रक्षा बंधन पर विशेष रचना
मेरा भाई : प्रिया पांडेय 'रौशनी'
मेरी वो हिम्मत हैं,
मेरा सहारा भाई मेरा,
मुझे जान से भी प्यारा हैं,
मुझपर आती मुसीबत तो वो संभाल लेता,
जमकर वो लड़ता है मुझसे,
पर दिल में उसके है प्यार बहूत,
प्रेम का अटूट बंधन हैं भाई -बहन का रिश्ता,
रूप भी धरता भाई, बहन के लिये न जाने किस-किस का,
कभी बाप जैसा दुलार,
तो कभी माँ जैसी फटकार,
तो दोस्त भी बन जाता हैं भाई,
हर रिश्ते को वो बखूबी है निभाता
हर रिश्ते से ज्यादा पवित्र हैं इस रिश्ते की पवित्रता,
बहन के दुःख का होता है भाई मरहम,
कभी -कभी लड़ाई में भले हो जाता है बेरहम,
हर रक्षा बंधन पर राखी उनके प्यार का पैगाम होता है,
एक बहन के लिये भाई ही उसका जहान होता है।
हर रिश्ते को मात देता हैं भाई -बहन का रिश्ता,
भाई -बहन का अनोखा प्यार,
इस पवित्र बंधन में बंधा हैं पूरा संसार,
सारे रिश्तों से अतुल्य हैं भाई बहन का रिश्ता,
इंद्रधनुष के सातो रंग जैसा भाई-बहन का प्यार,
कभी हसाये कभी रुलाये कभी करें तक़रार,
ऐसा हैं रक्षाबंधन का त्यौहार,
सुन्दर राखी सजे तेरी कलाई में,
तू ही मेरा कल -और आज हैं,
दिपक जो पूरे जहाँ को उजाला देता है,
तू वो मेरा एकलौता चाँद हैं।
★★★
प्रिया पाण्डेय "रोशनी "
संपादिका
जगत दर्शन साहित्य