विष्णु महायज्ञ में हुआ श्री राम के चरित्र का वर्णन! श्रोता भक्त हुए भाव विभोर!
सिवान (बिहार): सिसवन प्रखण्ड के साईपुर गाँव के समीप श्री संकट मोचन हनुमान मंदिर में आयोजित श्री विष्णु महायज्ञ में कथावाचक द्वारा श्री राम के चरित्र के वर्णन किया गया। इस संबंध में यज्ञकर्ता साहिब दरबार के पीठाधिपति पूज्य सरकार जी द्वारा जानकारी दी गई। उन्होंने बताया कि कथा वाचक ने माता सती का शरीर त्याग, उनका पार्वती के रूप मे हिमाचल के यहां पुत्री के रूप मे जन्म लेना, भगवान शिव को पति रूप मे पाने के लिए कठोर तपस्या तथा पार्वती शिव विवाह का बडा ही रोचक प्रसंग अपने सरल शब्दों मे सुनाकर भक्तो को भाव विभोर कर दिया। उन्होंने इस प्रसंग का जिक्र करते हुए बताया कि सतीजी बिना आदेश के पिता के घर गई और यज्ञकुंड में कूदकर देह त्याग दिया। खुद को अग्नि को समर्पित करने वाली माता सती के देह त्यागने की खबर जब भगवान शिव को मिली तो वे बहुत क्रोधित हो गए। वे माता सती के मृत शव को लेकर धरती-आकाश में तांडव करने लगे। माता सती के अंग पृथ्वी पर जहां जहां गिरे वहां शक्तिपीठ की स्थापना की गई। बाद में उन्हीं का जन्म पुन: पार्वती के रूप में राजा हिमाचल के यहां हुआ। शिवानुरागी होने के कारण पुनः शिव को पति रूप मे पाने के लिए पार्वती ने कठोर तप करना शुरू किया। वर्षाकाल में वे खुले आकाश के नीचे शिलाखंड पर बैठकर दिन-रात जलधारा से शरीर को सींचती रहीं। भयंकर शीत-ऋतु में जल के मध्य रात-दिन बैठकर उन्होंने कठोर तप किया। इस प्रकार निराहार रहकर पार्वती ने पंचाक्षर मंत्र का जप करते हुए सकल मनोरथ पूर्ण करनेवाले भगवान सदाशिव के ध्यान में मन को लगाया। कई हजार सालों तक वे सिर्फ पत्तियों को खाकर आराधना मे लीन हुई और अपर्णा नाम से विख्यात हुई । दृढ़ संकल्प और कठोर आत्म नियंत्रण से लक्ष्य के प्रति समर्पित होने के कारण ही माता पार्वती शिव को पाने मे सफल रहीं। शिवजी के विचित्र रहन सहन एवं वेष भूषा को सुनकर माता मैना ने अपनी पुत्री का विवाह शिव से करने से इंकार कर दिया। नारद जी द्वारा शिवतत्व एवं पार्वती जी के पूर्व जन्म की कथा सुनकर वह विवाह के लिए सहमति प्रदान कर दी। इस दौरान पुजारी जगतनारायण दास, डक्टर अशोक पाण्डेय, संतोष कुमार द्विवेदी, डॉ संजीव सिंह यदि उपस्थित रहे।