नाइट ब्लड सर्वे: बीसीएम, सीएचओ, लैब टेक्नीशियन सहित एएनएम को किया गया प्रशिक्षित!
प्रखंड स्तर पर फाइलेरिया व माइक्रो फाइलेरिया की दर को जानने के लिए एनबीएस जरूरी : सिविल सर्जन
सामान्य और स्वस्थ दिखने वाले व्यक्ति भी अपने रक्त के नमूने की कराएं जांच: डीवीबीडीसीओ
सिवान (बिहार): जिले में फाइलेरिया उन्मूलन को लेकर आगामी 25 नवंबर से नाइट ब्लड सर्वे (एनबीएस) अभियान चलाया जाएगा। जिसके तहत ज़िले के सभी प्रखंडों के दो- दो गांवों एवं शहरी क्षेत्र के 02 चयनित स्थलों पर रात 8:30 से 12 बजे तक में व्यक्तियों के रक्त के नमूने लिए जाएंगे। क्योंकि रक्त जांच कर यह पता लगाया जाएगा कि किन- किन व्यक्तियों में फाइलेरिया के परजीवी मौजूद हैं। अभियान को सफल बनाने के लिए सिविल सर्जन डॉ श्रीनिवास प्रसाद की अध्यक्षता में सदर अस्पताल परिसर स्थित सभागार में एक दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन हुआ। इस दौरान सिविल सर्जन डॉ श्रीनिवास प्रसाद ने कहा कि जिले में नाइट ब्लड सर्वे की तैयारी शुरू कर दी गयी है। प्रत्येक प्रखंड में एक रैंडम और एक सेंटिनल साइट पर नाइट ब्लड सर्वे कार्य को संपन्न कराया जाएगा। इस दौरान लोगों के ब्लड सैंपल लिए जाएंगे। जिसे जांच के लिए लैब भेजा जाएगा। चूंकि खून में फाइलेरिया के परजीवी रात में ही सक्रिय होते हैं इसलिए नाइट ब्लड सर्वे से सही रिपोर्ट का पता चल पाता है। जिसे शत प्रतिशत पूरा करने के लिए नाइट ब्लड सर्वे को चार सदस्यीय टीम बनाई गई है। नाइट ब्लड सर्वे की गतिविधियों का आयोजन करने का मुख्य उद्देश्य प्रखंड स्तर पर फाइलेरिया व माइक्रो फाइलेरिया की दर को जानना है।
सामान्य और स्वस्थ दिखने वाले व्यक्ति भी अपने रक्त के नमूने की कराएं जांच: डीवीबीडीसीओ
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी (डीवीबीडीसीओ) डॉ ओम प्रकाश लाल ने प्रशिक्षण कार्यक्रम में बताया कि इस कार्यक्रम के तहत फाइलेरिया के प्रसार को रोकना है। नाइट ब्लड सर्वे के दौरान सामान्य और स्वस्थ दिखने वाले व्यक्ति भी जांच करा सकते हैं। क्योंकि फाइलेरिया या हाथीपांव के लक्षण सामान्य रूप से शुरू में दिखाई नहीं देते हैं। इसके परजीवी के शरीर में प्रवेश करने के बाद इसके लक्षण लगभग पांच से दस सालों बाद दिखाई दे सकता है। इसलिए सामान्य और स्वस्थ दिखने वाले व्यक्ति भी नाइट ब्लड सर्वे कार्यक्रम के तहत अपने रक्त के नमूने की जांच अनिवार्य रूप से कराएं। प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान उपस्थित स्वास्थ्यकर्मियों को बताया कि फाइलेरिया एक परजीवी रोग है, जो एक कृमि जनित मच्छर से फैलने वाला रोग है। यह मादा क्यूलेक्स मच्छर के काटने से फैलता है। आमतौर पर फाइलेरिया के लक्षण स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं देते लेकिन बुखार, बदन में खुजली व सूजन की समस्या दिखाई देती है। इसके अलावा पैरों और हाथों में सूजन, हाथी पांव और हाइड्रोसील की सूजन, फाइलेरिया के लक्षण हैं। फाइलेरिया हो जाने के बाद धीरे- धीरे यह गंभीर रूप लेने लगता है। इसका कोई ठोस इलाज नहीं है। लेकिन इसकी नियमित और उचित देखभाल कर जटिलताओं से बचा जा सकता है।
प्रत्येक प्रखंड में एक रैंडम और एक सेंटिनल साइट पर किया जाएगा नाइट ब्लड सर्वे: डब्ल्यूएचओ
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की क्षेत्रीय समन्वयक डॉ माधुरी शिवराजू ने कहा कि विभागीय स्तर पर चिह्नित किए गए जिले के गांवों एवं शहरी क्षेत्रों के 03 स्थलों पर रात्रि के 8:30 से लेकर रात्रि के 12 बजे तक स्थानीय ग्रामीणों के रक्त के नमूने लिये जाएंगे। प्रत्येक प्रखंड में एक रैंडम और एक सेंटिनल साइट पर नाइट ब्लड सर्वे किया जाएगा। वहां नाइट ब्लड सर्वे टीम के सदस्य 20 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के लोगों का सैंपल एकत्र करेंगे। एक साइट पर 300 और दूसरे साइट पर भी 300 यानि कुल 600 लोगों के ब्लड सैंपल लिए जाएंगे। जिसे जांच के लिए लैब भेजा जाएगा। जांच के लिए संग्रहित रक्त नमूनों की सटीक व त्रुटिहीन जांच सुनिश्चित कराने में लैब टेक्निशियन की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। क्योंकि सर्वे की सफलता जांच की गुणवत्ता में निहित है। इसलिए इस बार जांच नतीजों का क्रास जांच भी किया जाना है। जहां माइक्रो फाइलेरिया संक्रमण की दर 01 फीसदी से अधिक पाया जाएगा, वहां फरवरी माह में एमडीए यानी सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम का संचालन किया जाएगा।
जिसमें जिले के सभी बीसीएम सहित संबंधित स्थल के नजदीक वाले हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर (एचडब्ल्यूसी) पर कार्यरत सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ) और एएनएम के अलावा लैब टेक्नीशियन (एलटी) को प्रशिक्षण कार्यशाला में
सिविल सर्जन डॉ श्रीनिवास प्रसाद, डीवीबीडीसीओ डॉ ओम प्रकाश लाल, डब्ल्यूएचओ की क्षेत्रीय सलाहकार डॉ माधुरी देवराजू, पीरामल स्वास्थ्य के मिथिलेश पाण्डेय सहित राज्य से प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले मुख्य प्रशिक्षक लैब टेक्नीशियन रवि रंजन कुमार और अविनाश द्विवेदी के द्वारा प्रशिक्षण दिया गया। इस अवसर पर डीवीबीडी सलाहकार नीरज कुमार, वीडीसीओ प्रीति आनंद, विकास कुमार, कुंदन कुमार, सीफार के क्षेत्रीय कार्यक्रम समन्वयक धर्मेंद्र कुमार रस्तोगी, डाटा सहायक राज तिलक सहित जिले के विभिन्न प्रखंडों से आए बीसीएम, लैब टेक्नीशियन, सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता (सीएचओ), एएनएम, वीबीडीएस सहित कई अन्य अधिकारी और कर्मी उपस्थित थे।