यूपी के विधानमंडल में पत्रकार सुरक्षा कानून की गूंज ने पत्रकारों में जगाई नई उम्मीद!
बीते पांच फरवरी को उत्तर प्रदेश विधानमंडल के उच्च सदन में विधान पार्षद आशुतोष सिन्हा ने राज्य सरकार से प्रदेश में पत्रकार सुरक्षा कानून लागू किये जाने की माँग करके देश के पत्रकारों में एक नई उम्मीद जगा दी है। भारत सरकार के श्रम संसाधन मंत्रालय से पंजीकृत तथा बीस प्रदेशों में क्रियाशील देश के सबसे बड़े पत्रकार संगठन अखिल भारतीय पत्रकार सुरक्षा समिति की एकसूत्री मांग का श्री सिन्हा ने पुरजोर समर्थन किया है। संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष जिग्नेश कलावाडिया तथा राष्ट्रीय सलाहकर मुकेश सिंह के अलावा राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य क्रमशः राकेश प्रताप सिंह परिहार, महफूज खान तथा विद्याभूषण श्रीवास्तव के अलावा संगठन के यूपी प्रदेशाध्यक्ष अजय प्रताप नारायण सिंह, बिहार के प्रदेश अध्यक्ष मनोज कुमार सिंह, मध्यप्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष नरेन्द्र देव नरेला, राजस्थान के प्रदेश अध्यक्ष मनमोहन सिंह तथा दिल्ली की प्रदेश अध्यक्षा आशा यादव आदि ने श्री सिन्हा की माँग का स्वागत किया है। पत्रकार प्रतिनिधियों ने श्री सिन्हा के द्वारा सदन उठाई गई मांग पर आभार प्रकट करते हुए देश के समस्त सांसदों व विधायकों आदि जनप्रतिनिधियों से इस मुद्दे को सदन में जोरदार ढंग से उठाने तथा पत्रकार हित में सरकारों से पत्रकार सुरक्षा कानून शीघ्र लागू करने की मांग की है। ज्ञातव्य है कि पिछले दिनों यूपी इकाई के प्रदेशाध्यक्ष अजय प्रताप नारायण सिंह के नेतृत्व में पत्रकारों के एक प्रतिनिधिमंडल ने श्री सिन्हा को एक ज्ञापन सौंपकर उनसे पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को सदन में उठाये जाने का अनुरोध किया था। संगठन की माँग का समर्थन करते हुए श्री सिन्हा ने पाँच फरवरी को बजट सत्र के दौरान विधान परिषद में दिए गए अपने भाषण में पत्रकारिता के क्रम में अथवा सरकारी तंत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार को प्रकाशित व प्रसारित करने की वजह से अक्सर पत्रकारों के ऊपर हमले होते रहे हैं अथवा उन्हें दुर्घटना आदि का शिकार होना पड़ता है। आर्थिक दृष्टिकोण से विपन्न पत्रकारों के परिजनों की दयनीय हालत के मद्देनजर उन्हें असामाजिक तत्वों के द्वारा प्रताड़ना तथा उत्पीड़न का भी शिकार होना पड़ता है। उन्होंने सरकार का ध्यान आकृष्ट करते हुए कहा कि दायित्व निर्वहन के दौरान कई पत्रकारों को अपनी जान भी गंवानी पड़ी है। ऐसी परिस्थिति में पत्रकारों को पत्रकारिता के दौरान अपने सामाजिक दायित्वों के निर्वहन हेतु शारीरिक, आर्थिक और संवैधानिक स्तर पर पत्रकार सुरक्षा कानून लागू किया जाना बेहद आवश्यक है। उन्होंने अपने भाषण में नए पत्रकारों को दस हजार रुपये तथा 20 वर्षों से अधिक समय से सक्रिय वरिष्ठ पत्रकारों को 25 हजार रुपये गुजारा भत्ता देने की माँग उठाई है। उन्होंने पत्रकारों को 20 लाख रुपये तक के कैशलेस इलाज की सुविधा प्रदान करने के अलावा एक करोड़ रुपये का निःशुल्क जीवन बीमा कराने तथा विकास प्राधिकरण के माध्यम से नो प्रॉफिट नो लॉस के आधार पर पत्रकारों को भवन अथवा प्लॉट उपलब्ध कराने सहित अन्य सरकारी योजनाओं के माध्यम से लाभान्वित करने की भी मांग की है।
बताते चलें कि वर्ष 2016 में निर्मित अखिल भारतीय पत्रकार सुरक्षा समिति अबतक गुजरात के राजकोट तथा गांधीनगर, यूपी के कुशीनगर, मध्यप्रदेश के इन्दौर, बिहार के पटना तथा महाराष्ट्र के मुम्बई के अलावा दिल्ली व लखनऊ में बैठकें आयोजित करके तथा खासतौर पर छतीसगढ़ के विलासपुर व सारंगढ़ में चार बार राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित कर पत्रकारों को एकजुट करने में बहुत हद तक कामयाब रही है। वहीं दूसरी तरफ पत्रकार हित से जुड़े मामलों में सुषुप्त सरकारों की तन्द्रा भंग करने में भी संगठन बहुत हद तक सफल रहा है। संगठन द्वारा अनवरत चलाये जा रहे आंदोलनों से प्रभावित होकर बीते वर्ष 2023 में छतीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार ने प्रदेश में पत्रकार सुरक्षा कानून के प्रस्ताव को विधान सभा में पारित कराने में तो सफल रही परन्तु राज्य के राज्यपाल के अनुमोदन में विलम्ब होने से वह प्रस्ताव अभी तक कानून का रूप नही ले सका है। हालाँकि सरकार द्वारा पारित प्रस्ताव को अव्यवहारिक बताते हुए संगठन ने उसमें संशोधन की मांग की है ताकि सभी पत्रकारों को उक्त कानून का लाभ मिल सके।