिरानीबाग करिंगा में गौ पूजनोत्सव का आयोजन किया गया। गौ पूजनोत्सव के पश्चात श्याम बिहारी अग्रवाल ने बताया गौ माता सबसे अत्यधिक प्राणवायु देती है। गो संरक्षण सशक्तिकरण अभियान पर्यावरण सुरक्षा हेतु गोविज्ञान जानना अति आवश्यक है। सभी जीवो के साथ मानव को प्राण वायु की आवश्यकता होती है। प्राणवायु के बिना पृथ्वी पर जीवन संभव नहीं है। आज ऑक्सीजन का घनत्व प्रतिशत नित्य प्रतिदिन गिरता जा रहा है। जिसका मूल कारण गौ माता की संख्या में कमी आना है। आज भी जिस क्षेत्र में गोवंश की अधिकता है वहाँ के पर्यावरण में ऑक्सीजन प्रतिशत अधिक है क्योंकि केवल गाय माता ही इस धरती पर एकमात्र ऐसा प्राणी है जो श्वसन क्रिया में ऑक्सीजन ही लेती है और ऑक्सीजन ही छोड़ती है। गोबर गोमूत्र के माध्यम से भी आक्सीजन प्रदान करती है। इस सृष्टि का निर्माण 5 योगिक तत्वों पंच महाभूतो से हुआ है। जो पांचों ही गाय माता से प्राप्त होते हैं। जल रूपी दूध, पृथ्वी रूपी गोबर, वायु रूपी गोमूत्र, अग्नि रूपी धगि, आकाश रूपी छाछ। इन पांचों चीजों को अपने जीवन में लाने से स्वास्थ्य और चिकित्सा के क्षेत्र में भी चमत्कारिक रिजल्ट मिलते हैं। जब तक भारत के घर-घर में गाय माता थी तब तक कैंसर, ब्लड प्रेशर, मधुमेह जैसे असाध्य रोग भारत को छू भी नहीं पाए। आज भारत की 85 प्रतिशत जनसंख्या किसी ना किसी रोग से पीड़ित है। गाय माता को वापस घर घर लाना ही इससे बचने का एकमात्र उपाय है। जिससे किसानों को भी बहुत बड़ा फायदा होने वाला है। किसान जो पेस्टिसाइड और जहर का इस्तेमाल अपने खेतों में करते है उसकी जगह अगर गाय के गोबर का इस्तेमाल किया जाए तो किसानों को भी बहुत बड़ा लाभ हो सकता है। गाय माता को हमारे खेतों में प्रवेश कराने से हमारे अच्छे दिन आएंगे। हमारे देश के मध्य में गाय माता ही है। गाय माता को हमारे खेतों में लाए बिना हमारे हमारे जीवन में स्वास्थ्य में सुधार नहीं हो सकता, परिवर्तन नहीं हो सकता। इसीलिए गाय माता को अपने जीवन में जरूर लाएं।
श्री अग्रवाल ने बताया जब कृष्ण की आयु छह साल की हुई तो उन्होंने अपनी मैया यशोदा से कहा, 'मैया मैं बड़ा हो गया हूँ। अब बछड़े नहीं, गाय चराऊंगा।' मैया ने अनुमति के लिए पिता नंद बाबा के पास भेज दिया। कृष्ण ने नंद बाबा के सामने भी यही कहा नंद बाबा गैया चराने के मुहूर्त के लिए ऋषि शांडिल्य के पास पहुँचे। ऋषि ने नंद बाबा की बात सुनकर कहा कि आज ही मुहूर्त हैं। उस दिन गोपाष्टमी थी। माता ने कान्हा को मोर मुकुट लगाया, पैरों में घुंघरू पहनाए। सुंदर-सी पादुका पहनाई। तब कृष्ण गाय को चराने ले गए।
श्री अग्रवाल ने बताया इस दिन गाय को गुड़, हरा चारा, फल आदि खिलाकर प्रदक्षिणा जरूर करें। कृष्ण को माखन मिश्री का भोग लगाएं। सुबह गाय को साफ पानी से स्नान करवाने के बाद रोली और चंदन से उन्हें तिलक लगाना चाहिए। नए वस्त्र पहनाने चाहिए। साथ ही पुष्प, अक्षत आदि से उनकी पूजा करनी चाहिए। पूजा के बाद गाय चरानेवालों को दान-दक्षिणा देकर उनका सम्मान और पूजन करें। पूजा के लिए बनाया हुआ प्रसाद गाय को खिलाएं और उनकी परिक्रमा करें। साथ ही उनके साथ-साथ थोड़ी दूर तक चलें। शाम को गायों के लौटने के बाद फिर उनका पूजन करें और गाय को चारा, मीठा आदि खिलाना चाहिए। उनके चरणों की धूल माथे पर लगानी चाहिए।
मेला में शानदार कुश्ती का आयोजन किया किया। जिसमें उत्तर प्रदेश तथा बिहार के पहलवानो ने पहलवानी का शानदार प्रदर्शन किया। मेला का आयोजन देर रात तक चला। बड़ी संख्या में महिलाओं ने मेला का लुत्फ उठाया। गौ पूजनोत्सव में श्याम बिहारी अग्रवाल, भगवती प्रसाद जगाती, सत्यनारायण शर्मा, राजकुमार मिश्रा, गोपाल अग्रवाल आदि सम्मिलित हुए।