फाइलेरिया उन्मूलन अभियान -
ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूती प्रदान करना विभाग का मुख्य उद्देश्य: डॉ ओपी लाल
सदर प्रखंड अंतर्गत पचलखी एचडब्ल्यूसी पर फाइलेरिया (हाथीपांच) से ग्रसित मरीजों के बीच एमएमडीपी का हुआ वितरण: सीएचओ
सिवान, 05 जुलाई 2015
फाइलेरिया रोगियों को बीमारी से उत्पन्न होने वाली विकलांगता और पीड़ा से राहत दिलाना तथा उन्हें आवश्यक स्वच्छता सामग्री एवं प्रशिक्षण देकर उनके जीवन को सुगम बनाने के लिए सदर प्रखंड अंतर्गत हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पचलखी में आयोजित फाइलेरिया जैसी बीमारी से ग्रसित 14 मरीजों के बीच रुग्णता प्रबंधन और विकलांगता रोकथाम (एमएमडीपी) किट वितरण किया गया है। इस संबंध में जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी (डीवीबीडीसीओ) डॉ ओम प्रकाश लाल ने बताया कि संबंधित एचडब्ल्यूसी की सीएचओ खुशी कुमारी, वीबीडीएस) जावेद मियांदाद और पीरामल स्वास्थ्य की पीओ- सीडी पूर्णिमा सिंह, आशा फैसिलिटेटर लाल मुनी चौधरी सहित कई अन्य आशा कार्यकर्ताओं की सक्रिय भूमिका रही है। जिन्होंने फाइलेरिया से ग्रसित मरीज सह एमएमडीपी के लिए लाभार्थियों को चिन्हित करने से लेकर कार्यक्रम में शत प्रतिशत भागीदारी सुनिश्चित करने तक सराहनीय योगदान दिया है। वहीं इस दौरान उपस्थित सभी लोगों लाभार्थियों ने एक स्वर से यह स्वीकार किया कि ऐसी योजनाएं ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूती देती हैं।
एचडब्ल्यूसी की सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ) खुशी कुमारी ने कहा कि विभागीय अधिकारियों के दिशा निर्देश और स्थानीय सदर प्रखंड अंतर्गत प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी (एमओआईसी) डॉ मोहम्मद नेसार के मार्ग दर्शन में फाइलेरिया रोगियों के उपचार और देखभाल को लेकर निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। इसी कड़ी में सदर प्रखंड अंतर्गत पचलखी गांव स्थित हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर फाइलेरिया जैसी बीमारी से ग्रसित 14 मरीजों के बीच रुग्णता प्रबंधन और विकलांगता रोकथाम (एमएमडीपी) किट वितरण किया गया। क्योंकि फाइलेरिया रोगियों के लिए एमएमडीपी किट अत्यंत लाभदायक साबित हो रही है। इस किट में रोग नियंत्रण के लिए आवश्यक सामग्री जैसे- एंटीसेप्टिक, साफ- सफाई के उपकरण, बैंडेज और पेन रिलीफ क्रीम शामिल हैं। इसके नियमित उपयोग से सूजन, दर्द और संक्रमण की संभावना कम होती है, जिससे रोगी की दिनचर्या सामान्य बनी रहती है।
वेक्टर जनित रोग पर्यवेक्षक (वीबीडीएस) जावेद मियांदाद ने बताया कि फाइलेरिया एक लाइलाज नहीं बल्कि प्रबंधनीय बीमारी है, बशर्ते मरीज नियमित रूप से ग्रसित अंगों की साफ- सफाई रखे और चिकित्सकीय सलाह के अनुसार जीवनशैली अपनाए। वहीं उपस्थित आशा कार्यकर्ताओं को निर्देशित किया कि नियमित रूप से हाथीपांव से ग्रसित मरीजों और एमएमडीपी लेने वाले लाभार्थियों की नियमित रूप से निगरानी और समय- समय पर उनलोगों फॉलोअप करना सुनिश्चित करना होगा। उन्होंने यह भी बताया कि फाइलेरिया मरीजों को अपने पैरों की नियमित रूप से सफाई और व्यायाम से भी काफी लाभ मिलता है। एमएमडीपी किट के माध्यम से मरीज आत्मनिर्भर बनते हैं और अस्पताल पर निर्भरता कम होने लगती है। हालांकि यह फाइलेरिया के दीर्घकालिक प्रबंधन में एक कारगर पहल मानी जा रही है।
कार्यक्रम के दौरान पीरामल स्वास्थ्य की पीओ- सीडी पूर्णिमा सिंह ने बताया कि एमएमडीपी किट के माध्यम से फाइलेरिया से पीड़ित व्यक्तियों को प्रतिदिन देखभाल करने के लिए आवश्यक सामग्री दी जाती है, जिसमें साफ- सफाई के लिए टब, मग, कीटाणुनाशक, तौलिया, साबुन, बकेट, डिटॉल सहित कई अन्य प्रकार की वस्तुएं शामिल रहती हैं। क्योंकि यही सामग्री फाइलेरिया रोगियों को संक्रमण और सूजन से राहत पहुंचाने में मददगार साबित होती है। फाइलेरिया उन्मूलन की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है, जिससे न केवल रोगियों को राहत मिलेगी बल्कि जनजागरूकता भी बढ़ेगी। इस दौरान सीएचओ खुशी कुमारी, बीईई शंभूनाथ, वीबीडीएस जावेद मियांदाद, सिफार के डीपीसी धर्मेंद्र रस्तोगी, पीरामल स्वास्थ्य की पीओ-सीडी पूर्णिमा सिंह, एएनएम सुमन कुमारी एवं आरती देवी, आशा फैसिलिटेटर लाल मुनी चौधरी, आशा कार्यकर्ता सूर्यावती देवी, सुनैना देवी, वसीमा खातून, पुनीता कुमारी सहित कई अन्य आशा कार्यकर्ता शामिल रही।