राजेंद्र सुफलाम (सरसो) की कैसे करे खेती? किसानों ने लिया प्रशिक्षण!
सारण (बिहार) संवाददाता संजय पाण्डेय: कृषि विज्ञान केंद्र माँझी में "समूह अग्रिम पंक्ति प्रत्यक्षण" कार्यक्रम के तहत सारण जिले के माँझी, जलालपुर, सदर एवं एकमा प्रखंड के प्रगतिशील किसानों को सरसो, प्रभेद- राजेंद्र सुफलाम के वैज्ञानिक विधि से सरसों के उत्पादन तकनीक के बारे में प्रशिक्षण के माध्यम से संपूर्ण जानकारी दी गयी। इस बीच 78 किसानों के बीच सरसों के बीज का वितरण भी किया गया।
इस दौरान उद्यान विशेषज्ञ डॉ.जितेन्द्र चन्द्र चंदोला ने बताया की रवि के मौसम में तिलहनी फसलों के लिए वर्ष 2024-25 में "समूह अग्रिम पंक्ति प्रत्यक्षण" कार्यक्रम के तहत किसानों के लिए कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। उन्होंने सरसों के प्रभेद- राजेंद्र सुफलाम की बीज दर प्रति हेक्टेयर 5 किलोग्राम हैं। इसके पौधे की ऊंचाई 145 सेंटीमीटर होती है और यह 108 दिनों में पक कर तैयार हो जाती हैं। इसके दाने बड़े आकार में होते हैं जिसमे तेल की मात्रा 39.7 प्रतिशत पाया जाता है इसकी औसत उपज 1631 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर है इसके पौधे अधिक आधारीय शाखाओं के साथ मोटे बीजों वाली, मोटी फलियों वाली होती है। इसको देर से बुवाई भी किया जा सकता है।
विषय वस्तु विशेषज्ञ डॉ सुषमा टम्टा ने बताया कि सरसों की बुवाई के लिए 5 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर पर्याप्त होता है। सरसों की बुआई कतारों में करनी चाहिए और उसकी कतार से कतार की दूरी 30 सेंटीमीटर और पौधों से पौधों की दूरी 6-10 सेंटीमीटर रखनी चाहिए। सरसों की बुवाई के लिए जड़ सड़न रोग से बचाव के लिए बीज को बुवाई से पहले फफूंदनाशक से उपचारित करना चाहिए। सरसों की बुआई के लिए उत्पादन बढ़ाने के लिए एज़ोटोबेक्टर और फ़ॉस्फ़ोरस घोलक जीवाणु खाद का इस्तेमाल करना चाहिए। डॉ.विजय कुमार ने बताया कि मिट्टी की जाँच सरसों की खेती में एक अहम भूमिका निभाता है।