सारण में माइक्रो फाइलेरिया के जाँच के लिए प्रखंडो में शुरु हुआ नाईट ब्लड सर्वे
• जिले के प्रत्येक प्रखंड में बनाया गया दो-दो साइट
• प्रत्येक साइट पर 300 लोगों का लिया जायेगा ब्लड सैंपल
• 16 दिसंबर तक चलेगा नाईट ब्लड सर्वे
सारण (बिहार) संवाददाता सत्येन्द्र कुमार शर्मा: छपरा जिले में फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत माइक्रो फाइलेरिया के जाँच के लिए नाईट ब्लड सर्वे की शुरुआत की गयी है। इसके लिए जिले के सभी प्रखंड में दो दो साइट बनाया गया है। जिसमे एक सेंटीनल और एक रैंडम साइट बनाया गया है। साइट का निर्धारण फाइलेरिया के मरीजों के संख्या के आधार पर किया गया है। इस दौरान माइक्रो फाइलेरिया के जाँच के लोगों का ब्लड सैंपल कलेक्ट किया जा रहा है। अभियान का शुभारंभ विधायक, स्थानीय मुखिया और जन प्रतिनिधियों के द्वारा किया गया। इसमें पिरामल और सिफार संस्था के द्वारा सहयोग किया जा रहा है।
20 वर्ष या उससे अधिक उम्र के लोगों का लिया गया ब्लड सैंपल :
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ दिलीप कुमार सिंह ने बताया कि नाइट ब्लड सर्वे के दौरान 20 वर्ष या उससे अधिक उम्र के लोगों का ब्लड सैंपल लिया जा रहा है ।सामान्य व्यक्ति के शरीर में माइक्रो फाइलेरिया की पहचान रात में ही हो सकता है। क्योंकि रात में ही किसी व्यक्ति का शरीर आराम की अवस्था में रहता है। ऐसे समय में ही शरीर में उपलब्ध माइक्रो फाइलेरिया खून में एक्टिव अवस्था में होते हैं। इस समय जांच करने से उनमें शामिल माइक्रो फाइलेरिया की पहचान हो सकती है. जिसे मेडिकल सहायता प्रदान करते हुए सुरक्षित किया जा सकता है।
1 सेंटिनल तथा 1 रैंडम साइट बनाया गया:
जिला वेक्टर जनित रोग सलाहकार सुधीर कुमार ने बताया कि जिले में प्रत्येक प्रखंड में 1 सेंटिनल तथा 1 रैंडम साइट बनाया गया है। यह साइट माइक्रो- फाइलेरिया के मरीजों के संख्या के आधार पर बनाया गया है। प्रत्येक साइट पर 300 लोगों का सैंपल लिया जाना है। 9 से 16 दिसंबर तक प्रत्येक साइट पर 20 वर्ष या उससे अधिक उम्र के लोगों का सैंपल कलेक्शन किया जायेगा और जांच किया जायेगा कि उनके शरीर में माइक्रो- फाइलेरिया है या नहीं।
सुपरविजन के लिया टीम का गठन :
नाईट ब्लड सर्वे के सफल क्रियान्वयन को लेकर स्वास्थ्य विभाग के द्वारा जिला स्तरीय टीम का गठन किया गया है। टीम चयनित प्रखंडो और स्थलों पर जाकर जाँच करेगी कि आदेशानुसार और गाइडलाइन के तहत ब्लड सैंपल लिया जा रहा है या नहीं। इस टीम में सिफार संस्था और पिरामल के द्वारा सहयोग किया जा रहा है। 20 साल से अधिक आयु की महिलाओं एव पुरुषों का सैंपल लिया जाएगा। सैंपल लेकर रक्त पट्टिका बनाई जाएगी। इसका उद्देश्य फालेरिया रोगी मिलने पर उसका तत्काल इलाज मुहैया कराकर जिले को इस रोग से मुक्त बनाना है।
लक्षण
- कई दिन तक रुक-रुक कर बुखार आना।
- शरीर में दर्द एवं लिम्फ नोड (लसिका ग्रंथियों) में सूजन।
- हाथ, पैरों में सूजन (हाथी पांव) एवं पुरुषों के अंडकोष में सूजन (हाइड्रोसील)।
- महिलाओं के ब्रेस्ट में सूजन, पहले दिन में पैरों में सूजन रहती है और रात में आराम करने पर कम हो जाती है।
- संक्रमित व्यक्ति में बीमारी के लक्षण पांच से 15 साल तक में दिख सकते हैं।
बचाव
- लक्षण लगने पर समय से जांच कराकर इलाज शुरू कर दें।
- फाइलेरिया की दवा का सेवन पांच वर्ष तक हर साल कर बचा जा सकता है।
- फाइलेरिया के मच्छर गंदी जगह पर पनपते हैं। इसलिए मच्छरों से बचाव करें।
- साफ़ सफाई रखकर मच्छर से बचने के लिए फुल आस्तीन के कपड़े पहनें।
- रात में सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करें।