अंग्रेजों के जमाने का बना धरोहर, माँझी स्टेशन, पर यात्री उपेक्षित, यात्री सुविधाएं नदारद!
सारण (बिहार) संवाददाता संजीव शर्मा: आजादी से पूर्व अंग्रेजों द्वारा स्थापित माँझी रेलवे स्टेशन बुनियादी व यात्री सुविधाओं के मामले में उपेक्षित बना हुआ है। आजादी की लड़ाई में स्वतंत्रता सेनानियों का केन्द्र रहे उक्त स्टेशन पर यात्रियों की सुविधा के नाम पर कुछ नहीं है। यहाँ पर न तो पीने के लिए पानी उपलब्ध है और ना ही शौचालय की ब्यवस्था है। प्लेटफार्म पर न तो यात्री शेड है और न यात्रियों के बैठने के लिए समुचित बेंच तक नसीब नहीं है। मांझी फ्लैग रेलवे स्टेशन पर पैसेंजर ट्रेनों के साथ एकमात्र उत्सर्ग एक्सप्रेस ट्रेन का ठहराव होता है। यहां प्रिंटेड रेल टिकट मिलती है वह भी मुहर लगाकर।स्टेशन परिसर में यात्रियों के लिए बैठने व ठहरने तक भी व्यवस्था नहीं है।
यूपी बिहार की सीमा से सटे तथा छपरा बलिया रेलखंड का महत्वपूर्ण माँझी रेलवे स्टेशन महज एक कमरे में चल रहा है। यहाँ यात्रियों के साथ-साथ किसी पदाधिकारी या कर्मचारी के रहने के लिए किसी प्रकार के आवास की समुचित व्यवस्था नहीं है और न ही कोई सुरक्षा व्यवस्था है। सुरक्षा के नाम पर पहले आरपीएफ के जवानों की तैनाती की गई थी लेकिन पिछले कुछ दिनों से वह भी हटा लिया गया।
माँझी रेलवे स्टेशन की बदहाली
माँझी अंग्रेजों के जमाने का इकलौता रेलवे स्टेशन है। जो पूर्वोत्तर रेलवे गोरखपुर व वाराणसी रेल मंडल के अधीन संचालित होता है। माँझी रेलवे स्टेशन पर कांट्रेक्ट पर टिकट की बिक्री करने वाले संचालक मोज़म्मिल हुसैन उर्फ लाल बाबू का कहना है कि माँझी सरयू नदी से महज तीन सौ मीटर की दूरी एवं माँझी चट्टी से महज दो सौ मीटर की दूरी पर माँझी रेलवे स्टेशन वर्ष 1908 से स्थापित है।
माँझी रेलवे स्टेशन पर ताजपुर, रघुनाथपुर, सिसवन तक के दो सौ गाँव के यात्री रेलयात्रा करते हैं। उन्होंने बताया कि सबसे बड़ी बात यह है कि बिहार उत्तर प्रदेश की सीमा से सटे होने के कारण अधिकांश यात्री अपनी सुरक्षा को देखते हुए माँझी स्टेशन से ही यात्रा करना आसान समझते हैं। मोज़म्मिल हुसैन ने बताया कि माँझी फ्लैग स्टेशन उस समय सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है जब माँझी पुल में ट्रेन खड़ी हो जाय तो इसी फ्लैग स्टेशन से उसका कंट्रोल करने में सुविधा होती है। इस प्रकार की घटनाओं में पुल से नजदीक होने के कारण माँझी फ्लैग स्टेशन कारगर साबित हुआ है।
उन्होंने बताया कि पर्व त्योहार में गंगा स्नान, छठ पूजा, जैसे महत्वपूर्ण पर्व त्योहार में हजारों की संख्या में अन्य जगहों से यात्री यहां स्नान के लिए ट्रेनों से आते हैं। इस फ्लैग स्टेशन पर आज भी प्रतिदिन तीन सौ से चार सौ यात्री यात्रा करते हैं। प्रतिदिन लगभग पचास यात्री एम एस टी से नियमित यात्रा करते हैं। यात्रियों का कहना है कि सवा सौ वर्षों तक इस स्टेशन पर किसी तरह की कोई व्यवस्था यात्रियों के लिए नहीं की गई है जबकि छपरा जंक्शन के बाद मांझी स्टेशन से सबसे ज्यादा राजस्व की वसूली होती है। यह स्टेशन बिहार व यूपी को जोड़ता है।