मलेरिया रोग के प्रति जागरूक करने एवं सर्तकता बरतने को लेकर मीडिया कार्यशाला का हुआ आयोजन!
बीमारी से बचाव को लेकर सोते समय अनिवार्य रूप से मच्छरदानी का करें उपयोग: सिविल सर्जन
जिलेवासियों को जागरूक करना और बीमारी से संबंधित नियंत्रण एवं उन्मूलन की दिशा में सामूहिक रूप से बढ़ावा देना मुख्य उद्देश्य: डॉ ओपी लाल
///जगत दर्शन न्यूज
सिवान (बिहार): प्रत्येक वर्ष की भांति इस बार भी जून माह में मलेरिया निरोधक माह के रूप में मनाया जा रहा है। क्योंकि मलेरिया एक संक्रामक रोग है जो प्लाज्मोडियम नामक परजीवी के कारण होता है। लेकिन यह बीमारी मादा एनोफिलीज मच्छर के काटने से फैलता है। जिसमें ठंड के साथ बुखार आना, सिरदर्द, उल्टी आना, पसीना आना और कमजोरी जैसे लक्षण निश्चित अंतराल पर आने पर नजदीकी स्वास्थ्य संस्थानों में जाकर जांच कराना चाहिए। ताकि समय से उसका उपचार किया जा सके। उक्त बातें सिविल सर्जन डॉ श्रीनिवास प्रसाद ने अपने कार्यालय कक्ष में मलेरिया माह को लेकर आयोजित मीडिया कार्यशाला के दौरान कही। उन्होंने यह भी कहा कि मलेरिया जैसी बीमारी मुख्य रूप से चार प्रकार के होते हैं, जो प्लाज्मोडियम की विभिन्न प्रजातियों के आधार पर वर्गीकृत किए जाते हैं। जिसमें मुख्य रूप से प्लास्मोडियम विवैक्स (पीवी) मलेरिया, प्लास्मोडियम फाल्सीपेरम (पीएफ) मलेरिया, प्लाज्मोडियम मलेरिया (पीएम) मलेरिया और प्लाज्मोडियम ओवेल (पीओ) मलेरिया बीमारी शामिल है। लेकिन बिहार में मुख्य रूप से प्लास्मोडियम विवैक्स (पीवी) मलेरिया, प्लास्मोडियम फाल्सीपेरम (पीएफ) मलेरिया पाए जाते हैं। हालांकि मलेरिया के सभी प्रकार खतरनाक हो सकते हैं, यदि समय पर उसका इलाज नहीं किया जाए। लेकिन इनमें सबसे ज्यादा ख़तरनाक पीएफ मलेरिया होता है, जबकि पीवी मलेरिया भारत में सबसे सामान्य है। जिसका सही समय पर जांच और दवा के साथ- साथ मच्छरों से बचाव ही मलेरिया से बचाव का सबसे आसान और सरल रास्ता है।
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी (डीवीबीडीसीओ) डॉ ओम प्रकाश लाल ने कहा कि विगत वर्ष 2024 में टोटल 11 मलेरिया के मामले सामने आए थे। जबकि वर्ष 2025 में अभी तक मात्र 05 मामले सामने आए हैं। जिसमें आंदर में एक, दारौंदा में एक, हसनपुरा में एक, रघुनाथपुर में एक जबकि जिरादेई में एक मलेरिया से संबंधित मामले आए हैं। हालांकि जिले में जितने भी रोगियों की जानकारी या इलाज़ किया गया है, उसमें अधिकांश की पहचान जिले से बाहर यानि दूसरे प्रदेशों से अपने गृह जिले या पैतृक घर आने वाले के रूप में हुई है। इसी को लेकर भारत सरकार द्वारा प्रत्येक वर्ष जून महीने में एंटी मलेरिया माह (मलेरिया विरोधी माह) के रूप में मनाया जाता है। जिसका मुख्य उद्देश्य मलेरिया जैसी जानलेवा बीमारी के प्रति आम जनता को जागरूक करना और बीमारी से संबंधित नियंत्रण एवं उन्मूलन की दिशा में सामूहिक रूप से बढ़ावा देना है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा जनमानस से अपील की गई की मानसून प्रारंभ होने के साथ ही मच्छरों की उत्पत्ति वाले स्थलों की संख्या बढ़ जाती है। जिस कारण मलेरिया वाहक सहित अन्य प्रकार के मच्छर जनित बीमारियों का प्रसार अधिक होने लगता है, इन्हीं के बचाव के लिए जून माह में जिलेवासियों में जन जागृति लाने को लेकर मलेरिया निरोधक गतिविधियां चलाई जाती हैं। आप सभी लोग अपने- अपने घरों के आसपास साफ सफाई रखें। अपने घरों और कार्यालय के आसपास जल जमाव नहीं होने दे। घरों में रखे हुए अनुपयोगी बर्तनों, कूलर, पानी टंकी, टायर, पशु और पक्षियों के पानी पीने के बर्तनों को नियमित अंतराल में साफ कर पुनः प्रयोग करें।
इस अवसर पर सिविल सर्जन डॉ श्रीनिवास प्रसाद, डीवीबीडीसीओ डॉ ओम प्रकाश लाल, डीआईओ डॉ अरविंद कुमार, डीपीएम विशाल कुमार सिंह, डीवीबीडीसी नीरज कुमार सिंह, डीपीसी इमामुल होदा, वीडीसीओ विकास कुमार और कुंदन कुमार, डब्ल्यूएचओ के एसएमओ डॉ अमजद अली, सिफार के डीपीसी धर्मेंद्र रस्तोगी सहित कई अन्य अधिकारी और कर्मी मौजूद रहे।