भारत जैसे कृषि प्रधान देश में "किसान आयोग" का न बनना दुर्भाग्य पूर्ण है।: डॉ शैलेश गिरी
दिल्ली: भारतीय हलधर किसान यूनियन के राष्ट्रीय मुख्य प्रवक्ता, राष्ट्रीय कोर कमेटी उपाध्यक्ष बिहार झारखंड प्रदेश प्रभारी ने केंद्रीय बजट 2025 को "विकसित भारत" बनाने वाले बजट से कोसो दूर बताते हुए कहा है कि मैं केंद्रीय बजट 2026 के लिए आने वाले सरकार मांग करता हूँ कि "विकासशील से विकसित भारत की परिकल्पना" को साकार करने के लिए सरकार को हर हाल में किसानों के बजट को प्राथमिकता के तौर पर लेना होगा, क्योंकि भारतीय अर्थव्यवस्था की आत्मा और रीढ़ की हड्डी है। किसान, कृषि प्रधान देश है भारत जिसमें लगभग 75 फीसदी किसान ही है और भारत जैसे कृषि प्रधान देश में "किसान आयोग" का न बनना दुर्भाग्य पूर्ण है। मैं डा. शैलेश कुमार गिरि दावे के साथ कहता हूँ कि जिस दिन "किसान आयोग" बनेगा उसके बाद आने वाले दो दशकों में भारत "विकासशील से विकसित भारत की परिकल्पना" साकार होगी और भारत वैश्विक मंच पर "सोने की चिड़िया" वाला भारत सबको दिखेगा।
यहां मैं बता दूं कि मैं भी बिहार से ही आता हूं इस बजट में "बिहार में मखाना बोर्ड" बनाने की जो बात कही गयी है ये एक सराहनीय कदम तो है, लेकिन और बिहार चुनाव को साधने के लिए "शातिराना बोर्ड या बिहार चुनाव साधक बोर्ड / बजट" तो नहीं बनकर रह जाने वाला जैसे 15 लाख और करोड़ो नौकरी की घोषणाएं कभी हुई थी तथा जैसे तत्कालीन प्रधानमंत्री जो 2011 में गुजरात के मुख्यमंत्री थे और एक कमेटी बनी थी, जिस कमेटी के अध्यक्ष माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ही थे और वे स्वयं "न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP)" को गांरटी क़ानून बनाने की फाइल लेकर प्रधानमंत्री स्व. मनमोहन सिंह से सिफारिश की थी लेकिन स्वयं अपनी बातों से पलटी मारते में थोड़ी सी भी देर न लगी तथा इसी MSP और किसान आयोग के लिए विगत वर्षों में लगभग 375 दिन किसान आंदोलन के दौरान सैकड़ो किसान शहीद हो गए।
बड़े दु:ख के साथ भाकियू हलधर के राष्ट्रीय मुख्य प्रवक्ता डा शैलेश कुमार गिरि ने रोष प्रकट करते हुए प्रेस बयान जारी कर रोष प्रकट कर अगले साल आने वाले बजट 2026 के लिए सलाह देते हुए सचेत किया है। बजट 2025 से भी किसानों को निराशा ही हाथ लगी है क्योंकि किसान सम्मान निधि की राशि में कोई बढ़ोतरी नहीं की गयी। लगभग प्रत्यक्ष 60 फीसदी लोग खेती किसानी से जुड़े हैं और लगभग 20 फीसदी कृषि से संबंधित अप्रत्यक्ष व्यावसायिक गतिविधियों से भी जुड़े हैं। कृषि देश की अर्थव्यवस्था मानो रीढ़ की हड्डी है जिससे सरकार को लगभग 17- 19 फीसदी जीडीपी प्राप्त होती है उसकी तुलना में किसानों के लिए ये बजट उंट के मुंह में जीरे के फोरन जैसा ही है। R भारत चैनल पर भारत का बजट 2025 में अपने लाइव विचार रखा जिसमें बहुत सारी बातें लाइव नहीं है बल्कि रिकार्डेड है।
सबसे पहले कृषि को लाभ का सौदा बनाने पर बल देने की जरूरत है, जिससे कृषि से मोहभंग हुए युवाओं का पलायन रुके। किसानों को 60 साल के उम्र के बाद 10000 रुपये प्रति माह "किसान पेंशन योजना" का होना अति आवश्यक है, जो किसानों को किसानी के प्रति एक सकारात्मक दिशा की ओर ले जाए और युवाओं में कृषि करने हेतु प्रेरित करे। यह बजट मध्यम वर्ग के लिए थोड़ा राहत भरा है। हर साल की तरह देश की जनता को "बजट का लॉलीपॉप" पेश किया गया। इस बजट से देश की आत्मा कहे जाने वाले किसानों को निराशा ही हाथ लगी है।