कालाजार संक्रमण प्रसार की संभावना को जल्द से जल्द खत्म करने के उद्देश्य से विगत दस वर्षो के बीच मिले मरीजों को आधार बनाकर चलाया जा रहा है विशेष अभियान!
जिलाधिकारी और सिविल सर्जन के मार्ग दर्शन में कालाजार उन्मूलन के लिए बनाई गई विशेष रणनीति: डॉ ओपी लाल
भगवानपुर हाट के रतौली और माघर गांव के कलाजार मरीजों का किया फॉलोअप: डीवीबीडीसी
सिवान (बिहार): जिले में कालाजार उन्मूलन को लेकर स्वास्थ्य विभाग प्रतिबद्ध है। जिसको लेकर समय-समय पर कालाजार के नए मरीजों की खोज के लिए विशेष रूप से अभियान चलाया जाता हैं। इस संबंध में जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ ओम प्रकाश लाल ने बताया कि कालाजार बीमारी से प्रभावित इलाकों में आशा कार्यकर्ताओं द्वारा गृह भ्रमण कर अभियान चलाया गया है। जिसमें कालाजार के लक्षण वाले संदिग्ध मरीजों को चिह्नित करते हुए उनकी जांच कराई गई। हालांकि यह अभियान विगत 2021 से 2023 के बीच मिले कालाजार के नए मरीजों के आधार पर चलाया गया है। ताकि कालाजार संक्रमण प्रसार की संभावना को जल्द से जल्द खत्म किया जा सके। साथ ही कालाजार मरीजों और उनके परिजनों में भी बीमारी के लक्षणों की जांच कराई जा रही है। हालांकि जिलाधिकारी मुकुल कुमार गुप्ता के दिशा-निर्देश और सिविल सर्जन डॉ श्रीनिवास प्रसाद के मार्ग दर्शन में कालाजार उन्मूलन के लिए विशेष रणनीति तैयार की गई है। जिसके तहत विगत दस वर्षो के मरीजों की सूची को तैयार करने के बाद ही प्रभावित गांवों में घर- घर जाकर दवाओं के छिड़काव से पूर्व विशेष रूप से मिशन मोड में कालाजार उन्मूलन की दिशा में कार्य किया गया है। जिसमें स्थानीय जनप्रतिनिधियों व सहयोगी संस्थानों का सहयोग किया गया है।
भगवानपुर हाट के रतौली और माघर गांव के कलाजार मरीजों का किया फॉलोअप: डीवीबीडीसी
जिला वेक्टर जनित रोग सलाहकार (डीवीबीडीसी) नीरज कुमार सिंह ने बताया कि कालाजार मरीजों को सरकारी अस्पताल में इलाज के साथ ही कालाजार संक्रमित मरीजों को सरकार द्वारा श्रम क्षतिपूर्ति के रूप में सहायता राशि भी प्रदान की जाती है। सरकार द्वारा विसरल लीशमैनियासिस (वीएल) कालाजार से पीड़ित मरीज़ को 7100 रुपये की श्रम- क्षतिपूर्ति राशि भी दी जाती है। यह राशि भारत सरकार के द्वारा 500 एवं राज्य सरकार की ओर से कालाजार राहत अभियान के अंतर्गत मुख्यमंत्री प्रोत्साहन राशि के रूप में 6600 सौ रुपये दी जाती है। वहीं पोस्ट कालाजार डर्मल लीशमैनियासिस (पीकेडीएल) कालाजार से पीड़ित मरीज को राज्य सरकार द्वारा 4000 रुपये की सहायता राशि श्रम क्षतिपूर्ति के रूप में प्रदान की जाती है। हालांकि विगत वर्षों की तुलना में इस साल मात्र 46 कलाजार मरीज़ मिला है। जिसमें वी एल के 34 जबकि पीकेडीएल के 12 रोगी शामिल है। विभागीय स्तर पर वीडीसीओ विकास कुमार और पीरामल स्वास्थ्य के जिला प्रमुख कुंदन कुमार को भगवानपुर हाट प्रखंड के कलाजार प्रभावित गांव के मरीज़ से मिलने से मिलने और फॉलोअप करने के उद्देश्य से माघर और रतौली गांव का भ्रमण किया गया।
छपरा के सेंटर फॉर एक्सीलेंस में पीकेडीएल के मरीजों का हो रहा इलाज: सिविल सर्जन
इस सिविल सर्जन डॉ श्रीनिवास प्रसाद ने बताया कि जिले में कालाजार के मरीजों का नि:शुल्क इलाज किया जाता है। हालांकि इसके पहले सुविधाओं की कमी के कारण पीकेडीएल के मरीजों को पटना रेफर करना पड़ता था। लेकिन पिछले साल से सारण जिला मुख्यालय स्थित सदर अस्पताल परिसर में सेंटर फॉर एक्सीलेंस (सीओई) की स्थापना की गई हैं। जहां पर कालाजार के साथ - साथ पीकेडीएल के मरीजों का भी इलाज किया जा रहा है। सीओई के स्थापना से यहां के मरीजों को काफी सहूलियत हो रही है। क्योंकि पहले तो जिलेवासियों को कालाजार बीमारी से संबंधित बोन मैरो और स्किन असमेयर का जांच और उपचार कराने के लिए पटना स्थित राजेंद्र मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट मेडिकल सांइस (आरएमआरआइ) जाना पड़ता था लेकिन अब सारण जिला मुख्यालय स्थित सदर अस्पताल में स्थापित "सेंटर ऑफ एक्सीलेंस" की स्थापना के बाद से स्थानीय स्तर पर मरीजों का जांच और उपचार किया जा रहा हैं।