शिक्षक दिवस पर विशेष!
"शिक्षक दिवस" पे कागज पर, चलाई "तूलिका" मैनें!

✍️ रति चौबे नागपुर (महाराष्ट्र)
"शिक्षक दिवस"पे कागज पर,
चलाई "तूलिका" मैनें,
"गुरु" का भव्य रुप उकेरने,
पर अधूरापन ही रहा/
तेजस्वी रुप,बौद्धिकता पूर्ण,
सौम्य मुखमंडल,आभायुक्त,
रंगों से भरना चाहा मैने,
पर असहाय सी रही/
सौष्ठव, निर्भीकता, आकर्षण,
चरित्रता, तन में भरना चाही
पर- व्यक्तित्व दयनीय ही रहा
ना भर पाई उसमें गार्भीय/
पूर्ण पुरुष बनाना चाहा मैनें,
"तूलिका" नहीं चली-ना चली
आदर्श गुरु रुप बनाना चाहा,
पर अपरिपक्वता ही रही/
हार गई रंग तस्वीर में भरते,
थक गई लकीरें खींचते मैं भी
बिखर गए रंग मेरे, कागज पर
ना बना पाई "शिक्षकदिवस"
पर-"गुरु-रुप" मैं
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