किसका दोष? कस्तूरबा बालिका विद्यालय की अचानक 20 छात्राओं की तबीयत बिगड़ी!
सारण (बिहार): जिले के मशरक प्रखंड मुख्यालय से महज 5 किमी दूरी पर अवस्थित कवलपुरा गांव के आवासीय कस्तूरबा बालिका विद्यालय की अचानक 20 छात्राओं की तबीयत बिगड़ गई। बताया जाता है की एक एक कर 20 छात्राएं तेज बुखार एवं दर्द से छटपटाने लगी। स्थिति को गंभीरता से लेते हुए वार्डन अलंकार ज्योति एवं अकाउंटेंट पूजा सिंह ने मशरक अस्पताल को सूचित किया। फिर सभी को एंबुलेंस से मशरक सामुदायिक स्वास्थ केंद्र लाया गया, जहाँ चिकित्सा पदाधिकारी डा चंद्रशेखर सिंह, डॉ एस के विद्यार्थी सहित एक दर्जन मेडिकल टीम चिकित्सा में जुट गई हैं।
वहीं घटना की सूचना मिलते ही मशरक के बीडीओ पंकज कुमार व प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी डॉ वीणा कुमारी ने अस्पताल पहुंच कर छात्राओं के स्वास्थ्य का जायजा लिया। वहीं इलाज कर रहे डॉक्टर चंद्रशेखर सिंह ने बताया कि सभी छात्रा हिट स्ट्रोक का शिकार है, जिसके कारण हाई फीवर सहित बेचैनी है। सभी को गहन चिकित्सा में रखा गया है। हालांकि अस्पताल में एसी एवं कूलर नहीं होने से डॉक्टर भी परेशान दिखे।
दरअसल उक्त कस्तूरबा विद्यालय में नामांकित एक सौ छात्रा में से सोमवार को 40 छात्रा मौजूद थी, जिसमे 20 की हालत खराब हो गई। बीमार छात्राओं में मशरक के अलावे सीमावर्ती प्रखंड की भी है। इलाजरत छात्राओं की पहचान चिंता कुमारी, ब्यूटी कुमारी, रौशनी कुमारी, खुशी कुमारी, अन्नी कुमारी, खुशबू खातून, नंदनी कुमारी, अनिशा कुमारी, मनीषा कुमारी, संध्या कुमारी, अमृता कुमारी, ज्योति कुमारी, सोनाली कुमारी, खुशबू कुमारी, तबस्सुम खातून के रूप में हुई हैं। वहीं इनके साथ अन्य भी बीमार बताए जाते है। विद्यालय प्रबंधन के द्वारा इनके परिजनों को सूचित कर किया गया है।
क्या है कारण?
बताते चलें कि बिहार सरकार के शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव हमेशा से चर्चा के विषय बने हुए रहते हैं। फिलहाल उनके आदेशानुसार स्कूल के टाइमिंग को लेकर वे चर्चा में है। एक ओर जहां भीषण गर्मी हो रही है, तापमान 42 डिग्री से ऊपर है, वहीं स्कूल की छुट्टी दोपहर बारह बजे होना छात्र छात्राओं के लिए दुखदाई साबित हो रहा हैं। सिर्फ इतना ही नहीं विद्यालय का संचालन सुबह 6 बजे से होने के कारण बच्चे खाली पेट स्कूल आने के लिए बाध्य हो रहे है। टाइमिंग को लेकर बच्चो की माताएं भी परेशान है। जहां 6 बजे के लिए बच्चो को सुबह 5 बजे उठना पड़ता है, वहीं माता को तो 4 बजे भी उठाना पड़ता है। इसके बावजूद भी बच्चे बिना खाए पिए स्कूल चले जाते है। एम डी एम के नाम पर नास्ते में खिचड़ी जो पड़ोस दिया जाता है उसकी गुणवत्ता से सभी वाकिफ है। वहीं इस भीषण गर्मी में बच्चे 10 बजे नास्ता के रूप में खिचड़ी का सेवन करते हैं। वही विद्यालय का प्रातः कालीन के होने के बावजूद भी गर्मी के दोपहरी के छुट्टी होना भी दुर्भाग्यपूर्ण है। अब प्रश्न यह उठता है कि जहां पर कहा जाता है की देश के भविष्य होते है बच्चे! उनका देखभाल सही तरीके से होना चाहिए। वहीं इस तरह का समय सारणी और आहार प्रणाली से क्या हमारे देश में बच्चे संपुष्ट हो पाएंगे? वहीं बिहार सरकार तो न बच्चो की सुन रही है न ही अभिभावकों की। के के पाठक की नेताओं ने भी खूब खिंचाई की, लेकिन उसका फर्क उन पर नही पड़ता!