बुद्ध पूर्णिमा पर ‘हिंदी साहित्य में दलित विमर्श’ विषयक राष्ट्रीय आभासी संगोष्ठी का आयोजन!
भारतीय भाषा शोध संस्थान द्वारा आयोजित संगोष्ठी में देशभर से विद्वानों ने दी सहभागिता
कोलकाता: भोजपुरी साहित्य विकास मंच की उपईकाई ‘भारतीय भाषा शोध संस्थान’ द्वारा बुद्ध पूर्णिमा के पावन अवसर पर एक राष्ट्रीय आभासी संगोष्ठी का आयोजन गूगल मीट के माध्यम से किया गया। संगोष्ठी का विषय था ‘हिंदी साहित्य में दलित विमर्श’, जिसमें देशभर से अनेक प्राध्यापकों, शोधार्थियों एवं विद्यार्थियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।
कार्यक्रम की शुरुआत नाहिदा शेख द्वारा प्रतिभागियों और श्रोताओं को बुद्ध पूर्णिमा की शुभकामनाएँ देकर की गई। इसके बाद डॉ. रेखा कुमारी त्रिपाठी ने संगोष्ठी के उद्देश्य और नियमावली से सभी को अवगत कराया।
संगोष्ठी में सर्वप्रथम मटियाबुर्ज कॉलेज, कोलकाता की विभागाध्यक्ष डॉ. अनिता कुमारी ठाकुर ने अपने आलेख का वाचन किया। इसके बाद अन्य प्रतिभागियों ने क्रमवार अपने आलेख प्रस्तुत किए। उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र से सर्वाधिक सात प्रतिभागियों ने अपनी सहभागिता दर्ज कराई, जिनमें डॉ. जया सुभाष बागुल (जालना), रमावती एस. यादव (पालघर), रजनी गुप्ता (मुंबई), वृषाली शामकांत बिंबे (जलगांव), मंगला वाघमारे (नांदेड़), सुलताना खान (अहमदनगर) और आशा हेमंत सिंह (मुंबई) शामिल थीं।
इसके अतिरिक्त बिहार से डॉ. सुधांशु कुमार चक्रवर्ती (हाजीपुर), झारखंड से अंजना कुमारी केशरी (हजारीबाग), हिमाचल प्रदेश से भारती (शिमला), हरियाणा से पिंकी चौहान (कुरुक्षेत्र) और पश्चिम बंगाल से प्रकाश प्रियांशु, निखिता पांडेय एवं संतोष कुमार वर्मा ने अपने विचार रखे।
कार्यक्रम का कुशल संचालन नाहिदा शेख (अहमदनगर) और डॉ. रेखा कुमारी त्रिपाठी (हिंदी विश्वविद्यालय, हावड़ा) ने संयुक्त रूप से किया। प्रिया श्रीवास्तव (हावड़ा) ने सभी का धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया। संगोष्ठी की तकनीकी व्यवस्थाएँ निधि कुमारी सिंह (पश्चिम बंगाल) ने सुचारु रूप से संभालीं। कार्यक्रम का कार्ड और प्रपत्र रोहित पाठक द्वारा और संपूर्ण आयोजन की रूपरेखा विनोद यादव द्वारा तैयार की गई थी।
संगोष्ठी ने न केवल दलित साहित्य के गहन विमर्श को मंच प्रदान किया, बल्कि भारतीय भाषाई चेतना और सामाजिक सरोकारों को भी मजबूती से सामने लाया।