संस्थागत प्रसव से लेकर नियमित टीकाकरण जैसे महत्वपूर्ण कार्यक्रम के माध्यम से मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य की बुनियाद को मजबूत करने में जुटी स्वास्थ्य विभाग!
एमसीपी कार्ड और सांस कार्यक्रम को लेकर जिला स्तरीय प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित!
निमोनिया प्रबंधन में सुरक्षा, रोकथाम और उपचार मोड पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता: डीआईओ
सिवान (बिहार): केंद्र सरकार द्वारा सांस (सोशल अवेयरनेस एंड एक्शन टू न्यूट्रीलाइज निमोनिया सक्सेसफुली) के तहत देश के नौनिहालों एवं माताओं के उत्तम स्वास्थ्य के लिए लगातार पहल की जा रही है। संस्थागत प्रसव के साथ ही नियमित टीकाकरण जैसे महत्वपूर्ण कार्यक्रम के माध्यम से मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य की बुनियाद को मजबूत किया जा रहा है। क्योंकि निमोनिया के कारण नौनिहालों में होने वाली मृत्यु को सरकार ने गंभीरता से लिया है। जिसको लेकर जिला स्तरीय उन्मुखीकरण कार्यक्रम का आयोजन सदर अस्पताल परिसर स्थित सभागार में किया गया है। जिसमें जिला स्तरीय पदाधिकारियों में सिविल सर्जन, एसीएमओ, डीपीएम, डीसीएम डीमएंडईओ, डीपीसी शामिल हुए जबकि प्रखंड स्तरीय अधिकारियों में एमओआईसी, बीएचएम के अलावा सहयोगी संस्थाओं में डब्ल्यूएचओ के एसएमओ डॉ अहमद अली, यूनिसेफ के एसएमसी कामरान खान, यूएनडीपी के वीसीसीएम मनोज कुमार, सिफार के डीपीसी धर्मेंद्र रस्तोगी, पीरामल स्वास्थ्य की रानी कुमारी गुप्ता, डेटा सहायक अशोक कुमार शर्मा पप्पू सहित अधिकारी और कर्मी शामिल रहे।
जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ अरविंद कुमार ने कहा कि बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता स्थापित कर बच्चों को कई प्रकार की बीमारियों से बचाया जा सकता है। हालांकि नवजात शिशुओं की शत प्रतिशत रक्षा के लिए छ: माह तक लगातार स्तनपान कराना बेहतर साबित होता है। क्योंकि उचित पूरक आहार के साथ स्तनपान जारी रखने से निमोनिया होने एवं उसकी गंभीरता से रक्षा होती है। स्वच्छ वातावरण एवं यूनिवर्सल टीकाकरण सुनिश्चित कर बच्चों को निमोनिया होने से रोका जा सकता है। खसरा, एमएमआर, पेंटावेलेंट वैक्सीन, न्यूमोकोकल वैक्सीन जैसे टीकों के उपयोग से संक्रमण द्वारा होने वाले प्रकरणों को कम करने के साथ ही मृत्यु को भी रोका जा सकता है। पांच वर्ष से कम आयु वर्ग के नवजात शिशुओं में 14 से 15% मृत्यु सिर्फ़ निमोनिया के कारण हो जाती है। इसीलिए निमोनिया प्रबंधन पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। इसके लिए प्रोटेक्ट, प्रीवेंट एवं ट्रीटमेन्ट मोड पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है।
सिविल सर्जन डॉ श्रीनिवास प्रसाद ने बताया कि गर्भावस्था से लेकर बच्चे के बचपन तक उनके स्वास्थ्य और कल्याण की निगरानी करने के उद्देश्य से मातृ एवं बाल सुरक्षा कार्ड (MCP कार्ड) सरकार के स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी किया जाता हैं। क्योंकि इस कार्ड के माध्यम से गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं को प्रसव पूर्व जांच (एएनसी), शिशु का टीकाकरण, विकास निगरानी, स्वास्थ्य ,शिक्षा और पोषण से संबंधित विस्तृत जानकारी, उचित परामर्श, परिवार सशक्तिकरण जैसी कई अन्य प्रकार की सुविधाएं मिलती हैं। हालांकि उक्त कार्ड को ममता कार्ड या जच्चा- बच्चा कार्ड के नाम से भी जाना जाता है। मातृ एवं बाल सुरक्षा कार्ड (MCP कार्ड) को लेकर दो दिवसीय (06 और 08 फरवरी) जिला स्तरीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन सदर अस्पताल परिसर स्थित सभागार में किया गया।
इस दौरान डीपीएम, सदर अस्पताल के अधीक्षक, अनुमंडलीय अस्पताल महाराजगंज के उपाधीक्षक सहित जिले के सभी स्वास्थ्य संस्थान के एमओआईसी, बीएचएम, बीसीएम सहित कई अन्य अधिकारी और कर्मी मौजूद रहे।