श्री राधावल्लभाय विजयते
सच्चिदानन्द कपाय
विशवोतपत्यादि हेतवें।
तापत्रय विनाशाय श्री कृष्णाय वयं नमः।।
मथुरा में जन्मे कन्हैया, कि गोकुल में बाजत बधैया,
ओ जी नाचत लोग लुगैया, कि ब्रज में बाजत बधैया,
बाबा लुटावे अन्न, धन सोना -, देवे विप्रन कुँ दान में गैया कि गोकुल में.............
मात यशोदा पलना झूलावे, पलना झूलावे ओं हिय से लगावे,
लेवे बारम्बार बलैया, कि गोकुल में बाजत बधैया,
अरे ब्रजवासी सब जुरि -मिलि आवे, जुरि -मिलि आवे जुरि -मिलि आवे।
ओं नाचत ता -ता थैंया, कि गोकुल में बाजत बधैया,
अरे गोप ग्वाल सब ख़ुशी मनावे, बारम्बार नंद घर जावे,
ओं आयो ब्रजवासी न को छैया, कि गोकुल में बाजत बधैया।
मात यशोदा दिठोना लगावे, दिठोंना लगाये के नज़र ते बचावे,
आँख जाने क़र दी कान्हा की कारी कपैया, कि गोकुल में बाजत
बधैया.......
नाना भाती कि बनी मिठाई, बर्फी कलाकंद, बालूसाही,
छैना और रसमलाई, कि गोकुल में बाजत बधैया।।
मथुरा में जन्मे कन्हैया कि गोकुल में बाजत बधैया,
ओ गोकुल में बाजत बधैया।
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लेखक एवं रचनाकार.
पं नन्दबिहारी शर्मा (नयन )
ग्वालियर, मध्यप्रदेश
संपादन
प्रिया पांडेय 'रौशनी'