एक फौजी भाई की शहादत कैसी होती है एक बहन के नजर में ? आये पढ़ें युवा कवियित्री प्रिया पांडेय रौशनी के कलम से
फ़ौजी भाई का इंतज़ार
✍️ प्रिया पांडेय 'रौशनी'
कबसे खड़ी थी दरवाजे पर,
उसके इंतज़ार में,
आएगा भईया मेरा,
रक्षाबंधन के त्योहार पर,
वादा किया था उसने मुझें,
अबकी छुट्टी आऊंगा राखी बंधवाने,
सजाकर थाली, जलाकर दिये,
लेकर रेशम का धागा,
क़र रही थी फ़ौजी भईया का इंतज़ार,
अचानक दरवाजे पर आयी एक दस्तक,
तिरंगे में लिपटा आया मेरा भईया,
और कहता हैं क्या,
देख बहन आज भी हूँ मैं वादे का पक्का,.
जीकर ना सही मरकर आया हूँ राखी बंधवाने,
बस दुःख हैं इस बात का ना क़र पाऊंगा तेरी रक्षा,
तू ना होना उदास बहना,
अपने देश की रक्षा में तेरा भाई हुआ शहीद हैं,
मेरे जैसे तेरे हजार भाई और हैं,
क़र रहे तेरे राखी का इंतज़ार हैं,
बहन ने आँखों से आँसू पोछक़र शान से यह कहा-
मैं वीरगति की बहना हूँ,
मुझे गर्व हैं मेरे भईया पर,
प्राण भी मेरे निकल जाये,
पर अंतिम शब्द मुख से मेरे निकले,
देश मेरा अमर रहे,
भईया भले ही मेरा शहीद रहे।
संपादिका
जगत दर्शन साहित्य